सिर्फ जियालाल मंडल व रामशरण यादव ही दोबारा पहुंचे पार्लियामेंट
- क्या “एक मौका एक नेता” के मिथक को तोड़ पाएंगे निवर्तमान सांसद कैसर
ब्रजेश भारती, सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) : खगड़िया लोकसभा क्षेत्र में तीसरे चरण में 23 अप्रैल को मतदान होगा। इसके लिए नामांकन की प्रक्रिया 28 मार्च से शुरू हो जाएगी।
इस बार चुनाव बड़ा दिलचस्प होने की संभावना जताई जा रही है। एनडीए ने काफी माथापच्ची के बाद निवर्तमान सांसद चौधरी महबूब अली कैसर पर दोबारा आस्था जताते हुए अंतिम समय में अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया।
वहीं महागठबंधन की बात करें तो राजद ने इस सीट को मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी को सौंप दिया संभवत मुकेश सहनी स्वयं या अपने किसी नेता यहां से चुनाव लड़ा सकते हैं।
इस बीच अगर यहां के चुनावी इतिहास पर गौर करें तो दो नेताओं जियालाल मंडल व रामशरण यादव को छोड़ खगड़िया की जनता ने किसी प्रत्याशी को दोबारा यहां से चुन कर संसद नहीं भेजा है।
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आंकड़ों के आइने में देखें तो खगड़िया लोकसभा सन 1957 में अपने अस्तित्व में आया। पहली बार सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर निवासी महान स्वतंत्रता सेनानी जियालाल मंडल ने सन 1957 व 1962 में लगातार यहां का प्रतिनिधित्व किया उस समय भी वर्तमान परिसीमन के तहत ही सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा खगड़िया लोकसभा का ही हिस्सा हुआ करता था।
जियालाल मंडल के बाद दोबारा यहां से चुनाव जितने का मौका मानसी के चुकती परिवार को जाता है। 90 के दशक में रामशरण यादव ने सन 1989 एवं 1991 में लगातार जीत दर्ज कर संसद जाने का सौभाग्य प्राप्त किया।
इन दोनों के अलावे अन्य अब तक हुए चुनाव पर देखे तो 1967 के चुनाव में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के कामेश्वर सिंह,1971 के चुनाव में सोशलिस्ट पार्टी के ही शिवशंकर प्रसाद यादव एवं 1977 में जनता पार्टी के ज्ञानेश्वर प्रसाद यादव जीत दर्ज करने में सफल रहे थे।
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जबकि 1980 के उपचुनाव में कांग्रेस एक बार फिर खगड़िया की सीट अपनी झोली में डालने में सफल रही थी और सतीश प्रसाद सिंह विजयी रहे थे।जबकि 1984 के चुनाव में कांग्रेस के चन्द्रशेखर वर्मा जीते थे।इसी तरह 1996 के चुनाव में जनता दल के अनिल कुमार यादव,1998 में समता पार्टी के शकुनी चौधरी,1999 के उपचुनाव में जदयू के रेणू कुमारी, 2004 में राजद के रवीन्द्र राणा एवं 2009 के चुनाव में जदयू के दिनेश चन्द्र यादव ने जीत का परचम लहराया था।
जबकि 2014 के चुनाव में लोजपा के चौधरी महबूब अली कैसर ने जीत दर्ज की थी। 2014 चुनाव में भी यहां के मतदाताओं ने ‘एक नेता-एक मौका’ को ही चरितार्थ किया था और जदयू प्रत्याशी रहे तत्कालीन सांसद दिनेश चन्द्र यादव को तीसरे स्थान से संतोष करना पड़ा था।
जबकि पहली बार संसदीय चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रही राजद प्रत्याशी कृष्णा कुमारी यादव ने मोदी लहर में एनडीए प्रत्याशी चौधरी महबूब अली कैसर को कड़ी टक्कर दी थी।
2014 के चुनाव में विजयी रहे लोजपा के चौधरी महबूब अली कैसर ने 3,13,806 एवं राजद के कृष्णा कुमारी यादव ने कुल 2,37,803 मत प्राप्त किया था।जबकि जदयू प्रत्याशी दिनेश चन्द्र यादव को 2,20,316 मत मिला था।
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अब देखना दिलचस्प होगा कि इस बार भी यहां की जनता एक नेता एक मौका को दोहराते हैं या फिर निवर्तमान सांसद कैसर वह तीसरे व्यक्ति बन सकते हैं जो दोबारा संसद पहुंचेंगे।यह बात अभी भविष्य की गर्त में है।