गत दिनों जारी बीपीएससी परीक्षा में कई गुमनाम परिवारों के लाल ने किया कमाल


सिमरी बख्तियारपुर के महम्मदपुर एवं तरियामा से दो लाल ने अफिसर की कुर्सी थामा


सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) से ब्रजेश भारती की विशेष रिपोर्ट :-

लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती , कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती । हरिवंश राय बच्चन की इन पंक्तियों को सच कर दिखाया है सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड क्षेत्र के दो किसान पुत्रों ने। 
एक ने पहले प्रयास में दो दुसरे ने दुसरे प्रयास में बीपीएससी 56,59 वीं परीक्षा में सफलता प्राप्त किया है।


हम बात करें सफलता प्राप्त करने वाले महम्मदपुर पंचायत के बेलाटोल निवासी अमला देवी/ मनोज यादव के पुत्र कुमार उमाशंकर की तो उसने दुसरे प्रयास में यह सफलता प्राप्त किया है। सफलता से परिवार में खुशी का माहौल है। खुशी हो भी क्यों नहीं बेटा अफिसर जो बन गया है।  बीपीएससी में 485 वां रैंक ला कर सहायक योजना पदाधिकारी/सहायक निर्देशक के पद पर विराजमान होंगे।

कुमार उमासंकर (फाईल फोटो)

चयन पर चाचा दिनेश प्रसाद यादव, विनोद यादव, महेंद्र यादव, मुकेश यादव ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहते हैं आज उसने दिखा दिया है कि किसान पुत्र भी अफसर बन सकता है। 


अपनी सफलता का श्रेय मामा महेन्द्र यादव एवं बड़े भाई कुमार हिमांशु (एनटीपीसी बाढ़ में अभियंता) के साथ माता पिता को देते हुए कहते हैं परिश्रम से सफलता प्राप्त की जा सकती है लेकिन लगन सच्ची हो।


कुमार उमासंकर के छोटे भाई बीएनएमयू छात्र राजद के उपाध्यक्ष राहुल यादव ने हमसे बातचीत में कहा कि वह दौर भी बिहार में था जब अफिसर मतलब सवर्ण समाज हुआ करता था। 90 के दशक बाद बिहार के राजनितिक में लालू यादव का उदय ने पिछड़ों को जो मुंह में बोली देने का काम किया आज उसका फल सामने आने लगा है। भाई की सफलता पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि आज हम लोगों को उनपे गर्व है।

सुशील कुमार (फाईल फोटो)

वहीं दुसरे सफलता प्राप्त करने वाले प्रखंड के तरियामा पंचायत के तरियामा गांव निवासी किसान रामस्वरूप साह/रामपड़ी देवी के पुत्र सुशील कुमार की तो वे बिहार लोक सेवा आयोग की परीक्षा में सफलता प्राप्त कर किसी नगर परिषद के कुर्सी को सुसोभित कर कार्यपालक पदाधिकारी बनेंगे। उन्होंने 467 वां रैंक के साथ 87 पोस्ट रैंक प्राप्त किया है। ऐसा नहीं है कि सुशील कुमार इससे पूर्व किसी प्रतियोगिता परीक्षा में सफलता प्राप्त नहीं किया हो लेकिन लक्ष्य तो कही ओर थी। वर्तमान समय मे दिल्ली यूनिवर्सिटी में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यरत सुशील कुमार के इस उपलब्धि पर परिजनों में काफी खुशी व्याप्त है। 


शिक्षिका बहन सुलेखा देवी, भाई हेमंत कुमार कहते है कि आज उसने समाज के साथ इस खानदान का नाम रौशन किया है। इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुआ। जिला स्कूल सहरसा से मेट्रिक, कोसी कॉलेज खगरिया से बीए तो एमए पटना यूनिवर्सिटी से पास किया। उसकी सफलता से गांव के लोगों में भी खुशी का माहौल है।