?? राज्यरानी एक्सप्रेस ट्रेन कांड की पांचवी बरसी पर विशेष रिपोर्ट  ??

➡ पांचवी बरसी पर भी विकास की बाट जोह रहा धमारा घाट स्टेशन

➡ इसी स्टेशन पर 19 अगस्त 13 को ट्रेन से कट कर 28 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी

➡ आक्रोशित लोगो ने राज्यरानी के कई बोगीयों में लगा दी थी आग

धमारा घाट से लौटकर? ब्रजेश भारती की विशेष रिपोर्ट :-

हादसे की फाईल फोटो

पूर्व मध्य रेलवे अंतर्गत सहरसा-मानसी रेलखंड के धमारा घाट स्टेशन पर राज्यरानी एक्सप्रेस कांड हादसे की आज पांच वर्ष बीत चुका हैं।आज ही के दिन 19 अगस्त 2013 को घमारा घाट स्टेशन पर मां कत्यायानी मंदिर जाने वाले 28 श्रद्धालुओं की मौत ट्रेन से कट पटरी पर हो गई थी।

आज पांच वर्ष बाद भी विकास से जुड़ा कोई भी ऐसा बदलाव नही दिख रहा हैं जिससे यह प्रतित हो कि इस घटना से रेलवे स्टेशन या राज्य सरकार ने कुछ सबक लिया हो, हलांकि धमारा घाट स्टेशन पर तीन साल पूर्व ही विकास की दिशा मे कई कार्यों की शुरुआत की गई परन्तु उन कार्यो की रफ्तार इतनी मंथर गति से चल रही हैं की कार्य कब पूर्ण हो यह कह पाना असम्भव दिख रहा हैं।

घटना के बाद जिन कार्यों की शुरुआत की गई उनमे प्लेटफोर्म ऊँचीकरण, प्लेटफोर्म विस्तारीकरण आदि कार्य शामिल हैं।इसके अलावे 415 मीटर लम्बा फुट ओवरब्रिज कार्य की भी शुरुआत की गई लेकिन वर्तमान स्थिति यह है कि फुट ओवरब्रिज को छोड़ कर सभी कार्य अधर मे लटके पड़े है। कुछ कार्य चल रहे हैं लेकिन वह जिस गति से हो रहा है मानो कब पुरा होगा कोई नहीं जानता।

यहां बताते चलें कि धमारा घाट स्टेशन पुरे भारत मे उस वक्त सुर्खियों मे तब आया जब आज से चार वर्ष पूर्व 19 अगस्त 2013 की सुबह सहरसा-पटना राज्यरानी एक्सप्रेस ट्रेन जब घमारा घाट स्टेशन से गुजर रही थी उसी वक्त पटरी पार कर मां कत्यायानी मंदिर जा रहे सैकड़ों श्रद्धालु ट्रेन की चपेट में आ गई जिसमें अधिकारीक तौर पर 28 लोगो की मौत हो गई थी वही दर्जनों बुरी तरह जख्मी हो गया था। इस घटना के बाद आक्रोशित लोगो ने बोगी में आग लगा जमकर प्रदर्शन किया था। घटित घटना से पुरे भारत मे राजनीतिक हड़कम्प मच गया।तात्कालीन रेल राज्य मंत्री अधीर रंजन चौधरी ने भी घटना की शाम धमारा स्टेशन का दौरा किया और स्टेशन को विकसित करने का आश्वाशन भी दिया गया था।

इसके साथ ही सामाजिक व राजनीतिक कार्यकर्ताओं द्वारा धमारा स्टेशन के विकास की मांग की गई।रेल हादसे के दो दिन बाद 21 अगस्त 13 से युवा शक्ति के प्रदेश अध्यक्ष नागेंद्र सिंह त्यागी, आम आदमी पार्टी से जुड़े लोगो व लोक गायक छैला बिहारी ने धमारा घाट स्टेशन पर आमरण अनशन की शुरुआत की थी।25 अगस्त को तत्कालीन डीडीसी सुरेश चौधरी एवं रेल विभाग के एडिशनल डिविजन मैनेजर एनएस पटियाल ने धमारा घाट स्टेशन के प्लेटफार्म संख्या एक को 232 मीटर बढ़ाने, प्लेटफार्म संख्या दो पर 415 मीटर लंबा प्लेटफॉर्म का निर्माण, एक से दो पर जाने के लिए फुटओवर ब्रिज निर्माण की स्वीकृति की बात कही थी।

वही डीडीसी द्वारा प्लेटफार्म नंबर तीन पर दोनों साइड से लोहे की जाफरी लगाये जाने की बात कही गई थी।उसके बाद 28 अगस्त 13 को अपराह्न लगभग चार बजे राज्य सरकार के तत्कालीन एसडीपीओ राजीव रंजन, रेल विभाग के कई कर्मी धमारा घाट रेलवे स्टेशन पहुंच कर तत्कालीन खगड़िया जिला पदाधिकारी द्वारा भेजे पत्र में राज्य सरकार के सचिव प्रत्यय अमृत द्वारा बदला घाट से कोपरिया तक सड़क निर्माण की स्वीकृति, मां कात्यायनी स्थान को राष्ट्रीय पर्यटक स्थल घोषित करने की अनुशंसा केंद्र सरकार को भेजे जाने का उल्लेख किया गया था। इसके उपरांत अनशनकारियों ने अनशन समाप्त करने की घोषणा की थी।

लेकिन पांच वर्ष पूरा होने के बावजूद आज तक सारे वादे अधूरे ही है।हां, धमारा घाट स्टेशन पर कुछ कार्य जरूर हुए जो नाकाफी है साथ साथ राज्य सरकार द्वारा भी मानसी से कोपरिया के बीच सीधी सडक बनाने की बात हुई।लेकिन,घटना के पांच वर्ष बाद भी जमीनी स्तर पर उन बातों और वादों को हकीकत बनने मे काफी समय लगने की उम्मीद है।

वर्तमान मे धमारा स्टेशन पर प्लेटफोर्म ऊँचीकरण का काम चल रहा है वही अब तक जाफरी भी नही लगी है।पूर्ण कार्य के रूप मे रेलवे द्वारा लगाया गया स्टेशन पर लाउडस्पीकर और फुट ओवरब्रिज ही वादों और हकीकत की पोल खोलते है और यदि बात राज्य सरकार द्वारा प्रस्तावित बदला-कोपड़िया सड़क की करे तो उस कार्य की भी गति काफी मंथर है और अभी तक सलखुआ से फनगो हॉल्ट तक ही सड़क बन पाई है।आज भी कांवरिये या कात्यानी माँ के भक्त रेलवे लाइन और रेल पुल के द्वारा ही आना-जाना करते है जिस कारण हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती हैं।

इस हादसे के बाद भी फिर एक हादसा हो चुका है –

तीन वर्ष पूर्व भी 9 अगस्त 15 (रविवार) को  कात्यायनी मन्दिर के निकट पुल नं 50 पर बड़ा हादसा होते – होते बचा जब कांवरियो से खचाखच भरी पुल पर 18698 पटना-मुरलीगंज कोशी एक्सप्रेस आ गई।हालाँकि,ड्राईवर की सूझ-बुझ इस घटना को नाकाम करने मे सहायक सिद्ध हुई हैं।

हादसे की कहानी पीड़ीत की जुबानी –

वही पांच वर्ष पूर्व राज्यरानी ट्रेन हादसे मे अकाल मृत्यु की शिकार हुई सलखुआ प्रखण्ड अंतर्गत मुबारकपुर गांव के शर्मा टोला निवासी रामपरी देवी की चर्चा होते ही परिजनों के आँखों मे अश्रुधारा बहने लगती है।रामपरी देवी का पुत्र मिथुन शर्मा माँ की चर्चा होते हुए कहता है कि मुआवजा ले लो, मगर मेरी माँ लौटा दो।वही इसी टोले की गोंडी देवी इस घटना मे बाल-बाल बच गई।गोंडी देवी बताती है कि चार दिनों तक वह अपना सुध-बुध खो बैठी थी, नजर के सामने दर्जनों लोगो के लाशो को देखा वही कटे पैर व बदन पटरी के किनारे यू ही बिखरा हुआ था। कईयो को काल के गाल मे जाते देखा।गोंडी देवी घटना के पांच वर्ष बाद भी इस चीज पर अड़ी है कि राज्यरानी के ड्राईवर ने हॉर्न नही बजाई और यदि बजाई होती तो यह हादसा ना होता।