शिक्षा विभाग बनमा-ईटहरी में लूट की छूट, पदाधिकारी मौन 


सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) ब्रजेश भारती।


सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल क्षेत्र के बनमा ईटहरी प्रखंड में शिक्षा विभाग में सरकारी राशि कैसे डकारी जाती है यहां आने के बाद पता चल जाएगा। इस विभाग के चाहे भवन निर्माण की बात हो या फिर पोशाक, छात्रवृत्ति या फिर एमडीएम योजना की सभी जगह लूट की छूट है। 

हालांकि मामला सामने आने पर जांच जरूर होती है लेकिन कार्रवाई के नाम पर मात्र खानापूर्ति ही की जाती है। 


कुछ इसी तरह का ताजा मामला सामने आया है प्रखंड के मध्य विद्यालय तरहा में। यहां संचालित उत्प्रेरण केंद्र को छह माह संचालन की वजाय दो माह में बंद कर दिया गया जबकि पांच माह की राशि उठाव होने की बात खुद संचालक करते हैं।


मामला तब सामने आया जब शिक्षा समिति के अध्यक्ष सहित करीब दो दर्जन से भी अधिक महिला व पुरूष ग्रामीणों ने एक हस्ताक्षरित आवेदन जिला शिक्षा पदाधिकारी को देकर मामले की जांच कर उचित कानूनी कार्रवाई किये जाने की मांग की।

विद्यालय शिक्षा समिति के अध्यक्ष अनिल कुमार सहित ग्रामीण मुन्नी देवी, फुलो देवी, सुलेखा देवी, चंडिका देवी, बबीता देवी, दीपनारायण पंडित, अरूण कुमार, मनोज कुमार, फुलटुन बढ़ई, मो मशीर आलम, राम भगत, गिरधर कुमार, प्रदीप राम व अन्य ग्रामीणों के द्वारा जिला शिक्षा पदाधिकारी को लिखे हस्ताक्षरित आवेदन में कहा गया है कि मध्य विद्यालय तरहा में 21 मई को उत्प्रेरण केंद्र का संचालन किया गया। जिसमें विद्यालय शिक्षा समिति के अध्यक्ष या किसी सदस्यों को सूचना तक नहीं दिया गया, वहीं केंद्र के संचालन के दौरान बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण खाना तक नसीब नहीं हुआ । इतना ही नहीं केंद्र संचालन के दो माह पश्चात 21 जुलाई को बगैर कोई सूचना के केंद्र को बंद कर बच्चों को भगा दिया गया। जब इस बात का पता चला कि केंद्र का छह माह संचालन होना था।। 


हेडमास्टर नृपेन्द्र ठाकुर ने फर्जी तरीके से पंजी तैयार कर फरवरी 2018 से ही केंद्र संचालित दिखाया गया है। वहीं केंद्र में बच्चों की संख्या 20 से 25 के बीच ही रहता था। लेकिन हेडमास्टर के द्वारा 40 से 50 बच्चों का उपस्थिति रोजाना दर्शाया जाता था।


इधर बताते चलें कि बनमा ईटहरी प्रखंड में दो जगहों मध्य विद्यालय तरहा और मुरली स्कूल में एक ही दिन उत्प्रेरण केंद्र खोला गया और एक ही दिन बंद भी कर दिया गया। दोनों केंद्र के संचालन जांच बिंदु का सवाल पैदा कर रहा है। बताया जाता है कि दोनों केंद्र द्वारा छह महीने की जगह दो माह ही केंद्र संचालित किया गया और पांच महीने का सरकारी राशि उठाव कर लिया गया। सही से जांच हो तो सरकारी राशि डकारने का पर्दाफाश हो सकता है।


इस बावत केंद्र के संचालक सह हेडमास्टर नृपेन्द्र ठाकुर ने पूछे जाने पर बताया कि सही है कि दो माह ही केंद्र का संचालन किया गया। केंद्र संचालन करने का छह माह का था, जिसमें कि पांच माह का पैसा दिया गया। पैसा विभाग को वापस कर दिया जाएगा।