प्रशासन की ओर से अलाव जलाने की सिर्फ हो रही खानापूर्ति

सिमरी बख्तियारपुर(सहरसा) ब्रजेश भारती की रिपोर्ट :-

बीते पांच दिनों से ठंड लोगों पर कहर बनकर गिर रहा है।मौसम में आए बदलाव के कारण जन जीवन प्रभावित हो गया है। सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल क्षेत्र के तीनों प्रखंडो में आमजीवन मानों ठहर गया है। वुधवार को अधिक्तम तापमान 19 डिग्री रहा वही न्यूनतम तापमान 9 डिग्री रहा। हलांकि मंगलवार को अधिक्तम तापमान 23 डिग्री रहा था। तापमान में कमी के साथ पछुवा हवा का झोंका वुधवार को अधिक्तम 14 किलोमीटर प्रतिघंटा रहा। इंसान की कौन पुछे जानवरों व पशु पक्षियों को भी अपने आगोश में ठंड ले रखा है।

दिन प्रतिदिन गिरते पारा के कारण ठंड काफी नीचे आ गया है। तापमान में अचानक आए गिरावट से आम जन जीवन खासकर निश्सहायों पर विपरित असर पड़ा है। फुटपाथों पर जीवन गुजारने वाले निसहाय व गरीब तबके के लोग अपने स्तर से कचरों के ढ़ेर से लकड़ियां चुन ठंड से निजात पाने की कोशिश में जुटे हैं। लेकिन प्रशसनिक स्तर पर या किसी गैर सरकारी संगठनों की ओर से अबतक कहीं अलाव की व्यवस्था नही की गई है।

वुधवार का दिन भी सुबह घने धुंध से हुआ। धुंध भी ऐसा कि दृष्यता 10 मीटर भी नही मिल पा रही थी। दोपहिया या चार पहिया वाहनों के चालक सुबह दस बजे तक हेड लाइट जलाकर गाड़ी चलाते नजर आ रहे थे। दोपहर एक बजे के बाद भगवान भाष्कर ने दर्शन तो दिए, लेकिन धूप में तपिश नही होने से ठंड से निजात नही मिलने पाया। मौसम वैज्ञानियों के अनुसार ये कुछ दिनों तक तापमान में गिरावट रहेगा।

इधर सलखुआ प्रखण्ड क्षेत्र में भी नए वर्ष के आगमन के साथ ही सूर्य भगवान के तापमान में कमी होने तथा दिन में मात्र एक से दो घंटे धूप निकलने के कारण लोगों को ठंड से निजात नही मिल पा रहा है। लोगों को अलाव के पास दिन गुजारते देखा जा रहा है। सूर्य के तापमान में कमी होने तथा कुहासा के कारण लोग घरों से दिन के बारह बजे के पहले नही निकल पाते है। सबसे ज्यादा परेशानी गरीबों को हो रही है।

प्रशासन द्वारा गरीबों के बीच कंबल का वितरण नही किए जाने के कारण गरीबों को ठंड से बचाव के लिए अलाव ही सहारा रह गया है। लोगों का कहना है कि अन्य साल ठंड से बचाव के लिए प्रशासन तथा स्वंयसेवी संस्थाओं द्वारा कंवल वितरण किया जाता रहा है, लेकिन इसबार ऐसी व्यवस्था देखन को अबतक नही मिली है। लोगों ने ठंड को देखते हुए जिला प्रशासन से कंबल वितरण कराने की आवश्यकता जताई है। सबसे बुरी स्थिती पूर्व कोशी तटबंध के अंदर रहने वाले लोगों को है पछुआ हवा के ठंडे झोकों के बीच नदी का ठंडा पानी से तैर निकलने वाले हवा मानों शरीर का जमा देने की ओर अग्रसर नजर आ रहा हैं।

यही हाल बनमा-ईटहरी प्रखण्ड क्षेत्र में भी देखने को मिल रहा हैं। क्रिसमस डे के बाद से ही यहां ठंड ने जान में आफद देनी शुरू कर दी थी। धीरे धीरे यह सिलसिला आगे बढ़ता चला गया है।
वही प्रखंड प्रशासन की ओर से होने वाले अलाव व्यवस्था की बात करें तो अलाव तो कहीं कहीं जलाया गया है लेकिन ये नाकाफी नजर आ रहा हैं।

प्रशासनिक सुत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मात्र सभी प्रखंडो को अलाव मद में दस दस हजार रूपये की उपल्बध कराई गई हैं जो उंट के मुंह में जीरा का फौरन साबित हो रहा हैं। कुल मिला कर कह सकते है। ठंड से आमजीवन अस्त व्यस्त हो गया है।