रिपोर्ट में छेड़छाड़ व गलत दखल कब्जा की रिपोर्ट करने वाले राजस्व कर्मचारी पर नही हुई ठोस कार्यवाही

जदयू नेता सह वार्ड पार्षद ने सीएम से मिलकर पुरे मामले से कराया अवगत

सिमरी बख्तियारपूर(सहरसा) से ब्रजेश भारती की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट :-

प्रखंड के नगर पंचायत स्थित +2 उच्च विद्यालय सिमरी बख्तियारपुर विवादित जमीन मामले का ढ़ाई वर्षो बाद भी अबतक निपटारा नही हुआ है।

प्रशासनिक सुस्ती व विभागीय झोल की वजह से यह मामला समय-समय पर चर्चा में आता हैं फिर ठंडे बस्ते में डाल दी जाती है। कोई ठोस निर्णय नही होने से नगर वासियों में आक्रोश देखा जा रहा हैं वही इस मामले को लेकर वर्तमान में जदयू नेता वार्ड पार्षद सह विद्यालय प्रबंध समिति सदस्य चन्द्र मणी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिल सारी बातों से अबगत कराते हुये दोषी पर कार्यवाही करने की मांग की हैं।

उच्च विद्यालय

जदयू नेता ने प्रशासनि पदाधिकारीयों पर आरोप लगाते हुये कहा कि भू- माफियाओं के साथ मिलीभगत कर विद्यालय की सरकारी जमीन को निजी व्यक्ति के नाम रजिष्ट्री कर उसका गलत जमाबंदी विद्यालय प्रधान के आपत्ति दर्ज करवाने के बाद भी कर्मीयों व पदाधिकारी को मेल में लेकर कर दिया है। उन्होनें कहा कि कई साक्ष्यों के साथ आपत्ति आवेदन देने के बावजूद कोठ कार्यवाही इस मामले को लेकर नही किया जा रहा हैं जो बहुत ही खेद का विषय हैं। उन्होनें ने कहा कि मुख्यमंत्री ने जिला कमिटी से स्वच्छ जांच कराने का आश्वासन दिया है।


क्या हैं मामला –

विद्यालय के पूर्वी दक्षिणी मैदान छोड़ पोखर के समीप विवादित जमीन कुल तीन कट्टा जमीन का प्लाट है जो मैदान के साथ लगा है। यह जमीन सन 1902 में बनें खतियान किशनी तियर के नाम से चल रहा हैं। जिसका खाता पुराना 49 खेसरा 4295 रकवा 3 कट्टा हैं। उक्त जमीन को खतियानी रैयत किशनी तियर ने सन 18 मार्च 1939 को खड़गधारी सिंह के नाम केवाला संख्या 666 के माध्यम से बेच दिया।
कहा जा रहा हैं कि खड़गधारी सिंह ने उक्त जमीन विद्यालय को दानस्वरूप दें दिया। लेकिन खड़गधारी सिंह ने उस जमीन को सरकारी रजिष्ट्री उस वक्त नही किया ना ही उक्त जमीन की कोई जमाबंदी कायम करवा लगान रसीद ही कटवाये चुकि उस वक्त उन्होनें उस जमीन को विद्यालय को दे दिया था।

विवादित जमीन

वही जमीन से जुड़े जानकार का कहना है कि चुकिं खड़गधारी सिंह ने सिर्फ एक पेपर पर विद्यालय को दानस्वरूप देने की बात लिखी ना कि सरकारी रजिष्ट्री साथ ही विद्यालय ने उक्त जमीन का जमाबंदी ही कायम करवाया जिसकी वजह से वह जमीन जमींदारी प्रथा खत्म होने के समय सरकार को दिये गये रिटर्न में उपरोक्त जमीन खतियानी रैयत किशनी तियर के चार पुत्रों में से एक पुत्र झकस तियर के पुत्र पुत्र यानी किशनी तियर के पौता धुरन चौधरी के नाम दाखिल हुआ जिसका बकायदा जमाबंदी संख्या 29 कायम हो अद्धतन है। धुरन चौधरी की पुत्री ने उक्त जमीन को सन 31 दिसंबर 14 को राजेश चौधरी की पत्नी रागिनी देवी देवी के नाम 13 डीसमल रजिष्ट्री कर बेच दिया।

नोट फाईनल सर्वे – 

हाल सर्वे खतियान की बात करें तो यह जमीन बिहार सरकार के नाम दर्ज है। चुकि इस वक्त हाल सर्वे खतियान नोट फाईनल की सुची में है इसलिये इस मामले पर कुछ भी निर्णय नही लिया जाता है।


रजिष्ट्री के बाद जमाबंदी कायम के समय खुला यह मामला-

रजिष्ट्री के बाद खरीददार रागिनी देवी ने उक्त जमीन की जमाबंदी कायम करवाने के लिये जैसे ही अंचल में आवेदन की मामला सामने आ गया। तत्कालीन प्राचार्य विद्यापति झा ने 23 जनवरी 15 को उक्त जमीन की जमाबंदी कायम करने पर आपत्ति दाखिल कर दिया। लेकिन राजस्व कर्मचारी हेमंत कुमार ने आपत्ति को नजर अंदाज रिपोर्ट खरीददार रागिनी देवी के पक्ष में दे दिया जिसके आधार पर तत्कालीन अंचलाधिकारी रामेश्वर सिंह ने 26 फरवरी 15 को जमाबंदी कायम कर लगान रसीद काटने का आदेश निर्गत कर दिया।


एसडीओ ने सीओ से मांगी रिपोर्ट- 

जब इस जमीन का जमाबंदी कायम हो गया तो एसडीओ के संज्ञान में मामला जाने के बाद 8 जुलाई 16 को उन्होनें अंचलाधिकारी को पत्र भेजकर 24 घंटे के अंदर जांच प्रतिवेदन देने का निर्देश दिया था। सीओ ने जो जांच प्रतिवेदन समर्पित किया उसमें कई दोष पाये गये जिनमें अभिलेख में छेड़छाड़ व गलत दखल कब्जा खरीददार के नाम होने की बात सामने आई जिस पर उन्होनें ने उक्त राजस्व कर्मचारी हेमंत कुमार पर प्रपत्र क गठीत कर कार्यवाही सहित कायम जमाबंदी को रद्द करने की दिशा पर कार्यवाही करने का आदेश दिया।

करीब ढ़ाई वर्षो बाद आज भी ना तो जमाबंदी रद्द ना ही कर्मचारी पर कोई ठोस कार्यवाही हुई इस बीच उक्त कर्मी का तबादला सौरबाजार अंचल हो गया।

जमीन को लेकर व्यवसायिक हुआ एकजुट – 

उक्त जमीन को लेकर सिमरी बख्तियारपूर में कई बार व्यवसायिकों ने बैठक इस मामले पर गहन विचार विमर्श कर भूमाफियों के विरूद्ध अभियान चलाने का निर्णय ले बोला गया स्कूल एक सार्वजनिक स्थल है। जिसमे हर किसी का बच्चा पढ़ता है। व्यवसायी ने कहा कि लोग देवी के मंदिर को जमीन दान में देते है, एक वो है जो विद्या की देवी की मंदिर पर गलत नजर लगाए है।