पूर्व के पट्टेदारों को रसीद अबतक निर्गत नही करने का मामला

सिमरी बख्तियारपुर(सहरसा) से ब्रजेश भारती की विशेष रिपोर्ट :-

प्रखंड मत्स्यजीवि सहयोग समिति के पूर्व पट्टेदारों ने शनिवार को बख्तियारपुर थाना में जिला मत्स्य पदाधिकारी का घेराव कर जमकर हंगामा किया।हलांकि बख्तियारपुर थानाध्यक्ष रणबीर कुमार के बीच बचाव के बाद डीएफओ को वहां से निकाला गया।

घेराव कर रहें जितेन्द्र मुखिया,आनंदी मुखिया,संतोष मुखिया,मुकेश मुखिया,प्रमोद सहनी,दीप नारायण सहनी आदि ने बताया कि हमलोगों को बार-बार समय देकर प्रखंड मत्सस्यजीवि सहयोग समिति सिमरी बख्तियारपुर के नव निर्वाचित महामंत्री माधुरी देवी राजस्व रसीद निर्गत नही कर रही हैं। आज शनिवार को डीएफओ साहब के सामने थाना पहुंच कर रसीद देने की बात कहीं गई थी लेकिन वह नही पहुंची हमलोग लाखों रूपये लेकर आते है उनके टालमटौल रवैये की वजह से लौट चले जाते है।

इनलोगो का कहना था कि जानबुझकर महामंत्री रसीद निर्गत करना नही चाह रही हैं आज डीएफओ के कहने के बाबजूद वह थाना नही पहुंची।जो बहुत ही खेद का विषय है।इनलोगों ने कहा कि स्वंय डीएफओ साहब अपने स्तर से राशि लेकर रसीद निर्गत कर शिकार माही की आदेश दें।

क्या हैं पुरा मामला –

उपरोक्त विवाद के संबंध में प्राप्त सुत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सिमरी बख्तियारपुर प्रखण्ड के 42 जुलाई श्रेणी के पोखर एवं 15 अक्टुबर श्रेणी मखाना सह जलकर पोखर के पूर्व के पट्टेदारों को रसीद निर्गत कर शिकारमाही करने हेतू रसीद निर्गत करने का आदेश समिति के महामंत्री को करना है।
एक श्रेणी में 5 लाख 38 हजार तो दुसरे श्रेणी में 72 हजार रूपये की राशि पूर्व के पट्टेदारों से लेकर 15 प्रतिशत राशि सहयोग समिति को रख सरकारी खजाने में जमा करने की नियम है। लेकिन अन्दुरीनि राजनिति की वजह से जाम बुझ कर राशि पट्टेदारों से नही लिया जा रहा हैं।

7 वर्ष बनमा 5 वर्ष का झंझट –

मत्सस्यजीवि सहयोग समिति का चुनाव हरेक पांच वर्षो पर होता है लेकिन सरकारी पोखर एवं जलकरों का बन्दोवस्त सात वर्षो के लिये नियमत: किया जाता है। इस वार भी पांच वर्षो पर इस वर्ष समिति का चुनाव हुआ नये लोग चुन कर समिति के विभिन्न पदों पर काबिल हो गया। अब मामला यही फंस गया नियमत:सात वर्षो तक पूर्व के पट्टेदारों को ही पुनः पट्टेदारों की रसीद काट महाल देना है। लेकिन नवनिर्वाचित समिति के लोग अपने चहेते को महाल देना चाहते है किसकी वजह से उपरोक्त समस्या उत्पन्न हो रही हैं। वही डीएफओ के लचर निति की वजह से ये लोग परेशान रहते है।