कव्वाली : ड्योढ़ी में रात भर सलीम चिश्ती और शमा रूबी की लगी रही महफिल

सिमरी बख्तियारपुर(सहरसा)से ब्रजेश भारती की रिपोर्ट :-

नगर पंचायत के ड्योढ़ी में शनिवार को कव्वाली कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत लोक जनशक्ति पार्टी के नेता युसूफ सलाहउद्दीन नगर अध्यक्ष प्रतिनिधि मोजाहिर आलम,नप उपाध्यक्ष विकाश कुमार,मो कासीफ आलम,मो पप्पु आदि ने फीता काट कर किया।

इसके उपरांत युसूफ सलाहउद्दीन ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि यह धरती सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल रही है। उन्होंने कहा कि दुनिया में दुसरो की मदद करना ही असली इस्लाम है, यतीमों की मदद करें और यतीमो की मदद करना ही असली ईद है।वही मोजाहिर आलम ने कहा कि इस तरह के आयोजन से आपसी एकता मजबूत होती है।
विकाश कुमार ने कहा कि आज के समय में भेदभाव की राजनीति छोड़ प्यार की राह पर चले और हिंदू – मुसलमान की सोच त्याग कर इंसान बने।

कव्वाली में कोलकाता के सलीम चिश्ती के पुत्र छोटे सलीम वारसी और शमा रूबी के बीच जबरदस्त मुकाबला का हुआ।दोनों कव्वालों ने अपने बेहतरीन प्रदर्शन से उपस्थित जनसमूह को झूमने पर मजबूर कर दिया।कार्यक्रम इतना शानदार रहा कि दोनों कव्वालों के बीच मुकाबला सुबह छह बजे तक चला।

कार्यक्रम की शुरुआत सलीम चिश्ती ने एक शायरी से करते हुए कहा कि
अभी बंद हुई आँखों के कई अरमान बांकि है, हमारी टूटती हुई सांसों में हिंदुस्तान बांकि है।उसके बाद कहा कि सीता की रिफाकत है तो सब कुछ पास है, जिंदगी कहते है जिस को राम का बन – बास है।जिसे सुन दर्शक वाहवाही कर उठे।

शमा रूबी ने नज्म पेश करते हुए कहा कि जुबान में नाम तेरा – दिल में जुस्तुजूं तेरी, मेरी सदा से उभरती है आरजू तेरी, मेरे खुदा मेरे लहजे को पूर असर कर दे, की अहले वज्म से गुफ्तगू करती हूँ तेरी।वही कव्वाल सलीम ने कहा कि मेरे वतन की खुशहाली हो, हर आंगन में दिवाली हो।ऐसा करिश्मा मौला दिखा दे और दुश्मन को भी दोस्त बना दे। इसके बाद तसलीम और आसिफ ने कहा कि उन पे कुर्बान हर ख़ुशी कर दी, जिंदगी नज्र – ए – जिंदगी कर दी।उसके बाद तसलीम ने कहा कि जर्रे को चट्टान को बना दे या अल्लाह, वहसी है इंसान बना दे या अल्लाह।

हिन्दू मुस्लिम खाये एक थाली में, ऐसा हिंदुस्तान बना दे या अल्लाह।वही कव्वाला शमा ने नज्म पेश करते हुए कहा उदास आँखों से आंसू नही निकलते है, ये मोतियों की तरह सीपियों में पलते है।

इस मौके पर समाजसेवी अबु ओसामा, वसी उल होदा, मो अफरोज, मो ओवेश आलम, मो सलमान, मो अहमद, मो हसनैन, जमशेद, मो इकबाल, मो मोजाहिर, मो अशगर, मो मशिर, मो शमशीर सहित अन्य मौजूद थे।