बिहार बोर्ड को पांच लाख का जुर्माना लगाने वाली कोशी की बेटी प्रियंका सिंह से मेरी खास बातचीत :-
जी हां, सफर में मुश्किलें हमेशा रहती है लेकिन आपकी काबिलियत आपको मंजिल पर जरूर पहुंचाती है।शायद ऐसा ही कुछ सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड अंतर्गत सिटानाबाद पंचायत के गंगा प्रसाद टोले की प्रियंका सिंह ने कर दिखाया। दैनिक सोनभद्र के साथ बातचीत में प्रियंका ने कहा कि कड़ी मेहनत के बावजूद रिजल्ट फेल आना बहुत बुरा लगा था।परंतु मैने हिम्मत हारने के बजाय लड़ने का रास्ता चुना और जीत हासिल की।
प्रियंका कहती है कि हाई कोर्ट से मिले निर्णय से सिर्फ मुझे न्याय नही मिला उन सभी को न्याय मिला जो अपने हक की लड़ाई लड़ना चाहते है क्योंकि न्यायाधीश चक्रधारी शरण सिंह ने आदेश दिया है कि रिजल्ट की स्क्रूटनी में खानापूर्ति होती है इसलिए इस व्यवस्था में सुधार हो और एक कमिटी गठित हो जो वैसे छात्र – छात्राओं जो स्क्रूटनी से संतुष्ट नही है, उनकी कॉपियों की जांच करे।प्रियंका बताती है कि रिजल्ट आने के कुछ दिन बाद जुलाई महीने के पांच तारीख को बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के चेयरमैन, परीक्षा नियंत्रक, मुख्य निगरानी पदाधिकारी सहित मुख्यमंत्री सचिवालय, शिक्षा मंत्री आदि को आवेदन देकर न्याय की गुहार लगाई।परंतु संतोषजनक जवाब ना आने के उपरांत मैने जुलाई माह के सत्रह तारीख को हाई कोर्ट में इंसाफ की लड़ाई की शुरुआत की थी। लगभग तेरह बार कोर्ट में चली सुनवाई के बाद अंततः जीत सत्य की हुई।
प्रियंका ने बताया कि नया रिजल्ट जारी हो गया है , जिसमे बोर्ड ने सुधार करते हुए संस्कृत में 61 और साइंस में सौ नंबर दिये है।प्रियंका कहती है कि परिवारजनों के अलावा मेरे शिक्षक मनोज सर, नरेंद्र सर, डीपी सर ने मेरा हमेशा साथ दिया।इन सभी के उचित मार्गदर्शन ने मुझे हक की लड़ाई लड़ने की हिम्मत दी।प्रियंका के मुताबिक यदि कोई भी विद्यार्थी अपनी रिजल्ट से संतुष्ट नही तो वह इसके लिए अंत तक लड़े, जीत सचमुच उसी की होंगी।