पूर्व कोशी तटबंध के बाहर बारिश का पानी तो अन्दर बाढ़ का पानी मचा रही तबाही
- शहर के गली मुहल्ले में घुसा पानी, वहीं खेतों में लगी फसलें डुबनी शुरू
ब्रजेश भारती की कलम से : इसे विडंबना कहें या नियति, बाढ़ व बरसात का पानी हमेशा उत्तर बिहार के लोगों के लिए अभिशाप बनकर सामने आता है। जुन जुलाई से शुरू होकर अगस्त सितम्बर तक दोनों प्रकार के पानी(बाढ़-बरसात) आमजन से लेकर पशु तक परेशान रहते हैं। यह हाल अभी चल रहा है।
लगातार दो दिनों से हो रही बारिश ने शहर से लेकर गांव तक की सुरत व शिरत दोनों बदल कर रख दिया है। उस पर से कोरोना का भय एवं लॉकडाउन की चर्चा करना भी बेकार है। फिलहाल बात बरसात की पानी से उत्पन्न समस्या पर करें तो बेहतर होगा। बरसात के पानी का यह हाल हो गया है कि गली मुहल्ले पानी पानी हो गया है।
सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल क्षेत्र बरसात के पानी से परेशानी में पड़ता दिख रहा है। सबसे पहले बात सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड एवं नगर पंचायत क्षेत्र की करें तो नगर पंचायत के हरेक मुहल्ले में पानी जमा हो गया है आमजनों को घरों से निकलने में परेशानी हो रही है। पानी निकासी के लिए बनाए गए नाली तो बहुत पहले जाम से दम तोड़ दिया है। हालांकि आज नगर कर्मी कहीं कहीं नाली सफाई करते नजर आए लेकिन यह ढाक के तीन पात वाली बात होगी।
अब बात ग्रामीण क्षेत्र की करें तो वहां की हालत बहुत दयनीय हो गई है सबसे बड़ी परेशानी ग्रामीण क्षेत्रों में पशु चारा व पशु को लेकर उत्पन्न हो गया है खेतों में बरसात का पानी कब्जा जमा लिया है पशुचारा पानी में डुब गया है। सुखा स्थल नहीं रहने की वजह से पशुओं को खोल कर चराने की परेशानी बहुत दुःख दाई हो गया है। खेत खलिहान में चारा करने वाले पशु घरों के आगे बंधे नजर आ रहे हैं।
अब बात खेतों में लगे फसल की करें तो अभी धान की फसल लगा पहले स्टेज में रोपाई उपरांत है ऐसे समय खेत पानी से डुब गया है अगर एक सप्ताह पानी जमा रह गया तो धान की फसल साफ हो जाएगा। किसान की गाढ़ी लागत कर्ज के भंवर में फंस जाएगी। किसान के हालात फिर वही के वही रह जाएंगे।
अब बात करें सलखुआ प्रखंड क्षेत्र की यहां के लोगों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है यहां बरसात का पानी के साथ बाढ़ का पानी भी तबाह कर रहा है। तटबंध के बाहर सैकड़ो एकड़ धान की फसल डूबने की कगार पर है। मुबारखपुर, सलखुआ, माठा, हरेवा, गौसपुर, गोरियारी में खेतों में लगी धान की फसल डुब चुकी है।
तटबंध के अंदर तो चार पंचायतो के दर्जनों गांव जिनमें कोपरिया, सितुआहा के भाग, उटेशरा, हरिनसारी, बनकटी, हथड़ा, महादेव मठ, हरिपुर, पाठकटोल, कोतवालिया, बंनगामा, घोरमाहा, ताजपुर, वहुअरवा भरना, टेंगराहा, बगेवा, पिपडा, कामराडीह, गोरदह पहले से बाढ़ की वजह से परेशान हैं।
इसी तरह का कुछ हाल बनमा-ईटहरी प्रखंड क्षेत्र का है यहां तटबंध के अन्दर व बाहर वाली बात नहीं है फिर भी बाढ़ व बरसात तबाही मचा रखा है। मुख्य बाजार तेलियाहाट का हाल किसी से छुपा हुआ नहीं है नरकीय जीवन बाजार का है तो ग्रामीण क्षेत्रों का कहना बेमानी होगी। यहां मुलत: बरसात व सुगमा व मनौरी धार का पानी तबाह करता है।
घौड़दौर से लेकर ईटहरी पंचायत पानी से लबालब भर गया है। कोशी नदी को बांधने पूर्व तटबंध कोपरिया रेलवे स्टेशन के समीप ही खत्म हो जाने की वजह भी बनमा ईटहरी में बाढ़ के पानी का घुसने का प्रमुख कारणों में एक हैं। इस क्षेत्र में लगी धान की फसल पुरी तरह चौपट हो गई है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि बाढ़ व बरसात का पानी ने आमजनों से लेकर फसलों तक को पानी-पानी कर दिया है।