अब तक हुए 17 बार के चुनाव में 7 नेता बनें विधायक, 13 बार दो परिवार के बीच रहा सीट
  • दो एनडीए सांसद के टकरार से बच गया सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा सीट

ब्रजेश भारती : बिहार विधानसभा चुनाव 2020 चल रहा है टिकट व गठबंधन की तस्वीर लगभग फाइनल हो चली है। ताज़ा जानकारी यह है कि बिहार के 243 सीटों में एक सिमरी बख्तियारपुर सीट जेडीयू की परंपरागत सीट अब बीजेपी के खाते में चली गई हैं और गठबंधन के तहत मुकेश सहनी की पार्टी यहां से चुनाव लड़ेंगी। संभवतः खुद मुकेश सहनी या उनके उम्मीदवार कमल निशान के साथ मैदान में नजर आएंगे।

खैर यह तो दो चार दिनों की बात होगी कौन होंगे उम्मीदवार। अब बात अगर एक साल पूर्व हुए उपचुनाव की कर लें तो आरजेडी के निवर्तमान विधायक जफर आलम का टिकट लगभग कट चुका है वहीं जदयू के गत विधानसभा चुनाव के रनर प्रत्याशी डॉ अरूण कुमार यादव का टिकट गठबंधन की भेंट चढ़ गया है। वर्तमान में दोनों प्रत्याशी जीते एवं हारे दोनों इस बार मैदान में नजर नहीं आ रहें हैं। यह दिगर होगी कि भले किसी अन्य दल से मैदान में दिख जाए तो वो अलग बात होगी।

ब्रजेश की बात

जदयू की परंपरागत सीट बीजेपी के खाते में : खगड़िया लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र परंपरागत रूप से कांग्रेस फिर जनता व उसके बाद जेडीयू की रहीं हैं लेकिन वर्तमान चुनाव में जदयू की यह सीट गठबंधन की भेंट चढ़ पहली बार बीजेपी की झोली में चली गई है। यह अलग बात है कि बीजेपी सीट झटक कर भी मुकेश सहनी की पार्टी के झोली में डालना पड़ गया। इस विधानसभा सीट पर सन 1957 से ही से दो परिवारों के बीच हार जीत का खेल चलता रहा है।

प्रथम विधायक जियालाल मंडल(फाइल फोटो)

यह अलग बात रही की 1952, 1969 व 2010 एवं 2019 उपचुनाव में दोनों परिवार से अलग जिया लाल मंडल, रामचंद्र प्रसाद एवं डा अरूण यादव एवं जफर आलम ने एक एक बार जीत दर्ज किया लेकिन दोनों इस बार मैदान से बाहर नजर आ रहे हैं।

सात बार के निर्वाचित विधायक चौधरी सलाउद्दीन (फाइल फोटो)

इस चुनाव में जेडीयू के सामने सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा सीट पर फिर से तीर चलाने की चुनौती थी लेकिन ऐन वक्त पर यह सीट गठबंधन की भेंट चढ़ भाजपा के खाते में चली गई लेकिन कमल खिलाने की जिम्मेदारी नाव के खेबनहार मुकेश सहनी के पतबार पर निर्भर करेगा ।

ढाई वर्षों के लिए निर्वाचित विधायक राम चन्द्र प्रसाद (फाइल फोटो)

अतीत के आइने में : सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र के चुनावी अतीत की बात करें तो सन 1952 से लेकर 1990 तक यह कांग्रेस के बपौती सीट रही है। पहले आम चुनाव में कांग्रेस के जिया लाल मंडल ने उस समय के प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी सोसलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार बमभोली मंडल को हराकर इस सीट पर कब्जा जमाया था। उस समय के तत्कालीन नवाब चौधरी नजरूल हसन को तीसरे नंबर पर रह कर संतोष करना पड़ा।

तीन बार निर्वाचित विधायक दिनेशचंद्र यादव (फाइल फोटो)

उसके बाद जिया लाल मंडल के खगड़िया एमपी में टिकट मिलने के बाद नवाब साहब के पुत्र चौधरी सलाउद्दीन ने फिर इस विधानसभा सीट से पीछे मुड़कर नहीं देखा और लगातार विधानसभा निर्वाचित होते चले गए ( सिर्फ 1969 में रामचंद्र प्रसाद से हार को छोड़ कर)
एसएसपी (समाजवादी सोशलिस्ट पार्टी) के रामचंद्र प्रसाद ने 1969 में कांग्रेस उम्मीदवार चौधरी सलाउद्दीन को पराजित कर विधानसभा पहुंचने में सफल रहे थे लेकिन 1972 के चुनाव में कांग्रेस ने फिर विजयश्री पाई। कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे चौधरी मोहम्मद सलाहुद्दीन ने एसएसपी के उम्मीदवार को पराजित कर 1969 में मिली चुनावी हार का बदला चुकता कर दिया।

तीन बार निर्वाचित विधायक चौधरी महबूब अली कैसर

मोहम्मद सलाहुद्दीन ने 1977, 1980 और 1985 के चुनाव में भी जीत के क्रम को बरकरार रखा और सात बार इस सीट से विधायक बनने का सौभाग्य प्राप्त किया। लेकिन उनके मृत्यु उपरांत 1990 में जनता दल के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे दिनेश चंद्र यादव ने कांग्रेस के विजय रथ को रोक पहली बार नवाब खानदान की परंपरागत सीट झटक चुनावी बाजी जीतकर विधायक निर्वाचित हुए।

एक बार निर्वाचित विधायक डॉ अरूण कुमार यादव

लेकर साल 1995 के चुनाव में फिर नवाब खानदान की तीसरी पीढ़ी चौधरी महबूब अली कैसर ने सिमरी बख्तियारपुर सीट फिर से कांग्रेस की झोली में डाल परंपरागत सीट पर कब्जा जमा लिया। साल 2000 के चुनाव में भी कांग्रेस के महबूब अली कैसर विधायक निर्वाचित हुए।

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साल 2005 में दिनेश चंद्र यादव ने महबूब अली केसर को चुनाव में हरा दिया लेकिन 2009 में खगड़िया से सांसद बन जाने के बाद उपचुनाव में इस सीट पर कांग्रेस के महबूब अली कैसर ने बाजी मार ली। हालांकि, कांग्रेस इस सीट को बरकरार नहीं रख पाई और 2010 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू के अरुण कुमार विजयी रहे।

निवर्तमान विधायक जफर आलम (फाइल फोटो)

साल 2015 में जेडीय ने इस सीट से निवर्तमान विधायक अरुण यादव के बदले दिनेश चंद्र यादव भरोसा जताया और जनता ने भी उस भरोसे पर मुहर लगा दी वो एलजेपी के युसूफ सलाउद्दीन को मात देकर इस सीट पर जेडीयू का कब्जा बरकरार रखने में सफल रहे। लेकिन मधेपुरा सांसद के रूप में जीत दर्ज कर लेने के बाद खाली हुए सीट पर 2019 में हुए उपचुनाव में आरजेडी के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरे जफर आलम विजयी रहे और यह सीट पहली बार लालू प्रसाद की पार्टी जीतने में कामयाब रही।

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7 नवंबर को तीसरे चरण में होगा मतदान : इस बार अंतिम चरण में यानी 7 नवंबर को सिमरी बख्तियारपुर के मतदाता विधानसभा में अपना प्रतिनिधि चुनने के लिए मतदान करेंगे। ऐसे में देखना होगा कि वे यह सीट बीजेपी से कमल खिलाएंगी या फिर महागठबंधन उपचुनाव में मिली सफलता के क्रम को बरकरार रखने में सफल रहता है। परिणाम 10 नवंबर को आएंगे।