नक्सलियों ने स्थानीय गिरोह से मिल रामानंद का किया सफाया
- कोशी दियारा में गरीबों एवं पुलिस का हमदर्द बन दशकों कायम रखा राज
सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) ब्रजेश भारती : सहरसा- खगड़िया जिले के कोशी दियारा क्षेत्र फरकिया में बुधवार की शाम एक युग का अंत हो गया वह युग है रामानंद पहलवान। बुधवार की शाम नक्सलियों ने छोटे बदमाश गिरोह से मेल कर घोड़े से घर आ रहे रामानंद यादव को घेर ताबड़तोड़ गोलियां की बौछार कर मौत के घाट उतार दिया।
देर रात बख्तियारपुर पुलिस इंस्पेक्टर कृष्ण कुमार, बख्तियारपुर थानाध्यक्ष रणवीर कुमार, चिड़ैया ओपी प्रभारी फहीमउल्लाह, सलखुआ थानाध्यक्ष एम रहमान पुलिस वाले के साथ दियारा पहुंच शव को कब्जे में लेकर घटना स्थल से खोखा बरामद कर गुरूवार सुबह पुलिस बख्तियारपुर थाना लाया जहां कागज़ी कार्रवाई उपरांत शव को पोस्टमार्टम के लिए सहरसा भेज दिया।
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हत्या के संबंध में पहलवान पुत्र रौशन कुमार ने बताया कि नक्सलियों ने छोटे बदमाश गिरोह से मेल कर दियारा में अपनी पकड़ बनाए के लिए एक सुनियोजित साजिश के तहत हत्या कर दी है। उन्होंने नक्सलियों से परिवार को भी खतरा बताते हुए पुलिस से अपनी व परिवार की रक्षा की गुहार लगाई।
बीते कई वर्षों से शांत पड़ा दियारा एक बार फिर रक्त रंजित की राह पर चलने को व्याकुल दिख रहा है। अब दियारा में नक्सली राज कायम होगा और लेवी वसूली की शुरुआत पहली बार इस क्षेत्र में देखने को मिलेगी। वहीं पुलिस के लिए भी सिरदर्द बढ़ जाएगा।
● कई कुख्यात पैदा हुए दियारा में : कोसी दियारा – फरकिया क्षेत्र में हमेशा से अपराधियो का गढ़ रहा है। इस भूमि में रामानंद यादव गिरोह एवं नक्सलियों में बराबर खूनी संघर्ष का बहुत पुराना इतिहास है। नक्सली दियारा – फरकिया में अपना संगठन मजबूत करने व जमीन हड़पने के लिए खूनी संघर्ष करते है तो वही रामानंद गिरोह अपना वजूद बचाने के लिए नक्सलियों से टकराते है।
परंतु यह भी सच है कि कइयों बार रामानंद पहलवान गिरोह ने नक्सलियों से भिंडत कर पुलिस की भी प्रतिष्ठा बचाई है। चिड़ैया ओपी के सर्वजिता गांव में वर्ष 07 में नक्सलियों के साथ पुलिस का मुठभेड़ हो गया इस मुठभेड़ में सैफ जवान अर्जुन सिंह की हत्या कर इनसास राईफल एवं पुलिस वर्दी लूट ली थी उस वक्त रामानंद पहलवान ने अपने साथियों के साथ बैकअप देकर देकर सैकड़ों चक्र गोली चला कई अन्य पुलिस जवानों की जान बचाई थी। इन्हीं सब वजह से रामानंद पुलिस के हितैषी भी बन गये। फिलहाल उस वक्त रामानंद पुलिस के नजरो में फरार चल रहे थे।
हत्या बाद घटनास्थल से बरामद खोखा
18 नवम्बर 2016 को एसटीएफ की टीम ने रामानंद गिरोह की सफाया करने के उद्देश्य से चिड़ैया ओपी के बेलाही गांव में घेराबंदी कर रामानंद को पकड़ने का पूरा प्रयास किया.लेकिन दोनो तरफ से हुए मुठभेड़ के बाद रामानंद भागने में सफल हो गया.हालांकि रामानंद यादव का पुत्र रौशन एसटीएफ के हत्थे चढ़ गया.साथ ही दो राईफल, एक पिस्टल और एक देशी कट्टा समेत एक सौ जिंदा कारतूस बरामद करने में सफलता पाई।
● नक्सलियों को दियारा पसंद है : 2009 में रामानंद यादव को एसटीएफ की टीम ने अलोली के गुरदीकोर्ट से गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जेल जाने के बाद इलाके में नक्सलियों ने तेजी से पांव पसारना शुरू कर दिया था। 2013 के लगभग में बेलाही – कलबाड़ा के बीच रामानंद यादव गिरोह एवं अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सत्यनारायण प्रसाद के नेतृत्व में मुठभेड़ के बाद रामानंद यादव को गिरफ्तार कर लिया गया।
जिसमे एक पुलिस जवान को गोली लगने से घायल हो गये था। दियारा में नक्सली हिंसा का पुराना इतिहास रहा है महादलित व गरीबों को नक्सली अपने बहकावे में फसा कर संगठन से जोडते है और फरकिया के खाली भूभाग वाले जमीन पर लालझंडा लगा कर जमीन हड़पने एवं फसल लूटने की घटनाए आम है.जबकि रामानंद के अधिकांश जमीन पर नक्सली की नजर टीकी है.जमीन हड़पने को लेकर संगठन का विस्तार करना शायद नक्सली का मुख्य योजना है।
● दर्जनों मुठभेड़ का गवाह बना कोशी दियारा : सहरसा – खगड़िया जिले के सीमावर्ती इलाका कोशी दियारा के फरकिया क्षेत्र में कई अपराधी गिरोह का सफाया अबतक एसटीएफ ने किया है वहीं गैंगवॉर में भी कई बदमाश मारे गए। कोशी दियारा कि धरती बीते कई वर्षो से गोलियों की गुंज से थर्रा चुकी हैं.हालांकि बीच बीच में एसटीएफ की कार्रवाई से क्षेत्र मे शांति को बढावा मिला।
वर्ष 2015 में दियारा – फरकिया के कुख्यात अपराधर्मी रामपुकार यादव गिरोह की अंतिम पीढी विपीन व दिनेश यादव सहित कुल सात अपराधीयों को भारी मात्रा में हथियार व कारतूस के साथ पटना से पहुंची। एसटीएफ ने गिरफ्तार जेल भेज दिया था।
दियारा में करीब आधा दर्जन छोटे – बड़े अपराधी गिरोहों का वर्षो से बर्चस्व कायम रहा हैं। जिनमें रामपुकार यादव, रामानंद यादव, इंग्लिश चौधरी ने भी दियारा में अपना वर्चस्व दिखाया। वर्ष 2006 में दियारा का कुख्यात इंगलिस चैधरी को सरस्वती पुजा के दिन कबीरपुर गांव में लगे मेले के दौरान एसटीएफ ने मुठभेड में मार गिराया। उसके बाद गिरोह कि कमान सत्तन चैधरी के पास आ गई। वही छबीलाल यादव के अंत के बाद रामपुकार यादव के पारिवारिक गिरोह की कमान विपीन के पास थी जो कुछ साल एसटीएफ के हत्थे चढ़ा।
● कुख्यात रामपुकार था सरगना : रामपुकार यादव पुर्णिया जिले के जानकी नगर थाना क्षेत्र में एक आपसी गैंगवार में मारा गया। रामपुकार की मारे जाने के बाद गिरोह की कमान छोटे भाई रमेश यादव ने संभाल लिया। इस बीच सत्तन चौधरी व रमेश यादव के बीच वर्चस्व को लेकर गोलाबारी व हत्या की घटना बीते समय में होती रही। जिसकी वजह से दोनो गिरोह पुलिस के लिये सरदर्द बनी रही।
● सत्तन का दबदबा रहा : खगड़िया जिले के धमहारा धाट रेलवे स्टेशन से पुरब सिसवा गांव में वर्ष 2008 में सत्तन चैधरी को मुठभेड़ में पुलिस ने मार गिराया। हालांकि पुलिस के सहयोगी मुखिया विजय यादव भी इस मुठभेड में मारे गये। सत्तन चौधरी के मारे जाने के बाद दियारा क्षेत्र में रमेश यादव की एक बार फिर से वापसी हो गई और दियारा क्षेत्र में तूती बोलने गली।
● गैंगवार में मरा कुख्यात रमेश : सहरसा जिले के बनमा ईटहरी प्रखंड के खुरेशान गांव चिमना रहि बहियार में गैंगवार में कुख्यात रमेश यादव व शार्प सुटर बैधनाथ यादव की हत्या जाहिद उर्फ कमांडों के द्वारा कर दी गई। रमेश के मारे जाने के बाद उसके उत्तराधिकारी के रूप में छोटे भाई छबिलाल यादव ने गिरोह की कमान संभाल ली। वर्ष 2009 में खगड़िया जिले के कैंजरी मोड़ के समीप पुलिस मुठभेड में छबिया यादव व उसके दो सहयोगी का अंत हो गया फिर पुलिस ने कुख्यात जाहिद उर्फ कमांडो को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, जो आज भी जेल में कैद है।
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