पंचायत की मुखिया संजू निषाद ने डीएम से उक्त मामले की वरीय अधिकारी से की जांच की मांग


सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) ब्रजेश भारती की रिपोर्ट :-


सरकार चाहे जो दावे कर ले लेकिन तटबंध के अन्दर गरीबों को सरकारी स्तर पर दिए जा रहे सस्ती दर पर खाद्यान्न का जमकर कालाबाजारी हो रहा है। 


सरे आम डीलर खुले बाजार में सरकारी खाद्यान्न बेच मालामाल हो रहे हैं पदाधिकारी बिना जांच किए ही क्लीन चीट दे देते हैं। ऐसा नहीं है कि यह कोई नहीं बात है लेकिन प्रशासनिक उदासीनता की वजह से कुछ डीलर पुरे खाद्यान्न हजम कर जाते हैं और कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति कर फिर ढ़ाक के तीन पात पात वाली बात हो जाती है।

ताज़ा मामला सहरसा जिले के सलखुआ प्रखंड अन्तर्गत अलानी पंचयात के तीन वार्डो के 97.15 क्विंटल खाद्यान्न को कालाबाजार में डीलर ने बेच दिया। आमजनों को गुमराह करने के लिये 59 पैकेट लगभग 29.75  क्विंटल खाद्यान्न को स्पर पर एक व्यक्ति दानी चौधरी के आवास में रख दिया। लेकिन शिकायत के बाद ना तो कोई वरीय अधिकारी व ना ही बीएसओ ने इस बात की जांच में कोई दिलचस्पी लिया कि आखिर उठाव के बाद वितरण किया गया की नही।


क्या है मामला –


सलखुआ प्रखंड के अलानी पंचायत के वार्ड नंबर1, 2, एव 3 के लाभुक का डीलर शिवजी पांडेय है। यू तो शिवजी पांडेय सिमरी बख्तियारपुर के नगर पंचायत के पुरानी बाजार में रहते है। यही से सलखुआ में जनवितरण प्रणाली की दुकान चलाते हैं हालांकि ये कोई पहला डीलर नही है जो नगर में रह ग्रामीण क्षेत्रों का जनवितरण की दुकान चलाते हैं। डीलरसीप में अकूत कमाई का नतिजा है कि अधिकांश डीलर उंची उंची बिल्डिंग बना मोज कर रहे गरीब खाद्यान्न के लिए भटकते रहते हैं। 

देखें वीडियो : लाभूकों की जुबानी डीलर करतूत की कहानी

खैर इन बातों को पीछे छोड़ मुल मामले पर अगर प्रकाश डाले तो उपरोक्त डीलर के द्वारा कालाबाजारी कर खाद्यान्न बेचे जाने की शिकायत इस पंचायत की मुखिया संजू निषाद को लाभूकों द्वारा किए जाने के बाद जब मुखिया ने कई लाभुक का राशन कार्ड का जांच किया तो डीलर ने बिना राशन-किरासन दिए ही कार्ड पर अक्टूबर माह का अनाज अंकित कर बिना हस्ताक्षर बना कार्ड भर दिया।

वार्ड नंबर 2 के लाभुक अदवा देवी, सुनीता देवी, मीरा देवी, गीता देवी, अनिता देवी, देवली देवी, अंजन देवी, तेतरी देवी, सहित कई दर्जन ऐसे लाभुक है जिनका कार्ड पर बिना राशन दिए ही कार्ड पर खाद्यान्न अंकित कर दिया। इन लोगों ने बताया कि गत माह जब खाद्यान्न दिया जा रहा था तो उसी समय अक्टूबर माह का भी लिख दिया। चुंकि अधिकांश लाभूक अनपढ़ होने की वजह से यह नहीं जान सका कि अगले माह का खाद्यान्न चढ़ा दिया गया है। हालांकि जो इस बात का विरोध किया तो उसे अगले माह मैनेज कर देने की बात कही गई।


अक्टूबर माह का उठाव –


प्रखंड आपूर्ति कार्यालय सलखुआ से मिली जानकारी के अनुसार 14 अक्टूबर को 38 क्विंटल 15 किलोग्राम गेहू, एव 58 क्विंटल 29 किलोग्राम चावल का उठाव डीलर के द्वारा किया गया। लेकिन डीलर के द्वारा उपरोक्त सभी खाद्यान्न का कालाबाजारी कर बेच दिया।


उसके बाद पुनः 28 अक्टूबर को 11 क्विंटल 90 किलोग्राम गेहूं एवं 17 क्विंटल 85 किलो चावल का उठाव कर इस खाद्यान्न को वितरण करने के लिए कोशी तटबंध के स्पर पर बसे एक लाभूक के घर पर रख दिया गया। जो अभी वितरण किया जाएगा। 


मीडिया में छपी खबर पर अगर करवाई होती तो दुबारा कालाबाजारी नही होता –

26 जुलाई 18 को विभिन्न मीडिया में इसी डीलर के विरुद्ध तीन माह से लाभुक को राशन-किरासन नही मिलने की शिकायत पर प्रमुखता से प्रकाशित किया था। अगर उस समय वरीय अधिकारी उक्त डीलर के खिलाफ कार्रवाई करते तो शायद इस बार 90 क्विंटल खाद्यान्न बिकने से बच सकता था। 


मुखिया ने जिलाधिकारी को लिखा पत्र –


अलानी पंचायत के मुखिया संजू देवी ने जिलाधिकारी एव एसडीओ को पत्र लिखकर अलानी पंचयात के वार्ड नंबर 1, 2 एव तीन के डीलर शिवजी पांडेय के द्वारा गरीब लाभुक का 90 क्विंटल खाद्यान्न बेचने को लेकर करवाई की मांग किया है। पत्र में मुखिया ने कही है कि पंचायत भ्रमण के दौरान लाभुक ने डीलर के द्वारा राशन-किरासन नही देने का आरोप लगाया। जब मुखिया के द्वारा इसका पड़ताल किया गया तो पता चला कि बिना राशन-किराशन दिए ही डीलर के द्वारा तीनो वार्ड के लाभुक के कार्ड पर माह अक्टूबर के अनाज वितरण अंकित है। इस मामले में सबसे ज्यादा आश्चर्य इस बात का है की डीलर अधिकांस लाभुकों का राशनकार्ड अपने पास ही रखता है। बिना खाद्यान्न दिए ही कार्ड पर अंकित कर देता है।

क्या कहते है डीलर –


जब उपरोक्त मामले पर डीलर शिवजी पांडेय से जानकारी ली गई तो बड़े बैबाकी से कहते हैं हमने जो खाद्यान्न का उठाव किया था उसका वितरण कर दिया है जो दुसरा उठाव हुआ है वह बचे लोगों के बीच वितरण किया जाएगा।


यहां एक सबसे बड़ी बात है कि जब अक्टूबर माह का खाद्यान्न वितरण कर दिया गया तो फिर लाभूक झूठ बोल रहे हैं खाद्यान्न नही दिया या फिर दुसरा पहलू यह है कि जब वितरण किया गया तो हस्ताक्षर क्यों नहीं किया गया जबकि इससे पूर्व के सभी वितरण में डीलर के हस्ताक्षर हैं। 


तीसरा सबसे बड़ा आश्चर्य यह है कि आखिर इस डीलर पर ही बार बार खाद्यान्न की कालाबाजारी का आरोप लाभुकों के द्वारा लगाया जाता है। अगर सही रूप से उपरोक्त मामले की छानबीन हो जाय तो निश्चित बड़े मामले सामने आ सकते हैं। कुल मिलाकर कह सकते हैं कि यहां दाल में काला नहीं है बल्कि पुरी दाल ही काली है।