नीतीश कुमार को बिहार में सोशल इंजीनयरिंग का कहा जाता है मास्टर

पटना : बिहार में विधानसभा का चुनाव (Bihar Election 2020) दलगत राजनीति से ज्यादा जातिगत आधार पर लड़ा जाता है. इसकी बानगी विभिन्न दलों द्वारा घोषित किए जाने वाली प्रत्याशियों की सूची में दिखने लगी है।

बिहार की सभी पार्टियां जातिगत समीकरण का ख्याल रखते हुए ही अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर रही है। राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी जेडीयू (JDU) ने भी पहले चरण को लेकर जिन उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की थी, उससे ही संकेत मिल गया था कि पार्टी इस बार सभी वर्ग को साथ लेकर चलने की कोशिश कर रही है।

 

बुधवार को जब पार्टी ने बिहार चुनाव को लेकर अपने सभी 115 उम्मीदवारों की सूची जारी की तो यह बात साफ भी हो गई। जेडीयू की लिस्ट में जिन लोगों के नाम बतौर प्रत्याशी हैं अगर उसे जातिगत आधार पर बांटें तो उसमें साफ तौर पर समाज के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व देने की कोशिश दिखती है।

सोशल इंजीनियरिंग में माहिर नीतीश कुमार ने जिन उम्मीदवारों को टिकट दिया है, उसके आधार पर यह कहना शायद ही गलत होगा का उन्होंने लालू प्रसाद की पार्टी यानी आरजेडी के आधार MY समीकरण के साथ-साथ दलितों और अति पिछड़ा वोटरों को बड़ा मैसेज देने की कोशिश की है।

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नीतीश शुरू से ही बिहार की आधी आबादी यानी महिलाओं को अपना सबसे बड़ा वोट बैंक मानते हैं। यही कारण है कि पार्टी के उम्मीदवारों की सूची में भी बड़ी संख्या में महिलाओं को शामिल कर नीतीश ने इस बार बड़ा दांव खेला है।

जेडीयू ने अपनी लिस्ट में बाइस महिलाओं को टिकट दिया है। अगर जातिगत आधार पर इस सूची की व्याख्या करें तो 22 महिलाओं के अलावा नीतीश कुमार की पार्टी से टिकट पाने वालों में विभिन्न जातियों का प्रतिनिधित्व इस प्रकार है-

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अतिपिछड़ा – 19, यादव- 18, कुशवाहा -15, कुर्मी – 12, मुस्लिम – 11, भूमिहार – 10, धानुक – 8, राजपूत -7, वैश्य -3, ब्राह्मण – 2, जनजाति – 1 शामिल हैं।

बिहार में जेडीयू इस बार 122 सीटों पर चुनाव लड़ रही है और बीजेपी के खाते में 121 सीटें हैं। ऐसे में वर्ष 2020 के रण में भारी पड़ने की कोशिश करती दिख रही जेडीयू की तरफ से यह मैसेज देने की कोशिश की गई है कि वह न्याय के साथ-साथ जातिगत समीकरण को ठीक कर के ही विकास करने जा रही है। इनपुट न्यूज़ 18.