उपमुख्यमंत्री ने विधानसभा में पुल निर्माण की घोषणा, दियारा वासियों में खुशी

विधायक युसूफ सलाउद्दीन ने कहा असंभव को संभव करती है महागठबंधन की सरकार

राजा टोडरमल के जमाने से ही फरकिया रहा है फरक, अब जगी विकास की आस

ब्रजेश भारती – सहरसा और खगड़िया जिले के फरकिया क्षेत्र के लोगो को जल्द ही उच्च स्तरीय पुल की सौगात मिलेगी।‌ सोमवार को उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने विधानसभा में पथ निर्माण विभाग से संबंधित 2023 – 24 के आय – व्यय पर सरकार का पक्ष रखते हुए कोसी नदी पर डेंगराही घाट उच्च स्तरीय पुल की घोषणा की है।

 

लगभग 415 करोड़ की लागत से बनने वाले 2.80 किमी लंबे पुल के घोषणा होने से फरकियावासी गदगद है। वहीं स्थानीय आरजेडी विधायक युसूफ सलाउद्दीन ने पुल निर्माण की घोषणा होने पर खुशी व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव का शुक्रिया अदा किया।

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दियारा वासियों आज अभिशाप से मिली मुक्ति : विधायक – विधायक यूसुफ सलाउद्दीन ने कहा कि आज का दिन सिमरी बख्तियारपुर के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। विधानसभा सत्र के दरम्यान आज का दिन मेरे विधानसभा क्षेत्र सिमरी बख्तियारपुर सहित समस्त कोशी क्षेत्र के लोगों के लिए बेहद खास रहा। सदन में गरीबों, दलितों, शोषितों एवं वंचितों के हमारे महान नेता बिहार के माननीय उपमुख्यमंत्री – सह – पथ निर्माण विभाग के मंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव जी ने वर्ष 2023-24 के अपने बजट भाषण में वित्तीय वर्ष 2023-24 हेतु न‌ई परियोजनाओं की घोषणा में सहरसा जिला अंतर्गत कोशी नदी पर डेंगराहीघाट उच्च स्तरीय पुल (2.80 किमी लंबाई) के निर्माण की घोषणा की।

विधायक युसूफ सलाउद्दीन, फाइल फोटो

उन्होंने कहा कि आज से ही नहीं राजनीतिक जीवन में कदम रखने के बाद से ही मैं और खगड़िया के सांसद चौधरी महबूब अली कैसर जी लगातार सलखुआ प्रखंड अंतर्गत खचुरदेवा चौक से डेंगराही घाट के बीच कोशी नदी पर उच्चस्तरीय आरसीसी पुल के निर्माण हेतु निरंतर प्रयासरत थे, विशेषकर जनता के आशीर्वाद से सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा क्षेत्र से बिहार विधानसभा का सदस्य निर्वाचित होने के उपरांत मिशन मोड में इस उच्च स्तरीय पुल के निर्माण हेतु हम लगे रहे।

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मुझे भी याद नहीं कि कितनी बार विधानसभा के प्रत्येक सत्र में प्रश्न, शुन्य काल, निवेदन के माध्यम से इसके निर्माण हेतु सरकार का ध्यान आकृष्ट किया। अब तो आलम ये था कि मुख्यमंत्री या उपमुख्यमंत्री महोदय से क्षेत्र के किसी और कार्य से भी मिलने जाता तो मुझे देखते ही डेंगराही पुल के बारे में मुझे खुद बताते थे। लेकिन आखिरकार मेरी मेहनत रंग लाई उन्होंने कहा कि मैं सलखुआ प्रखंड स्थित डेंगराही में भविष्य में बनने वाले इस उच्चस्तरीय पुल के निर्माण के लिए अपने विधानसभा क्षेत्र सिमरी बख्तियारपुर के लोगों की ओर से अपने नेता बिहार के माननीय उपमुख्यमंत्री  सह  मंत्री, पथ निर्माण विभाग तेजस्वी प्रसाद यादव जी एवं सुबे के मुखिया नीतीश कुमार जी का तहे दिल से आभार प्रकट करता हूं।

17 दिनों चले अनशन को जुस पिला तुड़वाते नेतागण, फाइल फोटो

निर्माण की मांग को लेकर हुआ था अनशन – सलखुआ प्रखंड अंतर्गत डेंगराही घाट पर पुल बनाने की मांग को लेकर वर्ष 2017 में 17 दिनों तक आमरण अनशन भी हुई थी।‌ इस अनशन में प्रतिदिन लोग जुटते चले गये और सात दिनों के अंदर इस अनशन में सैकड़ों लोग शामिल हो गये। आश्चर्य तो यह हुआ कि पुल की मांग को लेकर शुरू हुई इस भूख हड़ताल में महिला अनशनकारियों की संख्या पुरुषों की तुलना में तीन गुनी रही।

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इस आंदोलन की सकारात्मक पहल यह रही कि मांग के समर्थन में पूरे फरकिया के लोग एकजुट हो गये थे। अनशन स्थल पर रोज हजारों की संख्या में भीड़ जुटती चली गई। पक्ष – विपक्ष के सांसद से लेकर विधायक तक वहां अपनी हाजिरी लगाते नजर आये।‌ 17 वें दिन डीएम भी अनशन स्थल पर पहुंचे और लोगों को बताया कि उन्होंने सरकार को प्रस्ताव भेज दिया है।

कोसी नदी नाव ही एक सहारा

सर्वे के लिए पटना से पुल निर्माण निगम के अभियंताओं की टीम आ गयी है।‌ सर्वे के बाद डीपीआर बनेगा।‌ सरकार स्वीकृति देगी और तब काम शुरू होगा। वही बीजेपी नेता प्रेम कुमार और पूर्व डिप्टी सीएम तारकिशोर प्रसाद ने जूस पिला आंदोलन समाप्त कराया था।

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इसके बाद वर्ष 2019 में एक व्यक्ति ने डेंगराही पुल निर्माण की मांग को लेकर उपवास भी रखा था। जो काफी दिनों तक चला था। इस दौरान उस व्यक्ति ने पीएम नरेंद्र मोदी को भगवान मानते हुए एक बड़ी – सी तश्वीर भी उपवास स्थल पर लगा ली थी।

नरेंद्र मोदी को भगवान मान जाप करते अनशनकारी भूषण

विकास से अछूता रहा है फरकिया – सलखुआ प्रखंड अंतर्गत पूर्वी कोसी तटबंध के अंदर का इलाका बिहार के नक़्शे के बीच में होते हुए भी सदियों से फरक है। इसे नदियों का मायका कहते हैं, क्योंकि इस छोटे से इलाके से होकर सात छोटी – बड़ी नदियां बहती हैं। अकबर के नवरत्नों में से एक टोडरमल जब पूरे भारत के जमीन की पैमाइश कर रहे थे तो यहां भी आए। मगर यहां की नदियों के चंचल स्वभाव की वजह से वे यहाँ भू – पैमाइश का काम पूरा नहीं कर पाए। नक़्शे पर इस इलाके को उन्होंने लाल स्याही से घेर दिया और लिख दिया फरक किया, यानी अलग किया।

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यही फरक किया बाद में फरकिया हो गया। तब से यह इलाका आज तक फरक ही है। फरकिया का यह इलाका आज भी मुलभूत सुविधाओं से पूरी तरह वंचित है। यहां के वाशिंदे आज भी प्रखंड अथवा जिला मुख्यालय से नहीं जुड़ पाये हैं।‌ लेकिन अब यह उम्मीद जगी है कि पुल के ऐलान के बाद जल्द पुल बन जाने से इस इलाके के लोगो की तकदीर और इलाके की तश्वीर बदलेगी।

अनशन के समय बनाया गया पुल का मॉडल, फाइल फोटो

● नाव ही एक मात्र सहारा – तटबंध के अंदर बसे लोगों का एक मात्र सहारा नाव है।‌ तटबंध के अंदर गुजर बसर कर रहे लोगों के लिए नाव से नदी पार करने के अलावा और कोई और दूसरा मार्ग नहीं है। इसलिए जान जोखिम में डालकर मजबूरन नाव से आवाजाही को मजबूर होना पड़ता है। दशकों से फरकिया व दियारा के अंदर रहने वाले लोगों के द्वारा कोसी नदी में पुल बनाने की मांग की जा रही थी लेकिन पूल निर्माण का रास्ता नही बन पा रहा था। लेकिन सोमवार को डिप्टी सीएम के ऐलान के बाद फर्कियावासियो में उम्मीद जगी है। अब देखने वाली बात होगी कि पुल निर्माण कब तक शुरू होगी।

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