• राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस, कानून मंत्री से लेकर थाना तक इंसाफ की गुहार लगा वापस लिया रूपया

सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) से ब्रजेश भारती की रिपोर्ट : कहा गया है कि अगर आप में सच्चाई के साथ लड़ने की क्षमता हो तो कोई भी बड़ा से बड़ा मुश्किल काम आसान हो जाती है चाहे उसके लिए आपको देर हो सकती है लेकिन इंसाफ मिलता है। एक ऐसे युवक की दास्तान बताने जा रहे हैं जो एटीएम फ्रॉड का शिकार हुआ लेकिन सिस्टम से लड़कर वापस रूपया पाया।

पीड़ित रोहित कुमार

इस छह माह के दौरान इस युवक ने राष्ट्रपति से लेकर स्थानीय थाना तक सिस्टम से लड़ाई लड़ी जिसके बीच पुलिसिया कोपभाजन का शिकार भी हुआ लेकिन हिम्मत नहीं हारी अंततः अपने अकाउंट से गायब रूपये वापस प्राप्त कर विजयी मुस्कान हासिल किया।

जनवरी माह में निकला था पैसा : सहरसा जिले के सिमरी बख़्तियारपुर अंतर्गत सिमरी पंचायत के द्वारिका निवासी अरुण मिस्त्री का पुत्र इस युवक का नाम है रोहित कुमार। साधारण कद काठी का यह युवक गरीबी का दंश झेलते हुए छोटे – छोटे बच्चों को ट्यूशन पढा कर हो रही थोड़ी – बहुत कमाई से अपनी जिंदगी के पहिये को धीरे – धीरे आगे बढ़ा रहा था।

जनवरी में एटीएम फ्रॉड कर खाते से उड़ा लिया गया था 23 हजार नगदी

रोहित अपनी जमा पूंजी के एसबीआई के खाते में रखता था और जरूरत के वक्त निकाल लेता था। 25 जनवरी को सुबह आठ बजकर तीन मिनट पर रोहित के एसबीआई एकाउंट से अवैध रूप से 23 हजार रुपया निकाल लिया गया। पीड़ित रोहित ने बताया कि जिस वक्त खाता से पैसा निकाला गया उस वक़्त मेरा एटीएम मेरे पास ही था। पैसे निकलने का मैसेज भी उसके मोबाइल पर आया।

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पीड़ित रोहित ने बताया कि उसका पैसा पटना स्थित एक एटीएम से निकाला गया। पैसे निकाले जाने के बाद तुरन्त अपना कार्ड ब्लॉक करवाया। रोहित ने बताया कि जालसाजों द्वारा मेरे एकाउंट से जो पैसे निकाले गए वह मेरे जीवन की अबतक की जमापूंजी थी।

प्रभात खबर में छपी रोहित की एक खबर

जंग लड़ने की हुई शुरुआत : रोहित कुमार के एकाउंट से 23 हजार रुपया निकाल लिए जाने के बाद पीड़ित रोहित ने बख़्तियारपुर थाना पहुंच अवैध तरीके से पैसे निकाले जाने की शिकायत की लेकिन एफआईआर नही हुआ। बोला गया साईबर क्राइम का मामला है।

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जिसके बाद रोहित ने मानवाधिकार आयोग सहित देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया, कानून मंत्री, मुख्यमंत्री बिहार, डीजीपी बिहार, डीआईजी कोसी रेंज आदि को आवेदन दे कर उचित कार्यवाई की मांग किया। हालांकि कुछ ही दिनों में पत्राचार का जवाब आने लगा तो रोहित का हौसला बढ़ता गया।

23 अप्रैल को बख्तियारपुर थाना में केस हुआ दर्ज : आखिरकार तीन महीने बाद 23 अप्रैल को बख़्तियारपुर थाना में मामला दर्ज हुआ। वही तीन महीने बाद एफआईआर दर्ज होने पर रोहित ने बैंक को छाया प्रति उपलब्ध कराया। इसके बाद एसबीआई ने आगे की प्रक्रिया शुरू की और आखिरकार 22 जून को रोहित के एकाउंट में 23 हजार क्रेडिट कर दिया गया।

नही होता हैं एफआईआर और नहीं मिलता पैसा : एटीएम जालसाज करने वाले गिरोह जिले से लेकर पटना तक पूरे देश में सक्रिय है। खास बात यह है कि जिनका पैसा जालसाज निकाल लेते है, उन्हें प्राथमिकी तक दर्ज कराने के लिए थानों का चक्कर लगाना पड़ता है। काफी मशक्कत के बाद भी अगर प्राथमिकी दर्ज भी हो जाती है तो आगे कुछ नहीं होता है लोग संतोष कर रह जाते हैं।

प्रभात खबर एक और छपी रिपोर्ट

लेकिन इस युवक ने हार नहीं मानी समय समय पर पत्राचार का सहारा लेकर अपनी जंग जारी रखा अतः जीत हासिल की। इस लडाई में स्थानीय मीडिया हमेशा रोहित की आवाज बना जो उसके हौसले को उड़ान देता रहा। जीत बाद मीडिया के समक्ष पहुंचे रोहित की मुस्कान बता रही थी कि सिस्टम से लड़ कर न्याय लिया जा सकता है।