सैकड़ो ग्रामीणों ने हस्ताक्षरित आवेदन एसडीओ को दे जताई आपत्ति

सिमरी बख्तियारपुर(सहरसा) ब्रजेश भारती : वर्षो से अनुमंडल व्यवहार न्यायलय एवं जेल निर्माण के लिए स्थल चयन का मामला एक बार फिर से लटकता नजर आ रहा है। हाल ही में अनुमंडल के विभिन्न स्थानों के प्रस्तावित जमीन का निरीक्षण न्यायालय के न्यायधीशों द्वारा किये जाने के उपरांत भौरा मौजा में व्यवहार न्यायालय और जेल निर्माण के लिए स्थल पर सहमति बनी थी।

लेकिन उस जमीन पर भी किसानों के आपत्ति के बाद इस पर भी ग्रहण लगता नजर आ रहा है। भौरा मौजा के दर्जनों किसानों ने जमीन देने से इनकार करते हुए एक हस्ताक्षरित आवेदन जिला पदाधिकारी के नाम किसानों का एक शिष्टमंडल एसडीओ अनिशा सिंह को सौंपा।

शिष्टमंडल का नेतृत्व कर रहे पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष सुरेंद्र यादव, पूर्व जिप उपाध्यक्ष रितेश रंजन ने बताया कि जिस भौरा मौजा की जमीन जेल एवं सिविल कोर्ट के लिए प्रस्तावित किया गया है। वह सरासर किसानों के साथ नाइंसाफी है। भौरा गांव से मात्र 50 मीटर हटकर पक्की सड़क तक जमीन अधिग्रहण प्रस्तावित है।जबकि इस गांव के तीन तरफ नीची जमीन है।

इस गांव के लोगो को बास के लिए ही प्रस्तावित जमीन ही बची है। अगर यहां जेल बन जाता है तो इस गांव के लिए बास का कोई जगह नही बचेगा। आवादी बढ़ने के बाद यहां के लिए लोगों को आवास के लिए दुसरे जगह पलायन करना पड़ेगा। यह गांव मात्र दो वार्ड का है। यहां के सभी किसान सीमांत कृषक है। पूर्व में भी भौरा मौजा की ही जमीन एनएच एवं नहर के लिए अधिकृत किया जा चुका है।

अधिकृत की जाने वाली भूमि के कारण हम गांव वाले अपने को ही जेल के अंदर पाते है। इसलिए अनुमंडल में अन्य भूमि जो जेल व सिविल कोर्ट के चिन्हित की गई है। उस पर विचार किया जाये और भौरा की आबादी एवं बच्चो के भविष्य को बर्बाद होने से बचाया जाये। अन्यथा हमलोगों के जीविकोपार्जन एवं आवासन के लिए पलायन के अलावा कोई विकल्प नही बचेगा। इस मौके पर सेवानिवृत्त शिक्षक अरविंद कुमार, जियालाल यादव, पुनपुन यादव, निर्दोष कुमार सहित अन्य मौजुद थे।

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