पुलिस लाइन स्थित स्मारक स्थल पर डीआईजी, एसपी सहित अन्य ने किया माल्यार्पण

सहरसा/भार्गव भारद्वाज : स्थानीय पुलिस लाइन स्थित शहीद स्मारक पर गुरुवार को कोसी रेंज के डीआईजी, जिले के एसपी, डीएसपी सहित अन्य पुलिस पदाधिकारियों ने बदमाशों के साथ 24 वर्ष पूर्व बनमा ईटहरी के पचहत्तर दियारा के नोनहा मुठभेड़ में शहीद हुए डीएसपी सत्यपाल कुमार सिंह को श्रंद्धाजलि दी गई।

सुबह 10 बजे कोशी रेंज के डीआईजी शिवदीप वामन लांडे, एसपी लिपि सिंह सहित अन्य पुलिस पदाधिकारियों ने श्रद्धांजलि दिया। श्रद्धांजलि सभा से पूर्व पुलिसकर्मियों ने शहीद डीएसपी के याद में अपने-अपने हथियार को झुका कर उन्हें सलामी दी, फिर 2 मिनट का मौन रखा गया। जिसके बाद शहीद स्मारक पर डीआइजी, एसपी सहित अन्य पुलिस पदाधिकारियों ने पुष्पगुच्छ अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दिया।

एसपी लिपि सिंह ने बताया कि वर्ष 1998 में सहरसा में पदस्थापित जांबाज डीएसपी सतपाल कुमार सिंह अपराधियों के साथ मुठभेड़ में गोली लग जाने से शहीद हो गए थे। उन्हें सूचना मिली थी कि कुछ अपराधी अत्याधुनिक हथियार के साथ किसी बड़ी घटना को अंजाम देने पहुंचे थे।

उक्त सूचना पर वे अपनी टीम के साथ छापामारी करने पहुंचे थे। जहां अपराधियों के साथ हुई मुठभेड़ में उन्हें गोली लगी थी। अपराधियों की गोली से डीएसपी शहीद हुए थे। हालांकि बाद में आरोपी की गिरफ्तारी हुई और उन्हें न्यायालय द्वारा सजा भी सुनाई गई है। ऐसे में प्रतिवर्ष शहीद डीएसपी को सभी पुलिसकर्मी श्रद्धांजलि अर्पित करते आ रहे हैं।

मौके पर हेडक्वार्टर डीएसपी एजाज हाशिम मनी, सदर डीएसपी संतोष कुमार, पुलिस लाइन सार्जेंट माधव ठाकुर, पुलिस लाइन प्रभारी इंस्पेक्टर अनिल सिंह, सदर थाना अध्यक्ष सह इंस्पेक्टर सुधाकर कुमार, यातायात थानाध्यक्ष नागेंद्र राम सहित कई पुलिस पदाधिकारी और पुलिसकर्मी मौजूद थे।

क्या था पुरा मामला : सात दिसम्बर 1998 को डीएसपी सतपाल सिंह को देर शाम गुप्त सूचना मिली थी कि सलखुआ थानाक्षेत्र के नोनहा गांव चमराही टोला स्थित दो मंजिला पक्के छतदार बासा पर कुख्यात अपराधकर्मी घातक हथियारों से लैश होकर छिपे हैं। इसी सूचना पर सुरक्षाबलों के साथ रात्रि में ही डीएसपी पहुंचे और वहां घेराबंदी की। साढ़े छह बजे सुबह डीएसपी द्वारा मकान का निचला दरवाजा खुलवाने का प्रयास कर अपराधियों को आत्मसमर्पण करने को कहा गया।

इतने में ही छत पर मौजूद अपराधकर्मी मो. जाहिद उर्फ कमांडो, मो. माहिद, मो. अंजुम, मो. गुड्डू एवं मो. इमो ने पुलिसबल पर अत्याधुनिक हथियार से फायरिंग शुरु कर दी थी। डीएसपी ने भी अपनी सरकारी पिस्तौल से जबावी फायरिंग किया और सुरक्षाबलों को भी गोली चलाने का आदेश दिया। इस क्रम में अपराधियों की एक गोली हवलदार गणेश रजक को लगी और वह जख्मी हो गया।

तब डीएसपी श्री सिंह पक्का मकान से बगल के खपरैल मकान में पहुंचे और अपराधियों को ललकारते हुए जबावी फायरिंग करते रहे। इसी दौरान एक गोली डीएसपी के सीने में लगी और उनकी मौत हो गई। अपराधियों की गोली से अनि रामप्रवेश सिंह भी घायल हुये थे।

एक को सजा कई हुए थे बरी : इस घटना के मुख्य आरोपी जाहिद उर्फ कमांडो को सहरसा न्यायालय द्वारा 31 मार्च 2010 को फांसी की सजा सुनाई गई थी। जिसे उच्च न्यायालय ने आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया।

जबकि साक्ष्य के अभाव में मो. जफर आलम, मो. तौहीद, मो. फिरोज, विवेकानंद यादव, सूर्यनारायण मिस्त्री, मो. रुस्तम, मो. आजम, मो. सलाहउद्दीन उर्फ सालो, मो. गफ्फार, मो. परवेज आलम, मो. हलीम, मो. शहाबुद्दीन उर्फ साहेब, मो. जैनुल, मो. तुलो, किशोर पासवान, शिवजी पासवान, जग्गनाथ पासवान, मो. युसुफ, घनश्याम यादव, जयकुमार सहनी, प्रकाश मिस्त्री, दिलचन्द पंडित व मजहर इमाम बरी हो गये थे।

इस घटना को लेकर हुई प्राथमिकी में अनुसंधान के बाद जहां पुलिस ने 64 लोगों को आरोपी बनाया, वहीं 50 पुलिसकर्मियों को बतौर चश्मदीद गवाह बनाया गया था। इस मामले में जाहिद उर्फ कमांडो अभी भी जेल में अपनी सजा काट रहे हैं। वहीं प्रत्येक वर्ष 8 दिसंबर को शहीद सतपाल सिंह की याद में सहरसा पुलिस शहादत दिवस के मौक पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित कर भावभीनी याद करते हैं