रेल ओवर ब्रिज का ईपीपी मोड में निविदा जनता के साथ धोखा

सहरसा से राजा कुमार की रिपोर्ट : सहरसा को नगर निगम का दर्जा छीनना व बंगाली बाजार रेल ओवर ब्रिज का ईपीपी मोड जनता के साथ एक राजनीतिक मजाक है। इस सब के लिए सत्तारूढ़ दल, प्रशासन व सरकार दोषी है, ऐसे लोगों को जनता माफ नहीं करेगी।

उक्त बातें रविवार को पूर्व विधायक किशोर कुमार मुन्ना ने सहरसा अतिथि गृह में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान मीडिया से बातचीत के दौरान कहीं। उन्होंने कहा कि सहरसा जिला के साथ यहाब के जनप्रतिनिधियों प्रशासन और सरकार अन्याय कर रही है।

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सहरसा के बंगाली बाज़ार में बनने वाले ओवर ब्रिज का तीन बार शिलान्यास और आधा दर्जन से ज्यादा बार निविदा के बाद पुनः ईपीसी मोड में निविदा निकलना एवं नगर परिषद सहरसा को नगर निगम का दर्जा देकर वापस लेना जिला के साथ धोखा है।

शहर में जल जमाव, गंदगी और अतिक्रमण से तबाह है। पूर्व विधायक ने कहा लम्बे संघर्ष के बाद ओवर ब्रिज की स्वीकृति मिली। कई निविदा बाद फिर से इपीसी मोड का निविदा निकाल कर जनता को झुनझुना थमा दिया है।

पिछले दिनों पुल का निर्माण शुरू नहीं हुआ, लेकिन इसका श्रेय लेने की होड़ सत्ताधारी दल के नेताओं में लग गयी। शहर बड़े बड़े होर्डिंग्स से भर गया। अख़बार और सोशल मीडिया में क्रेडिट लेने की होड़ मच आ जबकि ओवर ब्रिज का संघर्ष और शिलान्यास की कहानी साढ़े तीन दशक यानी 35 सालों से चला आ रहा है।

पूर्व विधायक ने बताया कि सहरसा नगर परिषद को आम जन के संघर्ष बाद राज्य सरकार ने सहरसा नगर निगम के लिए अधिसूचना निकाली गयी। लेकिन फिर से राजनीतिक दबाव में नगर निगम को नगर परिषद बना दिया गया। जबकि सहरसा नगर परिषद के 40 वार्ड की जनसंख्या ही नगर निगम के अहर्ता को पूरा करता है।

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नगर निगम से नगर परिषद बनने को गलत तरीके से प्रचारित किया गया कि जो आठ पंचायत नगर निगम में जोड़े गये, उसके मुखिया नगर निगम के विरोधी हैं यह गलत है। यह जनप्रतिनिधि, प्रशासन और सरकार ने सहरसा को नरक बनाने की कसम खा ली है। यह उनकी घोर लापरवाही है।

उन्होंने कहा कि जब इन लोगों को कोई उपलब्धि नहीं मिलता है और लम्बे संघर्ष के बाद अगर कोई नया काम शुरू होता है तो क्रेडिट लेने की होड़ मच जाती है। बाद में उनकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा के कारण यह काम बाधित हो जाता है। यहां कि जनता सब कुछ देख रही है समय पर इसका माकूल जवाब देने का काम करेगी।

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