कई वार्डों में दस वर्ष बाद भी रह जाएगा आरक्षण पुनः बहाल
  • जोड़े गए दो पंचायतों में ही नए सिरे से हुआ है वार्ड का परिसीमन

सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) ब्रजेश भारती : उत्क्रमित नगर परिषद सिमरी बख्तियारपुर में 11 फरवरी को वार्ड के प्रारूप का प्रकाशन कर दिया गया है, इसके साथ ही आपत्तियों का सिलसिला जारी है। बड़े पैमाने पर मानक का ख्याल रखे बिना वार्ड का परिसीमन किया गया है।

नजरी नक्शा, नगर परिषद सिमरी बख्तियारपुर

‌सबसे पहले बात करें पुराने नगर पंचायत का तो पहले 15 वार्डों का नगर पंचायत हुआ करता था, जिसमें दो पंचायत सिमरी एवं खम्हौती को जोड़ कर उत्क्रमित नगर परिषद का दर्जा दिया गया। जिसके बाद 28 वार्डों का नगर परिषद पुर्नगठित हो गया।

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11 फरवरी को जो 28 वार्डों का नए परिसीमन के प्रारूप का प्रकाशन किया गया है उसमें पुराने नगर पंचायत पंचायत के वार्डों के सीमांकन में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया। जोड़े गए दो पंचायत सिमरी एवं खम्हौती में नए सिरे से वार्ड का परिसीमन कर प्रकाशित कर दिया गया है।

कई वार्ड पहले की तरह रह जाएगा आरक्षित : नगर पंचायत के पुराने वार्ड का नए सिरे से सीमांकन नहीं किए जाने से भौगोलिक एवं जनसंख्या की दृष्टि से किसी प्रकार का बदलाव नहीं होने से जो गणित का आंकड़ा बता रहा है उससे साफ प्रतीक होता है कि उस वार्ड में आरक्षण पहले की तरह ही रह जाएगा। बदलाव भी होगा तो सिर्फ महिला व पुरुष पद का।

पूर्व की तरह ये वार्ड रह जाएगा आरक्षित : नगर पंचायत में वार्ड नं 13, 5, 2, 4 एवं 6 आरक्षण की श्रेणी में था, नए गणित में भी उपरोक्त वार्ड नए नामकरण में शामिल किए गए वार्ड 15, 22, 19, 21 एवं 17 पुनः आरक्षण की श्रेणी में रहने की संभावना जताई जा रही है। सिर्फ आरक्षण में महिला व पुरुष में बदलाव हो सकता है।

औसत जनसंख्या से कम है ये वार्ड : प्रकाशित वार्ड प्रारूप का अगर अध्ययन किया जाए तो साफ देखा जा सकता है कि औसत जनसंख्या का पालन नहीं किया गया है। औसत जनसंख्या 1957 निर्देशित किया गया है जबकि मानक जनसंख्या 1457 से लेकर 2457 है। प्रकाशित वार्ड प्रारूप में देखे तो वार्ड नं 26 की जनसंख्या 1413 है जो मानक को पुरा नही करता है। इसी प्रकार वार्ड नं 20 की जनसंख्या 1430 है जबकि वार्ड नं 22 की जनसंख्या 1432 है। इन वार्डों में मानक जनसंख्या का पालन नहीं किया गया है।

औसत जनसंख्या से कई वार्ड अधिक : इतना ही नहीं पुराने नगर पंचायत के वार्डों में नए सिरे से सीमांकन नहीं किए जाने से औसत जनसंख्या का पालन प्रकाशित प्रारूप में नहीं देखा जा सकता है। उदाहरण के तौर पर औसत जनसंख्या का मानक 1957 है लेकिन वार्ड नं 5 की जनसंख्या 2383 है जबकि वार्ड नं 13 की जनसंख्या 2356 व वार्ड नं 8 की जनसंख्या 2325 है। अगर इन वार्डों के सीमांकन में फेरबदल कर दिया जाता तो छोटे वार्ड जो मानक को पुरा नही करता है उसमें मानक सहित औसत जनसंख्या पुरी हो सकती थी।

अब देखने वाली बात होगी कि वार्ड प्रारूप के प्रकाशन उपरांत आपत्तियों के निराकरण बाद पुराने नगर पंचायत के वार्डों के सीमांकन में बदलाव किया जाता है या फिर पुराने परिसीमन पर ही नए सिरे से वार्ड का गठन का अंतिम प्रारूप का प्रकाशन कर दिया जाता है।

इस पुरे मामले पर जब हमने एसडीओ सिमरी बख्तियारपुर अनीषा सिंह से जानकारी लिया तो उन्होंने बताई कि पुराने वार्ड परिसीमन में किसी प्रकार का बदलाव नहीं किया गया है। चुंकि बदलाव करने से काफी परेशानी उत्पन्न हो सकती थी। फिर भी अगर किसी को किसी प्रकार की आपत्ति है तो वह आपत्ति दर्ज करा सकते हैं। दिए गए आपत्ति के निपटारे के बाद ही अंतिम रूप से वार्ड के प्रारुप का प्रकाशन होगा।

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