चुनाव प्रचार के अंतिम क्षणों में सभी दलों ने झोंकी अपनी ताकत
ब्रजेश भारती, सिमरी बख्तियारपुर(सहरसा) : 21 अक्टूबर को होने वाले विधानसभा उपचुनाव को लेकर सभी दलों ने चुनाव प्रचार के अंतिम क्षणों तक अपनी ताकते झोंके रख रही है। किसके सिर सजेगा सिमरी बख्तियारपुर एमएलए का ताज इस पर चर्चा जोरों पर है।
इस विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव में आधा दर्जन प्रत्याशी मैदान में भाग्य आजमा रहे है। अब तक के आकलन के अनुसार एनडीए और राजद गठबंधन के बीच असली लड़ाई दिख रही है। वही महागठबंधन के साथ पटना में साथ रहने वाली वीआईपी पार्टी बगावती तेवर अपनाते हुए यहां अपना खुद का कैंडिडेट खड़ा कर मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में लगे हुए हैं।
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इधर चुनाव की तारीखें ज्यो – ज्यो नजदीक आ रही है वैसे – वैसे प्रत्याशियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। पर मतदाताओं की चुप्पी प्रत्याशियों के दिलो की धकड़न बढ़ा रही है। डोर टू डोर कैंपेन कर चुके प्रत्याशी अब समीकरण बनाने में लगे हैं। वहीं बड़े बड़े नेताओं की सभा अपने अपने वोटरों को गोलबंद करने में लगे हैं।
एनडीए से अरुण तो लालटेन के साथ जफर : सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा उपचुनाव में केंद्र के कार्यो की बजाय राज्य के कामकाज और स्थानीय मुद्दे पर ही प्रत्याशियों को तौला जा रहा है। जनता दल (यूनाइटेड) की ओर से डॉ अरुण कुब, राजद से जफर आलम, राष्ट्रीय जन संभावना पार्टी से उपेंद्र सहनी, अखिल भारतीय मिथिला पार्टी से उमेश चंद्र भारती, विकासशील इंसान पार्टी से दिनेश निषाद और निर्दलीय सोना कुमार भाग्य आजमा रहे है।
यहां यह बता दे कि 2015 के विधानसभा चुनाव में जदयू से दिनेश चंद्र यादव और एलजेपी से यूसुफ सलाहउद्दीन में मुख्य टक्कर हुई थी। जिसमे दिनेश चंद्र यादव ने बाजी मारी थी। वही इस वर्ष लोकसभा चुनाव में दिनेश चंद्र यादव द्वारा मधेपुरा से सांसद बनने के उपरांत यह सीट खाली हो गई थी।
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इस उप चुनाव में जदयू प्रत्याशी की जीत दिनेश चंद्र यादव के साख को बरकरार रखने के लिए काफी जरुरी है। वहीं विधानसभा में कई बार चुनाव लड़कर भाग्य आजमा चुके और हर बार हार का सामना करने वाले राजद उम्मीदवार जफर आलम के लिए यह करो या मरो वाली स्थिति है।
ज्ञात हो कि सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा उपचुनाव में 3 लाख 23 हजार 241 मतदाता कुल 338 मतदान केंद्र पर अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। 21 अक्टूबर को मतदान बाद सहरसा में 24 अक्टूबर को वोटों की गिनती होगी। उसी दिन चुनाव परिणाम की घोषणा भी की जाएगी।
खूब हुआ टिकट पर रार : सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा उपचुनाव में टिकट को लेकर खूब नौटंकी हुई। एक तरफ एनडीए की ओर से चुनाव तारीखों के ऐलान से पूर्व ही डॉ अरुण यादव का नाम अंदरखाने फाइनल हो गया था। वही महागठबंधन में नामांकन की तारीखों के दौरान भी टिकट को लेकर सांप – सीढ़ी का खेल जारी रहा।
महागठबंधन में टिकट को लेकर जफर आलम, रितेश रंजन, मिथिलेश विजय, अजय कुमार सिंह सहित कईयो ने रांची से पटना और दिल्ली तक की खूब भागदौड़ की परंतु अंततः जफर आलम ने बाजी मारी। हालांकि टिकट के दौर में जितने लोग थे वे एक मंच पर मौजूद हो चुनाव प्रचार में लगे हैं।
क्या लगता है जनता का मुड : चुनाव प्रचार के अंतिम चरण चल रहा है जनता का मुड बनता नजर आ रहा है। मुकाबला सीधे आमने-सामने का लग रहा है। एनडीए व राजद गठबंधन में से किस करवट उंट बैठती है तो आने वाला 21 तारिख को जनता निर्णय करेगी लेकिन इतना तय है कि मुकाबला कांटे की टक्कर का है।
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