25 वर्षो से गोदाम में चला अनुमंडल कार्यालय को मिला नया भवन पर अबतक न्यायालय से बंचित
सिमरी बख्तिारपुर(सहरसा) से ब्रजेश भारती की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट :-
सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल अपने स्थापना के 26 वां वर्षगांठ 22 सितंबर को मनायेगी। हालांकि ताजा सुचना के मुताबिक वर्षगांठ पर मनाए जाने वाले समारोह की तिथि दो दिन बढ़ा दी गई है।
लेकिन इतने वर्षो में समय बदली,तस्वीर बदली नही कुछ बदली तो सिर्फ अनुमंडल क्षेत्र के विकास की तकदीर।
हालांकि अनुमंडल को अपना नया भवन कार्यालय मिल गया। सड़क एवं बिजली के क्षेत्र में विकास तो दिख रहा है लेकिन वह विकास नहीं हुआ जिसकी आस यहां के लोगों ने देखी थी।
विकास के नाम पर हवा हवाई दावे,अनुमंडल क्षेत्र में आज भी मुलभूत समस्याओं का अंबार लगा है। सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल प्रत्येक साल दर साल अपना स्थापना दिवस मना रहा। जनप्रतिनिधि बदलते रहे, लेकिन क्षेत्र का चेहरा नहीं बदला।
इस अनुमंडल क्षेत्र के सिमरी बख्तियारपुर,सलखुआ व बनमा ईटहरी प्रखंडों में प्रशासनिक अनियमितता चरम पर है। वहीं क्षेत्र में समस्याओं का अंबार लगा है। इस अनुमंडल को 22 सितंबर 1992 को अनुमंडल का दर्जा मिला था तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव ने इसे अनुमंडल का दर्जा देते हुए अपने उद्घाटन संबोधन में कहा था कि अनुमंडल से संबंधित सभी कार्यालय जल्द ही खोले जायेंगे। लेकिन 26 वर्ष बीतने को है अनुमंडल न्यायालय अभी तक यहां नहीं खुल सका।
जल जमाव –
क्षेत्र में जल जमाव प्रमुख समस्याआें में एक हैं। इस कारण सालों भर हजारों एकड़ जमीन पानी में डूबी रहती है अब तक जल निकासी के लिए सार्थक प्रयास नहीं किया गया है। पूर्व तटबंध के किनारे सिपेज का पानी एवं वर्षा जल का सम्पूर्ण प्रबंधन आज भी नहीं हो सका है जिसकी वजह से किसानों के फसल डुब जाती है। सिमरी बख्तियारपुर, सलखुआ,बनमा-ईटहरी बाजार में नाला नहीं रहने से पानी का जमाव सड़कों पर ही रहता है।
बेरोजगारी एवं पलायन –
क्षेत्र में बेरोजगारी की समस्या मुंह बाये खड़ी है क्षेत्र के हजारों लोग दिल्ली, पंजाब, गुजरात, बंगाल, असम सहित देश के कई हिस्सों में रोजगार के लिए हर वर्ष पलायन करते नजर आ रहे हैं। एक भी ऐसा कार्य नहीं हुआ जिससे बेरोजगारी दुर हो सके। अनुमंडल स्थापना के समय जन्म लिए बच्चे आज उच्च शिक्षा की डिग्री ले बेरोजगारी की लाईन में नजर आते हैं।
स्वास्थ्य –
5 करोड़ की लागत से 100 शैय्या वाला भव्य अनुमंडल अस्पताल तो बनाया गया लेकिन अनुमंडल अस्पताल में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र जैसी भी सुविधा नशीब नही हो पा रही हैं। यहां से मरीजों को प्राथमिक उपचार के बाद सीधे रेफर कर दिया जाता हैं डॉक्टर भी नदारद रहते हैं, बेहतर इलाज के लिए आज भी लोगों को सहरसा, बेगुसराय या पटना जाना पड़ता हैं। क्षेत्र के 12 पंचायत में तटबंध के अंदर रहने वाले ग्रामीण आज भी मुश्किल भरी जिन्दगी जी रहे हैं तबियत खराब होने पर खाट ही इनका एम्बुलेंस होता है। नदी पार करने और अस्पताल पहुंचने तक खाट एंबुलेंस पर सवार मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।
पेयजल –
अनुमंडल बनें 26 वर्ष पुरे हो जाने के बाद भी आज यहां के लोग आयरण युक्त पानी पीने को विवश है। नगर पंचायत में बने जलमीनार उद्धाटन की बाट जोह रहा है। वहीं ग्रामीण इलाकों में सरकारी स्तर पर लोहमुक्त पानी के लिए जगह जगह संयंत्र तो लगा लेकिन वह हाथी दांत के समान सिर्फ दिखावे के लिए है। आज भी यहां के लोग डब्बा वाला पानी खरीद कर पीने पर मजबूर हैं। जिसकी वजह से शहर से लेकर ग्रामीण स्तर पर आरो वाटर का धंधा फल फूल रहा है।
शिक्षा –
अनुमंडल क्षेत्र में एक भी डिग्री कॉलेज नहीं होने से यहां के छात्रों को जिले व अन्य जिलों में जाना पड़ रहा है। सरकारी आईटीआई कालेज तो खुल गया लेकिन अब तक यह भाड़े के मकान में संचालित हो रहा है। प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था किसी से छिपी नहीं है शिक्षक खिचड़ी,भवन निर्माण, पोशाक, छात्रवृत्ति लूट में शामिल हो शिक्षा पर ध्यान देना मुनासिब नहीं समझते है।
सड़क –
सड़क के क्षेत्र में विकास तो नजर आ रहा है आज हर गांव टोला मुहल्ला के लिए सड़क बन गया है लेकिन वह सड़क इस स्थिति में नहीं है कि उस पर चला जा सके। क्षेत्र से गुजरने वाले राष्ट्रीय उच्च पथ 107 की दशा किसी से छिपी नही है सड़क ईतनी जर्जर हो चुकी है की पैदल भी चलने लायक नही बची है।
अन्य समस्या –
पुराने पीएससी भवन में अनुमंडल व्यवहार न्यायालय अपने उद्घाटन का इंतजार कर रहा है। वहीं निबंधन कार्यालय व नगर पंचायत कार्यालय भी अन्य सरकारी भवनों में चलाए जा रहे हैं। हालांकि नप कार्यालय बन गया है लेकिन कब हेन्ड ओवर होगा कोई नहीं जानता। प्रमुख सभी बाजार अतिक्रमण की चपेट में हैं।
ऐसे में अपने स्थापना के 26 वां वर्षगांठ मना कर यहां के प्रशासनिक,राजनैतिक एवं सामाजिक लोग क्या जनता को दे रही है ये सोचनीय विषय बन गया हैं।