दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा भौरा में चल रहा है हरि कथा यज्ञ
सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) नगर परिषद क्षेत्र के भौरा गांव में पांच दिवसीय हरि कथा यज्ञ में दूर दराज से श्रद्धालु की भीड़ हरि कथा का श्रवण करने पहुंच रहे हैं। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के तत्वावधान में आयोजित इस यज्ञ की शुरुआत मंगलवार को हुई थी।
यज्ञ के दूसरे कथा सुनने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। सर्वश्री आशुतोष महाराज जी के शिष्या साध्वी अमृता भारती जी ने भक्तों को प्रवचन करते हुए कही कि भारत भूमि का यह अनुपम सौभाग्य रहा है कि इस भूमि पर अनंत काल से ऋषि मुनि और संत, भूमि पर ज्ञान व भक्ति की गंगा बहाते आ रहे हैं। हनुमंत जी जब मां सीता की खोज में निकले तो मार्ग में अनेकों बाधाएं आई लेकिन वो बाधाएं उनका मार्ग रोक नहीं पाई।
क्योंकि जब जीवन में लक्ष्य को पाने का उत्साह, उमंग, जोश होता है तब इंसान सभी बाधाओं को चीरते हुए आगे निकल जाता है। सर्वश्री आशुतोष महाराज जी अक्सर अपने भक्तों को समझाते हुए कहते रहे हैं कि बाधाएं कब बांध सकी है, आगे बढ़ने वालों को, विपदाएं कब मार सकी है मर कर जीने वालों को। जब मन में लक्ष्य को पाने के लिए इंसान चलता है तो अवश्य मंजिल पाता है क्योंकि चलने वाला मंजिल पाता हैं, बैठा पीछे रहता है।
आप देखें वायू, रक्त हमेशा चलायमान होता है। बहते नदी के जल से आचमन भी होता है और अभिषेक भी, लेकिन तालाब के ठहरे पानी से ना तो आचमन होता है और ना ही अभिषेक होता है। अतः भक्त हनुमंत जी का जीवन चरित्र हमें हर परिस्थिति में चलने की प्रेरणा देता है।
शिष्य स्वामी यादवेंद्रानंद जी ने कहा कि हनुमंत जी को ठगने के लिए कालनेमि संत का वेश बनाकर आया और कहा कि हनुमंत मैं सब कुछ जानता हूं कि तुम लखन के लिए संजीवनी बूटी लाने जा रहे हो लेकिन तुम मेरी शरण में आ जाओ मैं ऐसा मंत्र दूंगा की तुम पल में वहां पहुंच जाओगे जहां तुझे जाना है। लेकिन हनुमंत जी प्रभु राम की कृपा से बच गए।
आज भी समाज में तथाकथित संत कालनेमि की तरह संत का वेश धारण कर लोगों की श्रद्धा को ठगने के लिए अनेकों चमत्कार करके दिखाते हैं लेकिन संत की पहचान कोई बाहरी चमत्कार नहीं होता संत की पहचान ब्रह्म ज्ञान होता है। जिस ज्ञान के द्वारा अंतर्धट में ईश्वर का दर्शन प्राप्त होता है। इस मौके पर सैकड़ो की संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।