- 22 सितंबर 1992 को तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल का किया था उद्घाटन
आज भी मूलभूत सुविधाओं का है अभाव, जदयू सांसद दिनेशचंद्र यादव के प्रयास से मिला था दर्जा
ब्रजेश भारती – सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल की सूरत 29 साल बाद भी नहीं संवरी है। बुनियादी मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। चलने के लिए ना तो अच्छी सड़कें है और ना ही जलजमाव से निजात दिलाने के लिए ड्रेनेज सिस्टम की सुविधा है। अनुमंडल और प्रखंड कार्यालय पहुंचने वाले आज भी शुद्ध पेयजल के लिए बाजार में बिक रहे बोतलबंद पानी पर निर्भर है। रोजगार के अभाव में लोग प्रदेश पलायन कर बाहर कमाने जाने को मजबूर हैं। विभिन्न विभाग के कार्यालय सहित अधिकारी एवं कर्मचारी की कमी का दंश झेल रहा है।
● वर्ष 1954 में मिला था प्रखंड का दर्जा : 24 फरवरी 1954 को सिमरी बख्तियारपुर को प्रखंड का दर्जा मिला था। वही पूर्व मंत्री एवं मधेपुरा सांसद दिनेश चंद्र यादव के प्रयास से 22 सितंबर 1992 को सिमरी बख्तियारपुर को अनुमंडल का दर्जा दिलाया था। उस समय के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद ने 112 वें अनुमंडल के रुप में इसका उदघाटन किया था। अनुमंडल के तीन प्रखंड सिमरी बख्तियारपुर, सलखुआ एवं बनमा इटहरी प्रखंड है।
वहीं सिमरी अनुमंडल के कोसी तटबंध के अंदर के इलाके के इतिहास पर नजर दौड़ाये तो सदियों से उपेक्षित इस इलाके की दुर्गम स्थिति को देखकर अकबर के कुशल वित्त मंत्री टोडरमल ने अधिकांश भू भाग को फरकिया क्षेत्र घोषित कर दिया था। दुर्गम क्षेत्र को देखते हुए फरकिया को कर लगाने से मुक्त कर दिया था। लेकिन तेजी से भागती तकनीकी दुनिया में कोसी तटबंध के अंदर के इलाके फरकिया का अपेक्षित विकास नहीं हो पाया है। अनुमंडल मुख्यालय तक पहुंचने के लिए नाव का सहारा लिया जाता है। कोसी नदी पर एक अदद पुल की चिर प्रतिक्षित मांग है जो अब तक पूरी नही हुई।
● महत्वपूर्ण कार्यालय तक नहीं खुले : नवनिर्मित भवन में अनुमंडल कार्यालय चल रहा है। लेकिन स्थापना के 29 वर्ष बीतने के बावजूद भी सिमरी बख्तियारपुर में अनुमंडल न्यायालय, उप कोषागार, माप तोल कार्यालय, अनुमंडल शिक्षा कार्यालय, जेल सहित अन्य कार्यालय अभी तक नहीं खुल पाए है। जिसके कारण यहां के लोगों को अभी भी कई कार्यों के लिए सहरसा मुख्यालय जाना पड़ता है।
वही नगर पंचायत से नगर परिषद बने सिमरी बख्तियारपुर के मुख्य बाजार की जर्जर सड़क इसके विकास पर मुंह चिढ़ा रही है। इसके अलावे शुद्ध पेयजल आपूर्ति योजना के तहत पानी टंकी बनकर तैयार है। लेकिन कई वर्ष बीतने के बावजूद किसी घर मे एक बूंद पानी तक नही पहुंचा। कुल मिलाकर कर कह सकते हैं कि आज 29 वर्ष बाद भी यहां कुछ नहीं बदला।