हथियार, गोली, तलवार, चाकू बरामद, अररिया व पूर्णिया जिले का बदमाश भी गिरफ्तार
- किसी बड़े घटना को अंजाम देने के लिए एकजुट हुआ था बदमाश, हो गया गिरफ्तार
सहरसा से V & N की रिपोर्ट : जिले का कुख्यात बदमाश करीब आधा दर्जन संगीन मामलों का आरोपी बिक्री चौबे रविवार को शहर के तिवारी टोला स्थित अपने घर से अन्य पांच साथी बदमाशों के साथ पुलिस के हत्थे चढ़ गया है। पुलिस ने इन बदमाशों के पास से एक पिस्तौल, पांच कारतूस, तीन बाइक, दो चाकू, चार तलवार एवं आधा दर्जन मोबाइल फोन बरामद किया है।
सहरसा एसपी लिपि सिंह ने सोमवार को प्रेस वार्ता कर उपरोक्त बदमाशों की गिरफ्तारी के संबंध में जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि पुलिस को सूचना मिली थी कि शहर के तिवारी टोला स्थित विक्की चौबे के घर पर कुछ बदमाश हथियार से लैस होकर किसी बड़े आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने के लिए एकत्रित हुए हैं। सूचना का सत्यापन कराया तो जानकारी सही निकली।
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उसके बाद एसडीपीओ सदर संतोष कुमार, प्रशिक्षु डीएसपी निशिकांत भारती, सदर सर्किल इन्स्पेक्टर आरके सिंह, इंस्पेक्टर राजमणि, सदर थानाध्यक्ष जयशंकर प्रसाद, महिला थानाध्यक्ष प्रेमलता भूपाश्री सहित पुलिस दल बल के साथ तिवारी टोला में विक्की चौबे के घर छापेमारी की गई। उसके घर से विक्की चौबे सहित कुल छह बदमाश पुलिस के हत्थे चढ़ गया।
उन्होंने बताया कि जिन बदमाशों की गिरफ्तारी हुई है उनमें जिले के बसनही थाना क्षेत्र के बजराहा निवासी आगम कुमार, अररिया जिले के भरगामा थाना क्षेत्र के रधुनाथपुर निवासी सूरज कुमार यादव, सहरसा जिले के सौरबाजार के दमगडी निवासी मंजीत सिंह, पूर्णिया जिले के जानकीनगर थाना क्षेत्र के अभिषेक कुमार, गंगजला वार्ड नंबर 18 निवासी अंकित कुमार शामिल हैं।
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एसपी लिपि सिंह ने कहा कि बदमाशों का मुख्य सरगना विक्की चौबे ही है जिसके खिलाफ सदर थाना सहित सौरबाजार थाना क्षेत्र में करीब आधा दर्जन आपराधिक मामला दर्ज किया गया है। उस पर वर्ष 2011 से ही मामले दर्ज हैं। वह अपने साथियों को मंगवा कर किसी बड़े अपराधिक घटना को अंजाम देकर पुनः फरार होने की फिराक में था।
भाई की हत्या का बदला लेने तो नहीं हुआ था इक्ट्ठा ? : सहरसा शहर के तिवारी टोला से बिक्की चौबे अपने पांच साथियों के साथ पुलिस के हत्थे चढ़ गया लेकिन जानकार सूत्र बताते हैं कि वह अपने भाई मिक्की चौबे की हुई हत्या का बदला लेने अपने साथियों संग इक्कठा हुआ था। तेज तर्रार एसपी लिपि सिंह की कुशल नेतृत्व में युवा थानेदार जयशंकर प्रसाद ने शहर में एक बड़े अपराधिक वारदात को होने से पहले बचा लिया।
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