तस्वीर बयां कर रही है असली चेहरा, गत वर्ष सफाई में मिला था 104 स्थान
- राठौड़ एंड विश्वजीत इंफ़्रा को मिला है सिमरी बख्तियारपुर नगर पंचायत सफाई का टेंडर
सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) ब्रजेश भारती : सहरसा जिले के नगर पंचायत सिमरी बख्तियारपुर में सफाई के नाम पर प्रतिमाह 14 लाख की राशि खर्च हो रही है। लेकिन सफाई के नाम पर सब कुछ भगवान भरोसे है। मुख्य बाजार और रानीबाग को छोड़ दे तो अन्य वार्डों में तो सफाई की स्थिति सिर्फ और सिर्फ दिखावटी सी लगती है।
सवाल है कि जब सफाई के नाम पर नगर पंचायत प्रतिमाह इतनी बड़ी राशि खर्च कर रही है तो फिर नगर स्वच्छ ना होना जवाबदेहो की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहा है। मात्र 15 वार्ड के नगर पंचायत मे गंदगी का अंबार लगा है। नगर के लोगो की मांग है कि नगर में एक ही एनजीओ को दो – दो सफाई का टेंडर देकर प्रतिमाह लाखो रुपये खर्च होने के बाद भी जब गंदगी है तो उन जवाबदेहो को चिन्हित कर कार्यवाई की जाये।
● राठौड़ एंड विश्वजीत इंफ़्रा को मिला है टेंडर :
बीते वर्ष केंद्र सरकार द्वारा करवाये गए स्वच्छता सर्वेक्षण में सिमरी बख्तियारपुर ने काफी खराब प्रदर्शन किया था। सर्वेक्षण में सिमरी बख्तियारपुर 104 नंबर पर रहा था। सिमरी बख्तियारपुर को 925.46 अंक प्राप्त हुए थे। सिमरी बख्तियारपुर से बेहतर स्थिति में 1002.99 अंक के साथ मुरलीगंज, 1382.20 अंक के साथ बनमनखी बाजार आदि रहे थे, परंतु सर्वेक्षण की खराब रिपोर्ट के बाद भी इस वर्ष भी किसी के कान में जूं ना रेंगना चिंताजनक है।
वर्तमान में सफाई में एक ही एनजीओ राठौड़ एंड विश्वजीत इंफ़्रा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड को दो टेंडर मिला है। जिसमे पहला टेंडर सड़क – गली की साफ – सफाई तो दूसरा डोर – टू – डोर घर – घर कचड़ा उठाने का टेंडर है। बीते साल नवंबर के आकड़ो पर गौर करे तो इस एनजीओ के संवेदक को लगभग साढ़े तेरह लाख रुपया देय किया गया। परंतु इतने पैसे की हर महीने की अदायगी के बाद भी सफाई के प्रति लचर व्यवस्था सोचनीय है।
यहां यह बता दे कि जिस एनजीओ को सुंदर सिमरी बख्तियारपुर बनाने का जिम्मा मिला है उस एनजीओ का सिमरी बख्तियारपुर में कार्यालय तक नही है। जहां आमजन जाकर अपनी शिकायते भी रह सके। सूत्र बताते हैं कि नप प्रशासन व एनजीओ की मिलीभगत से प्रत्येक माह सफाई के नाम पर सरकारी राशि का लूट किया जा रहा है।
● क्या कहते है कार्यपालक पदाधिकारी :
इस संबंध में नगर के कार्यपालक पदाधिकारी कमलेश कुमार प्रसाद से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि सफाई का जिम्मा एनजीओ के जिम्मे है।नपं सिर्फ भुगतान करता है। अब यहां सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि अगर राशि भुगतान की जिम्मेदारी नगर प्रशासन की है तो फिर सफाई की देखभाल किसके जिम्मे?