? विगत पांच दिनों से सदर अस्पताल में चल रहा था बिमार महिला का इलाज


? 15 दिसंबर की सर्द रात में पांच बच्चों के साथ सिमरी बख्तियारपुर स्टेशन पर बेबस पड़ी थी कुसुम


? स्थानिय मीडिया कर्मीयों के सहयोग से अनुमंडलीय अस्पताल में इलाज के बाद रेफर हुई थी सदर अस्पताल


? यूपी के सीतापुर से नरकटियागंज के लिए चली कुशुम पहुंच गई थी सिमरी बख्तियारपुर


✍️ सहरसा से V & N की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट :-


आखिर जिंदगी की जंग हार गई पांच मासूम बच्चों की मां कुसुम देवी ! मंगलवार रात सहरसा जिले के सदर अस्पताल में अपने पांच बच्चों के सामने उसने इस दुनिया को सदा के लिए अलविदा कह सभी बच्चों को समाज के उपर छोड़ दी।

बेबस लाचार कुसुम देवी तो दुनिया छोड़ गई लेकिन उसने कई ज्वलंत सवाल छोड़ समाज को दिखा दी कि बेबस व लाचार को कोई देखने वाला नहीं होता है। 


? सीतापुर से सिमरी बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन फिर वहां से मौत तक का सफर –


आधुनिकता के इस दौर में समाज के लोगो की मानवीय संवेदना समाप्त होती जा रही है। आश्चर्य तब और होता है जब शासन – प्रशासन के लोग संवेदनहीन हो जाते है।

पुरी कहानी कुशुम देवी की है गत शुक्रवार देर रात्रि एक बीमार महिला अपने पांच छोटे – छोटे बच्चों के संग इस कंपकपाती ठंडी रात में सिमरी बख्तियारपुर स्टेशन पर मरणासन्न पड़ी रहती है परंतु रेलवे के बाबू से लेकर यात्री और थाना से लेकर अस्पताल प्रभारी तक संवेदनहीन बने मुंह मोड़ते रहे।


? संवेदनहीन ASS और बख़्तियारपुर पुलिस


शुक्रवार देर शाम 15210 अमृतसर – सहरसा जनसेवा एक्सप्रेस से एक बीमार महिला अपने पांच बच्चों के संग जैसे – तैसे सिमरी बख्तियारपुर स्टेशन उतरती है। महिला स्टेशन अधीक्षक कार्यालय के बगल में अपने बच्चों के संग जमीन पर बेसुध हो निढाल हो जाती है। परंतु इस कंपकंपाती ठंड में दो – तीन घंटे में ही महिला की स्थिति चिंताजनक हो जाती है। लेकिन सबकुछ जानते हुए भी रेलवे के बाबू अपने केबिन से बाहर झांकने की जहमत नही उठाते।

इधर महिला की गंभीर स्थिति की जानकारी जब स्थानीय मीडिया कर्मी हिन्दुस्तान के कुमार राजेश एवं प्रभात खबर के आयुष कुमार एवं एयरटेल के डिस्ट्रीब्यूटर सह ग्रीन प्लानेट स्कूल के चैयरमेन सुमीत कुमार को मिलती है तो वे सब सामाजिक सरोकार के वादे को निभाते हुए स्टेशन पहुँच महिला की स्थिति का जायजा लेता है और महिला की स्थिति की जानकारी बख्तियारपुर थाना को देते है परंतु रेलवे का मामला होने की वजह से बख़्तियारपुर थाना पल्ला झाड़ लेता है। इसके बाद सुमित गुप्ता महिला और बच्चों को उसी वक्त बाजार से कंबल खरीद उसे दे अनुमंडलीय अस्पताल से संपर्क कर एम्बुलेंस मंगा बीमार महिला को हॉस्पिटल ले जाया जाता है।

? रात में प्रभारी भर रहे थे खर्राटा, नरकटियागंज की है महिला


शुक्रवार देर रात्रि स्टेशन पर बच्चो के संग मरणासन्न पड़ी महिला को स्टेशन से आनन – फानन में अनुमंडलीय अस्पताल लाने के उपरांत ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर मो अली की देखरेख में ईलाज शुरू हुआ। जिसके बाद महिला को स्लाइन चढ़ाया जाता है और ऑक्सीजन लगाया जाता है। हालांकि इस दौरान अस्पताल प्रभारी डॉ नरेंद्र कुमार बगल वाले कमरे में सोए रहते है। वही रात में बच्चो को भी ब्रेड – दूध उपलब्ध करवाया जाता है। इधर सुबह में महिला की स्थिति में सुधार ना होने पर महिला को सहरसा रैफर कर दिया गया। जिसे एम्बुलेंस से सदर अस्पताल पहुंचा दी जाती है। जहां उसका इलाज किया जाने लगा।

यहां यह बता दे कि शुक्रवार रात सिमरी बख्तियारपुर स्टेशन पहुंची बीमार महिला के संबंध में मिली जानकारी के मुताबिक उस महिला का नाम कुसुम देवी के रूप में हुई जिसका घर नरकटियागंज है। महिला के तीन पुत्र और तीन पुत्री है। बीमार महिला के बेटे ने बताया कि वो सभी सीतापुर से जनसेवा से नरकटियागंज के लिए चले थे।


इसी दौरान भूलवश सिमरी बख्तियारपुर आ गए। महिला के बेटे ने बताया कि पिता ने एक साल पूर्व ही दूसरी शादी कर माँ को छोड़ दिया और अब जैसे – तैसे जिंदगी चल रही है। महिला के साथ तीन पुत्री और दो पुत्र साथ में है।

हालांकि इस पूरे घटनाक्रम में अस्पताल में कार्यरत आयुष चिकित्सक डॉ अली, एम्बुलेंस ड्राइवर पंकज और ईएमटी अंजित कुमार ऐसे कुछ लोग भी थे जिन्होंने बढ़ – चढ़ कर सेवा का कार्य किया।