मकरसंक्रांति पर्व आते ही खरीददारों की भीड़ व मांग बढ़ जाती है
सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) ब्रजेश भारती : मकर संक्रांति पर्व जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के मोहनपुर पंचायत सहित विभिन्न क्षेत्रों में देसी गुड़ बनाने का कार्य जोरों पर है। यहां के गुड़ की डिमांड पुरे कोशी क्षेत्र में सिर चढ़कर बोलता है।
देसी चक्की वाली गुड़ की सोधी सुगंध एवं मिठास से उस ओर से गुजरने वाले राहगीरों को स्वत: अपने पास बुला लेता है। यही वजह है कि खरीददारों की भीड़ के साथ हाई डिमांड पर्व से पहले हो गया है।
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मोहनपुर में अधिकांश किसान करते हैं गन्ने की खेती : मोहनपुर पंचायत की बनी गुड़ सहरसा सिमरी बख्तियारपुर सहित निकटवर्ती किराना मंडी तक पहुंचती है। जहां से क्रेता अपनी आवश्यकता के अनुसार गुड़ को खरीदने हैं। मोहनपुर पंचायत के मोहनपुर, हरियो, ढ़ोली आदि गांव में अधिकांश किसान गन्ने की खेती करते हैं।
मोहनपुर के अलावे इन स्थानों पर भी होती है गन्ने की खेती : इसके अलावे सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के चकभारो, तरियामा, बनमा ईटहरी प्रखंड के घौरदोड़, पहलाम एवं सहरसा के चैनपुर पंचायत सिमरी बख्तियारपुर के सटे गांव ढ़ोली आदि स्थान पर गुड़ का निर्माण करने का काम करते हैं।
कोशी के तीनों जिलों से आते हैं खरीददार : दो माह पूर्व गुड़ का व्यवसाय शुरू कर आर्थिक धनोउपार्जन करने का काम करते हैं। आजकल मकर संक्रांति पर्व को लेकर गुड़ बनाने वाले गन्ने की पेराई करने वाले दिन रात गुड़ को बनाने में लगे हुए हैं। दिन रात गुड़ बनाने का काम चलता है। एवं सुवह में सहरसा, सिमरी बख्तियारपुर के गुड व्यवसायी खरीदारी करते हैं।
क्या कहते हैं गन्ना किसान : मोहपुर गांव के किसान नारायण रजक, ढ़ोली के रमेश साह, बूचा साह, रामो साह, चानो साह, भुवनेश्वर साह, परमेश्वरी सादा का कहना है, कि हम लोग गन्ने को उपजा कर नवंबर से अप्रैल तक गुड़ बनाने का काम करते हैं, कड़ी मेहनत के बावजूद भी हम लोगों को गुड़ का मूल्य मेहनत के अनुसार नहीं मिलता है।
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सरकारी प्रोत्साहन का मोहताज : अगर सरकार मदद करे तो गुड़ आधारित उद्योग लगाने से किसानों को प्रोत्साहित किया जा सकता है। मोहनपुर पंचायत के गांव में ज्यादा गुड़ बनाने वाले हैं। कई गुड़ बनाने वालों के पास गन्ने के रस के पेराई का मशीन भी नहीं है। यह मशीन वाले को किराए के मशीन से गन्ने की रस निकाल कर एवं मूल्य देकर रस को आग पर बनाने के काम करते हैं।
गुड़ बनाने वाले गुलाब शाह, मदन साह, भूषण साह का कहना है, कि हम लोग गन्ने की पेराई के बाद बच्चे गन्ने की सूखी लकड़ी के उपयोग करते हैं। दिन रात मेहनत आग की भट्टी में गर्म कर तीन बार रस का शुद्धिकरण करने के बाद गुड़ तैयार किया जाता है। एवं सुबह में निकाल कर रखते है। जिसे निकटवर्ती जिला सहरसा, सुपौल के गुड़ व्यवसायी को थोक भाव में खरीदते हैं।
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आर्थिक बदहाली : किसान गन्ने की खेती बहुत ही व्यापक पैमाने पर किए जाने के कारण हम लोग के संसाधन के अभाव मे आर्थिक बदहाली बनी हुई है। वही मोहनपुर निवासी नारायण रजक का कहना है कि अगर सरकार प्रोत्साहन दे, तो इलाके में गन्ने की खेती समृद्ध बनाए जा सकते हैं। गन्ना किसानों ने कहा कि पूर्व में सिमरी बख्तियारपुर के कई इलाके में गहन गन्ने की खेती होती थी। लेकिन प्रोत्साहन नहीं मिलने के कारण इसमें कमी आई है।
क्या कहते हैं, प्रखंड कृषि अधिकारी : सिमरी बख्तियारपुर के प्रखंड कृषि पदाधिकारी प्रहलाद मिश्र का कहना है कि सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड में 125 एकड़ भूमि में गन्ना की खेती किसानों द्वारा की जाती है। जिसका अधिकांश इलाका भूभाग मोहनपुर पंचायत एवं उसके सीमावर्ती इलाका है। प्रखंड में छिटपुट हर एक जगह गन्ना की खेती होती है।