बांका जिले के बौंसी का रहने वाला है गिरफ्तार मदारी, झाड़-फूंक कर देता था ताबिज

सहरसा से वरिष्ठ पत्रकार अनिल वर्मा की रिपोर्ट : अक्सर आपने गांव-मुहल्ले या फिर अन्य स्थानों पर सड़क किनारे या फिर किसी के दरबाजे पर भालू, बंदर या फिर किसी अन्य प्रकार के जानवरों का खेल दिखाते देखा होगा। जो कानूनन अपराध है। वैसे लोगों पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।

इसी प्रकार के खेल दिखाते व लोगों को झाड़ फूंक कर ताबिज देते एक मदारी को सहरसा वन विभाग की टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर छापेमारी कर गिरफ्तार कर लिया है। वहीं भालू को संरक्षित करते हुए जू भेजने की तैयारी की जा रही है। गिरफ्तार मदारी की पहचान बांका जिले के बौंसी निवासी नजाम कलंदर के पुत्र मो. अकबर के रूप में की गई है।

सहरसा वन प्रमंडल पदाधिकारी (डीएफओ) रवेन्द्र कुमार ने बताया कि गुप्त सूचना मिली कि बहियाही बाजार से दिवारी जाने वाले सड़क मार्ग में दिधिया के समीप एक मदारी भालू का खेल दिखा रहा है। प्राप्त सूचना का सत्यापन उपरांत वनपाल फैज अहमद की अगुवाई में वनरक्षी कुंदन कुमार, वनरक्षी योगेश कुमार, वनरक्षी अरूण कुमार को अग्रतर कार्रवाई के लिए निर्देशित किया गया।

टीम जब प्राप्त सूचना स्थल पहुंच तो एक भालू के साथ एक मदारी को हिरासत में ले लिया। वहीं मौके का फायदा उठाते हुए एक अन्य सहयोगी व्यक्ति भागने में सफल रहा। हिरासत में लिए गए मदारी व भालू को सहरसा कार्यालय लाया गया। मदारी से आवश्यक पुछताछ उपरांत वन्य जीव जंतु संरक्षण अधिनियम के तहत केस दर्ज कर न्यायिक हिरासत में न्यायालय भेज दिया गया। उन्होंने बताया कि संरक्षित भालू को पटना जू भेजने की तैयारी की जा रही है।

भालू को पसंद हैं सत्तू : क्या आप जानते हैं भालू क्या खाता है तो आपको जानकर आश्चर्य होगा कि सत्तू भालू का पसंदीदा भोजन है। इसके अलावे दूध रोटी, दूध भात भी खाता है। देश में बहुत तेजी से भालू की संख्या में कमी आई है। इसे संरक्षित किया जा रहा है ताकि यह विलुप्त ना हो जाए।

भालू व कलंदर समुदाय : देश में भालू व कलंदर समुदाय का नाता बहुत पुराना है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार कालांतर से ही कलंदर समुदाय भालू को अपना जीविका का साधन बनाते रहा है। गांव-गांव जाकर भालू को नचा कर विभिन्न प्रकार के खेल दिखाकर आमजनों से प्राप्त अनाज व रूपए प्राप्त कर जीवन यापन करता था।

समय के साथ कलंदर समुदाय दुआ ताबिज के साथ झाड़ फूंक का भी सहारा लेकर जीवन यापन में लगा रहा। 1972 में वाइल्ड लाइफ एक्ट के लागू हो जाने के बाद यह कार्य गैर-कानूनी हो गया। प्राप्त रिपोर्ट की मानें तो वर्ष 93 तक भालू को रखने के लिए शर्तों के साथ कलंदर समुदाय को इजाजत दी जाती रही थी। लेकिन अब ऐसा नहीं होता है। अभी भी कलंदर समुदाय खानाबदोश का जीवन यापन करता है। बिहार के बांका जिला में कलंदर समुदाय की संख्या अधिक है।‌ हालांकि समय के साथ यह समुदाय जागरूक हुआ। अब यह धीरे-धीरे समाज की मुख्य धारा में शामिल होने की ओर अग्रसर है।‌