प्रशासनिक सक्रियता बढ़ेगी तब ही रुकेगा इस तरह का मामला
  • अंग्रेजी के जमाने के खतियान पर आज भी होती है जमीन की खरीद-बिक्री

सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) अनुमंडल क्षेत्र सहित आसपास के इलाकों में मकान या दुकान के लिए जमीन खरीदना दिनों-दिन मुश्किल हो रहा है। शहर की कौन पूछे सुदूर ग्रामीण इलाकों की जमीन के भी रेट आसमान छू रहे हैं। इसलिए जमीन हड़पने का चलन बढ़ गया है। जिस वजह से मामला बढ़ जाता है और गोलीबारी से लेकर हत्या तक कि घटना आम हो गयी है।

सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल में इन दिनों धन व बल की नोंक पर जमीन हड़पने का खेल बदस्तूर जारी है, वहीं सारे मामले में प्रशासन सक्रियता बढ़नी जरूरी है, तब ही इस तरह के अपराध रुकेंगे। इन सब का एक बड़ा कारण अंग्रेजों के जमाने का कागजात है। आज भी जमीन की खरीद-बिक्री 1902 ई. के खतियान पर होती है। नतीजा फर्जीवाड़ा भी सामने आ जाता है।

फर्जी कागजात भी हो जाते है तैयार : सिमरी बख्तियारपुर में बीते कई वर्षो से जमीनों को लेकर मारपीट आम हो गयी है‌ भू – माफिया जमीन की खरीद फरोख्त कर बेहिसाब धन उगाही में इतने माहिर हो चुके हैं कि अगर किसी जमीन पर उनकी निगाह रुक गयी तो उस जमीन को पाने के लिए शाम, दाम, दंड, भेद का फार्मूला इस्तेमाल करने से नहीं चूकते हैं।

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महंगी जमीन को धन और बल के दम पर पाने का माद्दा रखने वाले ऐसे भू माफिया पैसे व ऊंची राजनीतिक पहुंच के दम पर रस्सी को भी सांप बना देते हैं। जिसमें आम आदमी उलझ कर रह जाता है। वहीं जब पीड़ित प्रशासन तक पहुंचता है तब तक बहुत लेट हो जाता है। ये भू – माफिया पैसे के बल पर फर्जी कागजात बनाने से पीछे नहीं हटते, जिस कारण एक गरीब अपनी वाजिब जमीन पर से हाथ धो बैठता है।

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ताज़ा मामला नगर परिषद क्षेत्र स्थित कानू टोला का है। मुख्य बाजार निवासी आदित्य कुमार ने बख्तियारपुर थाना को आवेदन देकर आरोप लगाया है कि शनिवार की सुबह मेरे पैतृक जमीन पर दर्जनों की संख्या में पहुंचे दबँगो द्वारा जमीन पर कब्जा करने का प्रयास किया गया। इस दौरान जैसे ही मुझे इस बात की जानकारी हुई तो मैने इसकी सुचना पुलिस को दी। जिसके बाद बख्तियारपुर पुलिस ने कार्य को रुकवाया।
इस संबंध में बख्तियारपुर थाना के प्रभारी थानाध्यक्ष महेश रजक ने बताया कि सुचना के आधार पर पुलिस को भेज कार्य रुकवाया गया। कागज़ात लेकर थाना आने को कहा गया है।

वर्ष 1902 ई. का खतियान अभी भी मान्य : सिमरी बख्तियारपुर सहित अन्य स्थानों पर आज भी वर्ष 1902 ई के सर्वे खतियान पर जमीन की खरीद-बिक्री होती है। हाल सर्वे का फाइनल नहीं होना परेशानी का सबव बना हुआ है। नतीजा पुराने कागजात का सही रिकॉर्ड नहीं मिल पाता है। वहीं सरकार के रजिस्टर टू में खाता, खेसरा का अंकित नहीं होना भी परेशानी बनती है।

रकवा से अधिक का जमाबंदी कायम : जानकार सूत्र बताते हैं कि इस बात से ही फर्जीबाड़ा का हिसाब लगाया जा सकता है कि एक मौजा बख्तियारपुर का रकवा तकरीबन 1985 एकड़ है लेकिन जमाबंदी करीब दोगुने से अधिक का चल रहा है। एक-एक जमीन का दो-दो रैयत जमाबंदी कायम करा रखा है। वहीं ऐसे कई जमाबंदी है जिसका आमद जमाबंदी रद्द है लेकिन फिर भी सृजित जमाबंदी चल रही है। क्रमशः

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