पांच दिन पहले सड़क किनारे से अस्पताल में इलाज के लिए कराया गया था भर्ती
- मीडिया के कैमरे चमकने के बाद शव को उठाकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा
सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडलीय अस्पताल में एक बार फिर मानवता को शर्मशार करने वाला मामला सामने आया है। दरअसल गत गुरुवार को सिमरी बख्तियारपुर – सोनवर्षा राज एनएच 107 सड़क मार्ग के ईदगाह के समीप एक अज्ञात व्यक्ति लावारिश हालात में सड़क किनारे गड्ढे में बेहोशी की हालत में गिरा हुआ मिला। जिसपर आसपास के लोगों की नजर पड़ी तो लोगों ने उस व्यक्ति को पहचानने की कोशिश की लेकिन उसकी पहचान नहीं हो सकी थी।
इसी दौरान नप अध्यक्षा फसीहा खातून के पुत्र समाजसेवी अबू तोराब उक्त सड़क मार्ग से गुजर रहे थे। तभी उनकी नजर उस व्यक्ति पर पड़ी तो उन्होंने वहां रुक कर सारी बात की जानकारी लेते हुए उक्त बात की सूचना 112 नंबर की पुलिस टीम को दी। जिसके बाद मौके पर पहुंची 112 की पुलिस टीम और अबू तोराब के सहयोग से उस व्यक्ति को अनुमंडलीय अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया गया। जहां चिकित्सकों ने इलाज के नाम खानापूर्ति कर उसे छोड़ दिया।
वहीं मंगलवार को उसकी मौत अस्पताल परिसर में हो गई। आश्चर्य यह रही की संवेदनहीन अस्पताल प्रशासन ने उसे बरामदे के बाहर सड़क पर ही छोड़ अपने कार्य की इतिश्री कर ली। हालांकि मीडिया के फोटो लेने के दौरान अस्पताल प्रशासन को अपनी गलती का एहसास हुआ और शव को उठाकर स्ट्रेचर पर रखा गया।
इधर मौत की जानकारी मिलने पर अस्पताल पहुंचे समाजसेवी अबू तोराब ने अस्पताल प्रबंधन पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए घटना की घोर निंदा की। उन्होंने कहा कि यह बेहद शर्मनाक घटना है। अगर अस्पताल प्रबंधन इसका समुचित इलाज करवाती और सही से देख – रेख किया जाता तो उस व्यक्ति की जान बच सकती है।
इधर घटना के बाद बख्तियारपुर पुलिस ने कागजी प्रक्रिया पूर्ण करते हुए शव को पोस्टमार्टम के लिए सहरसा भेज दिया। पोस्टमार्टम उपरांत शव को श्मशान में दफना दिया गया। इस पूरे मामले जब अस्पताल उपाधीक्षक से पूछा गया तो उन्होंने घटना के संबंध में किसी प्रकार की जानकारी देने से बचते नजर आए।
चलते चलते ये भी देखें लें कि जिन्होंने लावारिश को अस्पताल पहुंचाया वो क्या कह रहे हैं…!