कॉल गर्ल सप्लाई का आरोप से बड़ी हुए मधेपुरा डीएसपी
- 4 सदस्य जांच टीम ने कई स्तर पर की जांच, डीआईजी ने पीसी कर दी जानकारी
कॉल गर्ल के साथ रंगरेलियां मनाने की डीएसपी पर लगा आरोप था झूठा
सहरसा/भार्गव भारद्वाज : बीते 4 सितंबर को कई सोशल मीडिया साइट एवं समाचार पत्रों में मधेपुरा जिला मुख्यालय डीएसपी अमरकांत चौबे के संबंध में कॉल गर्ल संबंधी समाचार प्रकाशित और प्रसारित किया गया था। आरोप की गंभीरता को देखते हुए कोसी रेंज के डीआईजी द्वारा सुपौल एसपी डी अमरकेश के नेतृत्व में सहरसा मुख्यालय डीएसपी एजाज हाशिम मणि, मधेपुरा अंचल पुलिस निरीक्षक प्रशांत कुमार, सहरसा महिला थाना अध्यक्ष प्रेमलता भूपाश्री को शामिल करते हुए चार सदस्य टीम का गठन कर खबर की जांच कराई गई थी।
जांचोपरांत कोसी रेंज के डीआईजी शिवदीप लांडे ने प्रेस वार्ता कर पुरे मामले की जानकारी मीडिया से साझा किए हैं।
क्या हुआ जांच : जांच के क्रम में टीम के द्वारा वायरल वीडियो में बयान देने वाली महिला रीना देवी का बयान लिया गया। महिला ने बयान में बताया कि रेखा कुमारी नाम की महिला को चार-पांच बार ऑटो में लेकर मधेपुरा गई थी। जांच टीम के सदस्यों द्वारा कथित रेखा कुमारी से पूछताछ किया गया।
क्या कहा कथित कॉल गर्ल रेखा ने : रेखा कुमारी के घर से करीब तीन-चार महीने पहले रीना देवी द्वारा मोबाइल चोरी कर ली गई थी। कथित रेखा द्वारा उक्त रीना को पकड़कर स्थानीय सदर थाना को सुपुर्द किया गया था। जहां रीना के पास से तीन-चार मोबाइल बरामद हुआ था। परंतु रेखा का मोबाइल बरामद नहीं हुआ था। इस घटना को लेकर रीना देवी रेखा के प्रति काफी छुब्ध थी। जिसने उनका नाम घसीटा गया।
ऑटो चालक से भी हुई पूछताछ : फिर जांच टीम के द्वारा रीना के बताए गए ऑटो चालक जिले के नवहट्टा थाना क्षेत्र के नवहट्टा गांव निवासी मो जसीम के पुत्र मो राजू एवं मो मोहिउद्दीन के पुत्र मो मिराज से भी पूछताछ किया गया। पूछताछ में उक्त ऑटो चालक ने बताया कि वे लोग नवहट्टा क्षेत्र से बाहर ऑटो लेकर कभी नहीं गए हैं। उक्त महिला से उनका कोई संबंध नहीं रहा है। वायरल वीडियो में बयान देने वाली महिला रीना के सामने दोनों ऑटो चालक को प्रस्तुत करने पर उक्त महिला ने पहचानने से इंकार कर दिया। मतलब कहानी मनगढ़ंत था।
पूर्व के मकान मालिक भारती नामक महिला को भी वेबजह फंसाया : चोरी की मोबाइल एक महिला के घर से बरामद हुई थी। जांच टीम के सदस्यों द्वारा महिला से पूछताछ करने पर बताया गया कि रीना देवी करीब साल भर पहले किराया पर भारती नामक महिला के मकान में रहती थी। जहां अपने-आप को सदर अस्पताल मधेपुरा का नर्स बताती थी। वह यह बताती थी कि उनकी पूरी रात मधेपुरा अस्पताल में ड्यूटी रहती है। परंतु किराया नहीं देने के कारण इनको मकान से निकाल दिया गया। उनसे पैसा की मांग करने पर वे बीते 23 अगस्त को एक मोबाइल ला कर उन्हें दिया।
भारती नामक महिला ने बताई कि उक्त महिला मोबाइल चोरी का कार्य करती है। रीना के द्वारा भारती को फसाने के लिए यह कार्य किया गया है।
मोबाइल चोरी करती है रीना : जांच के क्रम में टीम द्वारा पाया गया कि रीना देवी मोबाइल चोरी का कार्य करती थी। मधेपुरा शहर में भी इनके द्वारा तीन-चार दिन पहले मोबाइल चोरी की गई थी। जिसका वीडियो फुटेज भी है। इस संदर्भ में मधेपुरा सदर थाना में कांड दर्ज किया गया है।
रीना के मोबाइल का सीडीआर भी बताया पूरी कहानी : जांच टीम के द्वारा रीना देवी के मोबाइल नंबर का सीडीआर प्राप्त किया गया। जहां पाया गया कि जुलाई महीने में तीन बार एवं अगस्त में तीन बार रीना मधेपुरा सदर अस्पताल गई थी। उनका वहां के सुरक्षा गार्ड से सांठगांठ रखने की बात प्रकाश में आई है।
मधेपुरा एसपी सहित अन्य कर्मियों के मोबाइल का भी निकाला गया सीडीआर : जांच टीम के द्वारा मधेपुरा एसपी के तीनों मोबाइल नंबर, उनके अंगरक्षक, चालक एवं आदेशपाल आदि के मोबाइल नंबर का सीडीआर प्राप्त कर विश्लेषण किया गया। जहां पाया गया कि उक्त महिला से कभी भी इनका या इनके कर्मी का कोई बात नहीं हुई है।
महिला को डीएसपी की तस्वीर कराई गई पहचान : जांच टीम द्वारा तीन अन्य व्यक्तियों के साथ मधेपुरा हेड क्वार्टर डीएसपी की तस्वीर को एक साथ रखकर महिला को दिखाया गया। महिला से डीएसपी की पहचान करने को कहा गया। महिला रीना देवी द्वारा पहचान नहीं किया गया।
चोरी से डीएसपी आवास घुसी थी महिला, जहां मोबाइल चोरी कर निकल गई : रीना द्वारा बताया गया था कि उस रात पैसेंजर ट्रेन से मधेपुरा गई थी तथा सदर अस्पताल मधेपुरा में किसी सुरक्षा कर्मी अजय (काल्पनिक नाम) के इशारे पर पुलिस उपाधीक्षक मुख्यालय के आवास जिनका मुख्य दरवाजा रस्सी से बंधा हुआ रहता था। उसको खोलकर आवास में घुस गई। फिर मोबाइल चोरी की घटना को अंजाम दिया।
टीम के द्वारा अजय की पहचान हेतु हेड क्वार्टर डीएसपी के रसोइए को दो अन्य कर्मियों के साथ रीना को दिखाया गया। रीना ने रसोइए को ही अजय बताया। उन्होंने बताया कि ये सदर अस्पताल मधेपुरा में रहते हैं। आर्मी का वर्दी पहनते हैं तथा गार्ड का काम करते हैं। इनका आवास सदर अस्पताल स्थित गार्ड रूम में है। जबकि वे पुलिस उपाधीक्षक मुख्यालय की रसोइए का काम करते हैं। इस प्रकार रीमा देवी द्वारा रसोइए की भी गलत पहचान की है।
चोरी की घटना को छिपाने के लिए रीना ने बोला था झूठ : उपरोक्त तथ्यों के विश्लेषण एवं जांच टीम के जांच रिपोर्ट के आधार पर यह पाया गया है कि उक्त महिला मूलतः चोरी की कार्य करती है। मोबाइल चोरी के बाद अपने बचने के लिए बेबुनियाद एवं मनगढ़ंत आरोप लगा रही है। मोबाइल बरामदगी के पश्चात टेक्निकल टीम मधेपुरा एवं सहरसा तथा सदर थाना सहरसा के कर्मी तथा पदाधिकारियों के द्वारा बिना सत्यापन और बिना वरीय पदाधिकारी के अनुमति के मधेपुरा हेड क्वार्टर डीएसपी को बदनाम करने के लिए उक्त महिला का बयान लेकर मीडिया को लीक कर वाइरल कर दिया गया है।