मंदिर का चल रहा नवनिर्माण के दौरान मजदूरों ने नींव से निकाला मूर्ति
  • पुरातत्व विभाग ने अद्भुत सूर्य भगवान की मूर्ति होने की पुष्टि, सुरक्षित रखा गया मूर्ति

मूर्ति मिलने की जानकारी पर आसपास के लोगों की देखने का सिलसिला हुआ शुरू

सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) ब्रजेश भारती : सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड अंतर्गत बलवाहाट के कांठो पंचायत स्थित प्रसिद्ध बाबा मटेश्वर धाम मंदिर के हो रहे नवनिर्माण के दौरान रविवार को नींव खुदाई के क्रम में मजदूरों को एक अद्भुत मूर्ति मिला है। मूर्ति की पहचान पुरातत्व विभाग पटना ने एक हजार साल पुरानी बाल काल की भगवान सूर्य देव की बताई है।

नवनिर्माणधीन मंदिर का नींव जहां मिला मूर्ति

वहीं मंदिर परिसर से मूर्ति मिलने की सूचना मिलने पर आसपास के ग्रामीणों की भीड़ मूर्ति देखने के लिए उमड़ पड़ी। मंदिर न्यास समिति के अध्यक्ष पूर्व विधायक डॉ अरूण कुमार मंदिर पहुंच मूर्ति का अवलोकन कर उसे सुरक्षित रखने की बात कही है। मूर्ति मिलना क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है। इससे पहले भी इस परिसर से अद्वितीय भैंसा पर सवार शनिदेव की मूर्ति मिला था। वर्तमान में शनिदेव की मूर्ति को मंदिर बना पुजा अर्चना की जाती है।

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रविवार को मिले मूर्ति के संबंध में न्याय समिति के अध्यक्ष पूर्व विधायक डॉ अरुण कुमार यादव ने बताया कि जैसे ही मूर्ति मिलने की जानकारी मिली वे स्वयं मंदिर पहुंच मूर्ति का फोटो खींच उसे पुरातत्व विभाग के विशेषज्ञों को भेजने का काम किया। उन्होंने बताया कि हेरिटेज पटना के महानिदेशक डॉ अनन्ताशुतोष द्विवेदी ने फोटो देख बताया कि यह एक हजार साल पुरानी सूर्यदेव की मूर्ति है। उन्होंने बताया अमुमन किसी भगवान की मूर्ति में पैर में कुछ नहीं पहने पाया जाता है लेकिन सूर्यदेव की मूर्ति में जुता खराउ पहने पाया जाता है जो इस मूर्ति में है।

खुदाई के दौरान मिली हजार वर्ष पूर्व की सूर्यदेव की अद्भुत मूर्ति

डॉ यादव ने बताया कि महानिदेशक ने मूर्ति के संबंध में अन्य जानकारी देते हुए बताया कि मूर्ति के नीचे सूर्यदेव की दो पत्नियां उषा एवं प्रतीक्षा की तस्वीर भी है। दोनों हाथों में कमल का फूल है। बगल में दंड पिंगला है जो मनुष्य का लेखा-जोखा रखता है उसी के हिसाब से उड़े दण्ड देते हैं। मूर्ति की लम्बाई करीब तीन फीट है जबकि चौड़ाई 14 इंच है जबकि मोटाई चार इंच के करीब है।

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डॉ अरुण कुमार ने बताया इनके अलावे कोलकाता विश्वविद्यालय के पुरातात्विक विभाग के वीसी सह पूर्व डीजी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण पटना मंडल के फणिकांत मिश्र ने भी मूर्ति की पहचान सूर्यदेव के रूप में की है। मूर्ति को सुरक्षित रखा है। यह मूर्ति बाल काल का होने की बात कही जा रही है।

मूर्ति का अवलोकन करते अध्यक्ष सहित अन्य लोग

पहले भी मिल चुका है शनिदेव की अद्वितीय मूर्ति : इस मंदिर परिसर से इससे पहले 2007 में भी भैंसा पर सवार शनिदेव की अद्वितीय मूर्ति मिला था जो एक पेड़ के नीचे रख पूजे जाते थे। जब कुछ दिनों बाद पुरातत्व विभाग के लोग यहां पहुंचे थे तो उन्होंने मूर्ति को अद्वितीय करार देते हुए इसे सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था। जिसके बाद शनिदेव का मंदिर बना उसमें मूर्ति रख पूजे जाने लगे।

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2003 में शंकराचार्य पधार चुके हैं मंदिर : अप्रैल माह 2003 में शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती यहां पधार चुके हैं। उन्होंने शिवलिंग का दर्शन करते हुए कहा था कि यह शिवलिंग दुनिया का अद्भुत शिवलिंग है। उसके बाद यहां दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में दिन दुगुना रात चौगुनी वृद्धि होने लगी। देखते देखते उतर बिहार का मिनी बाबा धाम के नाम से बाबा मटेश्वर धाम मंदिर प्रसिद्धि प्राप्त करने लगा।

पूर्व में मिला शनिदेव की अद्वितीय मूर्ति

इस मौके पर न्याय समिति के उपाध्यक्ष सत्यनारायण सिंह, सचिव जगधर यादव, डाक एवं काँवरिया संघ के अध्यक्ष मुन्ना भगत, रामावतार यादव, ललित झा, पिंकू यादव, रामप्रवेश राय, अरविंद यादव, सौरभ कुमार सहित अन्य लोग मौजूद रहे।

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