एक रात डबल मर्डर ने दिला दी नब्बे दशक की याद जब दियारा में चलती थी विभिन्न गिरोहों का राज
ग्राउंड जीरो से लौटकर संपादक ब्रजेश भारती की कलम से विशेष रिपोर्ट : सहरसा जिले के सलखुआ थाना क्षेत्र के पूर्व कोशी तटबंध के अन्दर स्थित कोशी दियारा में शनिवार देर रात चिड़ैया ओपी के विभिन्न दो स्थानों पर हथियार बंद बदमाशों के द्वारा दो व्यक्ति की निर्मम तरीके से गोली मार हत्या नब्बे दशक की याद ताजा कर दी है।
रविवार सुबह जैसे ही डबल मर्डर की जानकारी लगी ग्राउंड जीरो के लिए हमने प्रस्थान कर दिया। दोनों स्थानों में हुई हत्या अलग-अलग प्रकृति को दर्शाता दिख रहा था। करहरा कोशी नदी घाट पर जहां आपसी वर्चस्व को लेकर नाविक खगड़िया जिले के भदास निवासी भूल्लू चौधरी (60 वर्ष) नाविक (मजदूर) की हत्या होना बताया जाता है।
नाविक की हत्या में आपसी वर्चस्व को लेकर बिपीन पहलवान पर लगा आरोप
वहीं दुसरी हत्या नवसृजित प्राथमिक विद्यालय बगुलवाटोल की है यहां बदमाशों सुप्तावस्था में समस्तीपुर जिले के दलसिंहसराय अशिनचक निवासी दहौटबार किसान सह ग्रामीण पशु-चिकित्सक देवेन्द्र राय (45 वर्ष) की हत्या सिर में गोली मार कर दी गई। हालांकि इस हत्या में स्पष्ट तौर पर किसका हाथ है यह सामने नहीं आया है। पुलिस डॉग स्क्वायड टीम को सुराग का पता लगाने में लगा दी है।
चुंकि जिस देवेन्द्र राय की हत्या हुई है उसकी किसी से कोई दुश्मनी नहीं होने की बात परिजन बता रहे हैं वहीं ग्रामीणों की मानें तो राय काफी मिलनसार व्यक्तित्व के धनी थे। उनके बाप दादा की यहां सैकड़ों एकड़ ज़मीन हुआ करती थी। वर्तमान में बची तीस चालीस एकड़ जमीन पर खेती बारी का काम मृतक देवेन्द्र राय ही करते थे।
अब बात करें दोनों हत्याकांडों की तो फरकिया में नब्बे के दशक की अपराध की याद ताजा कर दी
नाविक की हत्या की कहानी : करहरा घाट पर भूल्लू चौधरी की हत्या के मामले में घाट संचालक सुभाष यादव के पुत्रो ने चिड़ैया ओपी अध्यक्ष पर बड़ा आरोप लगाया है। सुभाष के तीन पुत्रों में एक मौसम यादव ने कहा कि चिड़ैया ओपी अध्यक्ष कांति प्रसाद हर बार पांच हजार रुपया लेकर ही छापेमारी करते है। पैसे ना देने पर ना – नुकुर करते है। मौसम ने कहा कि अपराधी उसे मारने के लिए आये थे। परंतु गलतफहमी से उसकी जगह गलती से नाविक की हत्या कर दी।
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विपिन पहलवान पर लगा आरोप : करहरा घाट संचालक सुभाष यादव के पुत्र मौसम यादव ने हत्या का आरोप विपिन यादव पर लगाया है। मौसम यादव ने घटना में विपिन यादव, अमर यादव, प्रकाश यादव , अमर, छोटेलाल, पप्पू यादव आदि पर घटना घटित करने का आरोप लगाया है। मौसम ने कहा है कि घाट विवाद को लेकर हत्या की गई और जल्द ही मुझे भी मार दिया जाएगा। मौसम ने कहा कि प्रशासन यदि सजग रहती तो यह हत्या नही होती। सुभाष यादव की पत्नी मीरा देवी ने भी घटना में विपिन की संलिप्ता बताई।
विविन पहलवान ने बताया अपने को निर्दोष : वहीं हाल ही में जेल से छुटे विपीन पहलवान की मानें तो उसे व उसके लोगों को एक सोची समझी साज़िश के तहत यह हत्या में फंसाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस हत्या से कोई लेना देना नहीं है। इस संबंध में जल्द वरीय अधिकारियों को लिखित जानकारी देंगे वह निष्पक्ष जांच की मांग करेंगे।
कौन है मृतक नाविक भूल्लू चौधरी : जिस नाविक की गोली मार हत्या हुई है वह मूलतः खगड़िया जिले के भदास गांव का रहने वाला है। वह सुभाष यादव का नाव चलाने का काम करता था। मृतक की पत्नी पहले ही दुनिया से चल बसी है। चार पुत्र व तीन बेटी का पिता भूल्लू चौधरी की हत्या खबर बाद परिजनों घटना स्थल पहुंचे। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल था।
समस्तीपुर जिले का रहने वाला था मृतक देवेंद्र राय : शनिवार रात जो दुसरी हत्या की घटना हुई वह दहौटवार किसान थे यहां उसके बाप दादा की सैकड़ों एकड़ जमीन हुआ करती है वर्तमान में तीस चालीस एकड़ जमीन देवेन्द्र राय के हिस्से में थी वे यहां रह कर जमीन की देखभाल के साथ पशु-चिकित्सक का भी काम करते थे। मानसी थाना क्षेत्र के रोहियार में उनका ससुराल है। घटना के बाद पहुंची पत्नी बेबी देवी और दो बेटे व तीन बेटी का रो – रो कर बुरा हाल था।
किसान हत्या में अंधेरे में तीर मार रही है पुलिस, डॉग स्क्वायड की ली जा रही है मदद
कोशी दियारा का इतिहास : जल – जंगल – जमीन की लड़ाई। फरकिया क्षेत्र हमेशा से अपराधियो का गढ़ रहा है। इस भूमि में रामानंद यादव गिरोह एवं नक्सलियों में बराबर खूनी संघर्ष का बहुत पुराना इतिहास है। नक्सली दियारा – फरकिया में अपना संगठन मजबूत करने व जमीन हड़पने के लिए खूनी संघर्ष करते है तो वही रामानंद गिरोह अपना वजूद बचाने के लिए नक्सलियों से टकराते है।
परंतु यह भी सच है कि कइयों बार रामानंद पहलवान गिरोह ने नक्सलियों से भिंडत कर पुलिस की भी प्रतिष्ठा बचाई है। जिस वजह से रामानंद पुलिस के हितैषी भी बन गये। वर्तमान समय में वे साइलेंट मोड में रह रहे हैं।
नक्सलियों को दियारा पसंद है : दियारा में नक्सली हिंसा का पुराना इतिहास रहा है। महादलित व गरीबों को नक्सली अपने बहकावे में फसा कर संगठन से जोडते है और फरकिया के खाली भूभाग वाले जमीन पर लालझंडा लगा कर जमीन हड़पने एवं फसल लूटने की घटनाए आम है। जबकि रामानंद के अधिकांश जमीन पर नक्सली की नजर टीकी है। जमीन हड़पने को लेकर संगठन का विस्तार करना शायद नक्सली का मुख्य योजना है।
दर्जनों मुठभेड़ का गवाह बना कोशी दियारा क्षेत्र : सहरसा-खगड़िया जिले के सीमावर्ती इलाका कोशी दियारा के फरकिया क्षेत्र में कई अपराधी गिरोह का सफाया अबतक एसटीएफ ने किया है। कोशी दियारा कि धरती बीते कई वर्षो से गोलियों की गुंज से थर्रा चुकी हैं। हालांकि बीच बीच में एसटीएफ की कार्रवाई से क्षेत्र मे शांति को बढावा मिला।
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वर्ष 2015 में दियारा – फरकिया के कुख्यात अपराधर्मी रामपुकार यादव गिरोह की अंतिम पीढी विपीन व दिनेश यादव सहित कुल सात अपराधीयों को भारी मात्रा में हथियार व कारतूस के साथ पटना से पहुंची एसटीएफ ने गिरफ्तार जेल भेज दिया था।
दियारा में करीब आधा दर्जन छोटे -बड़े अपराधी गिरोहों का वर्षो से बर्चस्व कायम रहा हैं। जिनमें रामपुकार यादव, रामानंद यादव ने भी दियारा में अपना वर्चस्व दिखाया।वर्ष 2006 में दियारा का कुख्यात इंगलिस चैधरी को सरस्वती पुजा के दिन कबीरपुर गांव में लगे मेले के दौरान एसटीएफ ने मुठभेड में मार गिराया। उसके बाद गिरोह कि कमान सत्तन चैधरी के पास आ गई। वही छबीलाल यादव के अंत के बाद रामपुकार यादव के पारिवारिक गिरोह की कमान विपीन के पास थी जो कुछ साल पहले एसटीएफ के हत्थे चढ़ा।हालांकि वर्तमान में वह जमानत पर बाहर है।
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कुख्यात रामपुकार का कभी हुआ करता था राज : रामपुकार यादव पुर्णिया जिले के जानकी नगर थाना क्षेत्र में एक आपसी गैंगवार में मारा गया। रामपुकार की मारे जाने के बाद गिरोह की कमान छोटे भाई रमेश यादव ने संभाल लिया। इस बीच सत्तन चौधरी व रमेश यादव के बीच वर्चस्व को लेकर गोलाबारी व हत्या की घटना बीते समय में होती रही। जिसकी वजह से दोनो गिरोह पुलिस के लिये सरदर्द बनी रही।
सत्तन का भी रहा था दबदबा : कोशी दियारा में इंग्लिश चौधरी की हत्या बाद सत्तन का राज कायम हो गया। खगड़िया जिले के धमहारा धाट रेलवे स्टेशन से पुरब सिसवा गांव में वर्ष 2008 में सत्तन चैधरी को मुठभेड़ में पुलिस ने मार गिराया। हालांकि पुलिस के सहयोगी मुखिया विजय यादव भी इस मुठभेड में मारे गये। सत्तन चौधरी के मारे जाने के बाद दियारा क्षेत्र में रमेश यादव की एक बार फिर से वापसी हो गई और दियारा क्षेत्र में तूती बोलने गली।
गैंगवार में मरा कुख्यात रमेश : सहरसा जिले के बनमा ईटहरी प्रखंड के खुरेशान गांव चिमना रही बहियार में गैंगवार में कुख्यात रमेश यादव व शार्प सुटर बैधनाथ यादव की हत्या जाहिद उर्फ कमांडों के द्वारा कर दी गई। रमेश के मारे जाने के बाद उसके उत्तराधिकारी के रूप में छोटे भाई छबिलाल यादव ने गिरोह की कमान संभाल ली।
अंतत वर्ष 2009 में खगड़िया जिले के कैंजरी मोड़ के समीप पुलिस मुठभेड में छबिया यादव व उसके दो सहयोगी का अंत हो गया फिर पुलिस ने कुख्यात जाहिद उर्फ कमांडो को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया, जो आज भी जेल में कैद है। इस प्रकार कोशी दियारा चला जो वर्तमान में उपरोक्त स्थिति में है।