मामला सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के महखड़ पंचायत क्षेत्र का
सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) ब्रजेश भारती की रिपोर्ट :-
जाके राखे साइयां, मार सके न कोय.. यह कहावत सिमरी बख्तियारपुर में रविवार को चरितार्थ हुई है।
रविवार को जहां एक ओर मानवता को शर्मशार करते हुए एक निर्दयी मां ने अपने नवजात बच्ची को जन्म के बाद बांस के झाड़ियों में लावारिश हालत में फेंक दिया तो वहीं दूसरी ओर एक मां ने लावारिश नवजात बच्ची को गले लगाकर मां की ममता का आंचल दे उसकी जान बचाई है।
इतना ही नही अब वो हमेशा के लिए बच्ची को अपनाना भी चाहती है और भरपूर माँ की ममता के आंचल में रखना चाहती है। बकायता उस दम्पत्ति ने ग्रामीणों के समक्ष इस पुत्री को लक्ष्मी का रूप मान मां-बाप का साया दे पालन पोषण शुरू कर दिया है। पुरे घर में उत्सवी माहौल बना हुआ है। जिसको भी मामले की जानकारी हो रही है वो बच्चे को देखने पहुंच रहे हैं।
● क्या है पुरा मामला –
यह पूरा मामला है सहरसा जिले के बख्तियारपुर थाना क्षेत्र के महखड़ पंचायत का है। जहां रविवार सुबह पनपीबी गांव के समीप नहर किनारे बांस की झाड़ियों में कंपकंपाती ठंड में एक नवजात बच्ची फेकी पाई गई। बच्ची की रोने की आवाज सुन वहां अपने बगीचे में पानी डाल रहे एक ग्रामीण को लगी तो वह अपने पत्नी को बुला बकायदा बच्चे को उठा लिया फिर एक नि:संतान दम्पत्ति मुरारी साह/ मीरा देवी को दे दिया। यह दम्पत्ति बच्चे का पालन पोषण शुरू कर दिया है। वही जैसे ही पुरे मामले की जानकारी ग्रामीणों को लगी देखने वालो की भीड़ उमड़ पड़ी।
● पालन संग्रह केन्द्र नहीं झांड़ी में नवजात को फेंक रहे लोग –
यह बड़ा ही बिडंबना है कि सरकार ऐसे बच्चों को बचाने के लिए बकायदा पालन संग्रह केन्द्र खोल रखा है लेकिन ऐसे बच्चों को वहां नहीं फेंक झांड़ी का सहारा ले रहे हैं जो बहुत ही निंदनीय है। ब्रजेश की बात ऐसे लोगों से अपील करती है कि नवजात को चाहे किन्ही कारणों से ऐसे कदम उठाना पड़ता है तो वे नवजात शिशुओं को फेंकने के बजाय सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल अस्पताल में सरेंडर कर सकते है।
इस व्यवस्था की शुरुआत सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल अस्पताल में कई महीनों पूर्व हो चुकी है। इस व्यवस्था का विस्तार भी भविष्य में करने की योजना विभाग द्वारा बनाई गई है। सरकार के समाज कल्याण विभाग की ओर से व्यवस्था की गई है, कि नवजात शिशु के जन्म के बाद किसी कारणों से लावारिस हालत में माताओं या परिजनों के द्वारा फेंक दिया जाता है, तो इस पर नियंत्रण करने के लिए पालना संग्रहण केंद्र बनाया गया है।
जिसका उद्देश्य अनचाहे शिशुओं के जन्म या कुमारी के द्वारा जन्म दिए गए नवजात शिशुओं को लावारिस हालत में फेंकने के बजाय जिंदगी देना है। चूंकि इस वजह से नवजात शिशुओं की मौत हो जाती है एवं शिशू संक्रमण के शिकार हो जाते हैं. साथ ही बीमार हो जाते हैं।यहां यह बता दे कि नवजात शिशु 0 से 6 वर्ष तक को बिना पहचान बताएं पालना घर में छोड़ सकते हैं।