फर्जी सोसल आईडी बना लोगों के खाते से शापिंग कर लगाता था चुना 


सहरसा के एक रेलकर्मी के शिकायत दर्ज मामले में तकनीकी अनुसंधान में चढ़ा हत्थे


सहरसा से भार्गव भारद्वाज की रिपोर्ट :-


फर्जी फोन कॉल व मैसेज, फर्जी अकाउंट सहित अन्य सोसल साइट के माध्यम से आए दिन यह खबर आती रहती है कि फलां के एकाउंट से रूपए निकाल लिए गए। किसी के एटीएम से आनलाइन शापिंग कर ली गई।

पीड़ित चाह कर भी पुलिसिया लफरा में नहीं आने की वजह से यह धंधा खुब फल फूल रहा है। लेकिन अब साइबर क्राइम के मामले में पुलिस सजग नजर आ रही है तकनीकी अनुसंधान में ऐसे ठग पुलिस के हत्थे चढ़ रहे हैं। 


ताज़ा मामला सहरसा से सामने आया है एक शातिर ठग पुलिस के हत्थे चढ़ गया और पुछताछ उपरांत ठग को साइबर सेल के हवाले कर दिया है। 

सदर पुलिस ने सोमवार को साइबर क्राइम के एक मामले का खुलासा किया इसमें जामताड़ा (झारखंड) जिले के असानहेरिया गांव निवासी आरोपित मो आरिफ उर्फ मोहित को सामान की डिलीवरी लेते समय ही गिरफ्तार कर लिया गया।


सदर एसडीपीओ प्रभाकर तिवारी ने बताया कि 22 अक्टूबर को सदर थाने में सहरसा स्टेशन के वाणिज्य लिपिक प्रमोद कुमार मिश्रा ने ऑनलाइन धोखाधड़ी की प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसमें बैंक एकाउंट हैक कर फ्लिपकार्ट से 16,500 एवं 26,119 रुपये की खरीदारी की गई थी। 

इसके बाद पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर सदर थाने के सअनि अरविंद कुमार मिश्रा के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया। टीम द्वारा मामले की छानबीन शुरू की गई। छानबीन के क्रम में फ्लिपकार्ट से उसी मेल आइडी द्वारा दिए गए एक और ऑर्डर के आधार पर पुलिस झारखंड के जामताड़ा पहुंची। पुलिस ने एक सामान की डिलीवरी लेते समय ही मो आरिफ उर्फ मोहित को गिरफ्तार किया। 

उसका एक सहयोगी मो लादेन भी पकड़ा गया। दोनों को झारखंड की साइबर सेल के हवाले कर दिया गया। गिरफ्तार आरोपितों ने ऑनलाइन धोखाधड़ी की कई अन्य घटनाओं को भी अंजाम दिया है। मुख्य आरोपित आठवीं पास है। घर की माली हालत खराब रहने के कारण वह अपने नाना के गांव खागा में रहने लगा था। वहीं उसने साइबर क्राइम सीखा। इसके बाद उसने मोहित नाम से एक फर्जी मेल आइडी बनाई थी। इसी आइडी से 19 अक्टूबर को ऑर्डर दिया गया। फिर, इसी से 20 अक्टूबर को प्रमोद कुमार मिश्रा के बैंक एकाउंट को हैक कर दो ऑर्डर किया था। 


आरोपित ने बताया कि कुछ शातिरों ने उसे साइबर क्राइम का प्रशिक्षण दिया था। ऑनलाइन ऑर्डर के सामान गिरोह के सरगना को सौंप दिए जाते थे। इसके बदले सरगना कुछ राशि देता था। मामले में एसडीपीओ ने बताया कि टीम में शामिल पुलिस अधिकारियों को सम्मानित किया जाएगा।