सहरसा जिले के बनमाईटहरी स्थित महारस मंदिर में स-शरीर हैं मां कात्यायनी
बनमा ईटहरी से राजा कुमार की रिपोर्ट : सहरसा जिले के बनमा ईटहरी प्रखंड अंतर्गत महारस गांव में बनें मां कात्यायनी मंदिर में नवरात्रि में खास तौर पर विशेष पूजा अर्चना की जाती है। वही नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की विशेष पूजा अर्चना होती है। चार भुजाओं वाली मां कात्यायनी शेर की सवारी करती है।
मंदिर के पुजारी अरुण ठाकुर ने बताया की मां कात्यायनी का पूरा शरीर महारस गांव स्थित में है, जो बहुत समय से है। वही धमहारा स्थित मां कात्यायनी मंदिर में सिर्फ एक हाथ है। जो मंदिर में स्थापित है। महारस भगवती दरबार में आने वाले श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है। आस्था दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। खास तौर पर मां कात्यायनी मंदिर में पूजा अर्चना के साथ-साथ रात्रि में मंदिर की पुजारी एवं ग्रामीणों ने पूरी रात जाकर मां भगवती की आराधना करती है।
जानिए क्या है मां कात्यायनी की कहानी : मंदिर के पुजारी अरुण ठाकुर ने बताया कि मां कात्यायनी का जन्म कात्यायन ऋषि के घर हुआ था। इसीलिए उनका नाम कात्यायनी पड़ा। सभी देवी देवताओं में मां कात्यायनी को सबसे फलदाई माना गया है। ऋषि कात्यायन की कोई संतान नहीं थी इसीलिए मां भगवती को पुत्री के रूप में प्राप्त करने के लिए उन्होंने वर्षों तक काफी कठोर तपस्या की।
मां भगवती, ऋषि कात्यायनी की तपस्या से प्रसन्न हुई और उन्होंने कात्यान को पुत्री प्राप्त का वरदान दिया। इस बीच राक्षस महिषासुर का धरती पर अत्याचार बढ़ गया था। ऐसे में ब्रह्मा, विष्णु और महेश, त्रिदेवों के तेज से ऋषि कात्यायन के घर एक कन्या रूप में जन्म ली। ऋषि कात्यान के घर में जन्म लेने के कारण इनका नाम कात्यायनी पड़ा। मां कात्यायनी ने ही महिषासुर का वध किया था। तब से यहां स्थापित मां कात्यायनी मंदिर में पूजा अर्चना होती है।
● सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल से 08 एवं प्रखंड से 05 किलोमीटर दूरी पर स्थित मां कात्यायनी मंदिर दिन प्रतिदिन आस्था का केंद्र बनता जा रहा है। यहां दूर-दूर से श्रद्धालु मंदिर में पूजा अर्चना करने आते हैं। मंदिर के पुजारी के अनुसार मां कात्यानी का वास एक ऋषि के घर था। यहां मां कात्यायनी की पांच बेटियां थी, मां कात्यायनी की बेटियों से राक्षस ने शादी करना चाहता था।
मां कात्यायनी ने राक्षस से शर्त रखी और बोली तुम चारों तरफ नदी खोद दो फिर मैं अपनी बेटी से विवाह करवा दूंगी। राक्षस ने नदी खोदना शुरू कर दिया जब नदी खोदने में थोड़ा बाकी रह गया था, तो मां कात्यायनी ने मुर्गा का रूप धारण कर रोक दिया। जिससे गुस्सा आए राक्षस ने मां कात्यायनी पर प्रहार कर एक हाथ काट दिया। हाथ काटने के बाद रक्षस ने हाथ लेकर चला गया। आज वही हाथ धमहारा स्थित मां कात्यायनी मंदिर में स्थापित है।
●पर्यटक स्थल घोषित करने की उठी मांग : मुखिया प्रतिनिधि प्रेम कुमार, सरपंच जयकांत कुमार, डॉ बालकिशोर सिंह, धीरेंद्र यादव, रणवीर कुमार, प्रमोद सिंह, ललितेश सिंह, महेंद्र सिंह, रंजीत सिंह, अरबिंद यादव, अमरदीप सिंह, देवनारायण सिंह, टीमू शर्मा समेत अन्य ग्रामीणों ने मां कात्यायनी मंदिर को पर्यटक स्थलों में घोषित करने की मांग सरकार से किया।