तटबंध के आधा दर्जन बिंदुओं पर दबाव, सतत् निगरानी का निर्देश

सुबह 9 बजे 3 लाख 68 हजार क्यूसेक तो 11 बजे पौने चार लाख के पार हुआ पानी का डिस्चार्ज

सहरसा से वरिष्ठ पत्रकार अनिल वर्मा की रिपोर्ट : नेपाल में लगातार हो रही बारिश के कारण एक ओर बराह जल अधिग्रहण क्षेत्र का जलस्तर बढ़ने से दूसरी ओर कोसी नदी के जल स्तर में काफी बढ़ोतरी हुई है। लगातार पानी में बढ़ोतरी देखी जा रही है।

कोसी नदी के कोसी बैराज स्थित कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के अनुसार रविवार की सुबह 9 बजे कोसी नदी का जल स्तर 3,68,680 क्यूसेक दर्ज किया गया।
इस साल पहली बार कोसी बैराज के 56 फाटकों को खोल दिए गए हैं। सिंचाई के लिए पूर्वी कोसी मुख्य नहर और पश्चिमी कोसी मुख्य नहर में पानी बंद कर दिया गया है। कोशी नदी के जलस्तर में वृद्धि होने के कारण पूर्वी और पश्चिमी कोशी तटबंध पर रेड अलर्ट जारी कर दिया गया है। जबकि बाढ़ सुरक्षाात्मक कार्य में लगे सभी अभियन्ताओं का अवकाश रद्द कर दिया गया है।

सभी अभियन्ताओं को दिन-रात तटबन्ध पर रहने को कहा गया है। कोशी तटबन्ध के मुख्य अभियन्ता वरुण कुमार ने बताया कि पूर्वी एवं पश्चिमी कोशी तटबंध को पूर्ण रूप से सुरक्षित है। तटबन्ध के आधा दर्जन बिन्दुओं पर पानी का दबाब बना हुआ है, लेकिन स्थिति नियंत्रण में है। पानी की स्थिति पर नजर बना हुआ है। रविवार 11 बजे दिन तक डिस्चार्ज पौने चार लाख के पार चला गया है।

कोसी नदी के लिए सबसे बड़ी समस्या गाद : कोसी के जानकारों के मुताबिक पिछले कुछ सालों से नदी की धारा बीच में नहीं बह रही है। यही वजह है कि जलस्तर में मामूली वृद्धि भी नदी के तटबंधों पर सीधा असर डालती है। कुसहा त्रासदी के बाद पायलट चैनल बनाकर नदी की धारा को बीच में ले जाने की कोशिश की गई थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। फिलहाल कोसी नदी की सबसे बड़ी समस्या गाद है। अगर समय रहते गाद की समस्या का समाधान नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब कोसी नदी का पानी तटबंध के ऊपर से बहने लगेगा।

प्रति वर्ष 90 मिलियन टन बालू लाती है कोसी नदी : कोसी-मेची इंटर लींकिंग को लेकर केंद्रीय कमेटी ने चार साल पहले एक समीक्षा बैठक की थी, जहां तत्कालीन चीफ इंजीनियर जयंत कुमार ने नदी के रिसर्च से कोसी नदी में प्रत्येक वर्ष 90 मिलियन टन बालू आने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि यही गाद प्रत्येक वर्ष नदी की धारा को प्रभावित करती है। तटबंध पर इसका व्यापक असर पड़ता है।

सिल्ट की निकासी के लिए यदि कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो कोसी नदी भविष्य के लिए काफी खतरनाक और भयावह रूप लेगी, जो विनाश का कारण बन सकता है। इससे बचने के लिए भी कई विकल्पों को बताया गया था। जिसमें प्रतिवर्ष आने वाले बालू के उपयोग से संसाधन तैयार करने की बात कही गई थी।