- डीआईजी ने अजय नारायण यादव व अमरकांत चौबे को हटाने व विभागीय कार्रवाई किया अनुशंसा
एक महिला पुलिस कर्मी सहित छः पुलिसकर्मी को तत्काल प्रभाव से किया गया निलंबित
सहरसा/भार्गव भारद्वाज : मधेपुरा एसपी मोबाइल चोरी मामले का उद्भेदन कर लिया गया है। सिलसिलेवार ढंग से कोसी रेंज के डीआईजी शिवदीप वामन लांडे के निर्देश पर सुपौल एसपी डी अमरकेश, सहरसा हेड क्वार्टर डीएसपी एजाज हाशिम मणि, मधेपुरा अंचल इंस्पेक्टर प्रशांत कुमार और सहरसा महिला थाना अध्यक्ष प्रेमलता भूपाश्री की गठित 4 सदस्य टीम ने 32 घंटे के अंदर ही अपनी जांच रिपोर्ट डीआईजी को सुपुर्द कर दिया है।
जिसमें सहरसा सदर थाना में पदस्थापित प्रभारी सदर थाना अध्यक्ष बृजेश कुमार चौहान, सदर थाना में ही पदस्थापित सिपाही अमरेंद्र कुमार, सिपाही इंदु कुमारी और आईटी टेक्निकल सेल में नियुक्त सिपाही अमर कुमार के साथ-साथ मधेपुरा से सहरसा सदर थाना मोबाइल जांच को लेकर पहुंचे मधेपुरा टेक्निकल सेल के जवान प्रभात कुमार एवं सिपाही धीरेंद्र कुमार को डीआईजी में तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है।
साथ ही पुलिस की छवि को धूमिल करने और उक्त वीडियो को वायरल करने में मधेपुरा सदर डीएसपी अजय नारायण यादव को मुख्य साजिशकर्ता के रूप में चिन्हित करते हुए उन्हें पद से हटाते हुए विभागीय कार्रवाई चलाने का भी अनुशंसा डीआईजी के द्वारा कर दी गई है।
इतना ही नहीं मधेपुरा हेड क्वार्टर डीएसपी अमरकांत चौबे के द्वारा मोबाइल चोरी के बाद मधेपुरा सदर थाना मात्र सनहा दर्ज किए जाने के कारण उनके ऊपर भी पद से हटाते हुए विभागीय कार्रवाई किए जाने की अनुशंसा डीआईजी शिवदीप वामन लांडे द्वारा की गई है।
ऐसे में उक्त मामले के उजागर होने के बाद डीआइजी शिवदीप वामन लांडे से लोगों ने जो उम्मीद जताई थी। वह उम्मीद पूरी तरह खरा उतरा है। डीआईजी ने जांच रिपोर्ट में चिन्हित पुलिस पदाधिकारी और कर्मी पर कार्रवाई कर दिया है।
क्या कहा डीआईजी ने : डीआईजी शिवदीप वामन लांडे ने प्रेस वार्ता आयोजित कर बताया कि मधेपुरा एसपी के मोबाइल चोरी की घटना को छिपाने के लिए महिला रीना देवी ने मधेपुरा हेड क्वार्टर डीएसपी पर गंभीर आरोप लगाया थी। जिसकी जांच के लिए 4 सदस्यीय जांच टीम सुपौल एसपी के नेतृत्व में गठित की गई थी। जांच टीम ने 32 घंटे में ही रिपोर्ट जमा कर दिया था। रिपोर्ट से वे पूरी तरह संतुष्ट है।
क्या निकला जांच में : उन्होंने आगे बताया कि मधेपुरा हेड क्वार्टर डीएसपी के फोटो को पांच अन्य लोगों के साथ रखकर उक्त महिला को दिखाया गया एवं डीएसपी के तस्वीर को पहचानने की उनसे आग्रह किया गया। लेकिन उक्त महिला ने डीएसपी के बदले एक इंस्पेक्टर को ही डीएसपी बताया। मतलब डीएसपी पर लगाया गया उनका आरोप गलत था।
वीडियो लीक मामले में क्या निकला : वही वीडियो लीक मामले में जांच टीम ने कई स्तर पर जांच किया था। जिसमें पाया गया कि उक्त वीडियो सदर थाना सहरसा में रिकॉर्ड हुआ था। जिसमें मधेपुरा के टेक्निकल सेल कर्मी व पुलिस जवान प्रभात कुमार और सिपाही धीरेंद्र कुमार के साथ-साथ सदर थाना के प्रभारी सदर थाना अध्यक्ष ब्रजेश कुमार चौहान, सदर थाना में नियुक्त सिपाही अमरेंद्र कुमार, सहरसा जिला टेक्निकल सेल में नियुक्त सिपाही अमर कुमार एवं महिला सिपाही इंदु कुमारी की उपस्थिति में उक्त वीडियो रिकॉर्ड हुआ था। उक्त वीडियो रिकॉर्ड होने के बाद मधेपुरा टेक्निकल सेल के प्रभात कुमार ने धीरेंद्र को उक्त वीडियो फॉरवर्ड किया था।
सिपाही धीरेंद्र से सदर डीएसपी अजय नारायण ने लिया था वीडियो : फिर सिपाही धीरेंद्र से मधेपुरा सदर एसडीपीओ अजय नारायण यादव के सरकारी और निजी मोबाइल पर उक्त वीडियो को फॉरवर्ड किया गया था। सिपाही धीरेंद्र ने बताया कि सदर डीएसपी अजय नारायण यादव ने उन्हें निजी तौर पर अपने घर बुलाया। जिसका डिटेल स्टेटमेंट भी रिकॉर्ड किया गया है।
जहां उन्होंने हेड क्वार्टर डीएसपी पर महिला द्वारा लगाए गए आरोप के वीडियो को अपने मोबाइल पर फॉरवर्ड करवाया। जबकि हेडक्वार्टर डीएसपी का मामला वे नहीं देख रहे थे। लेकिन उन्होंने धीरेंद्र को निजी तौर पर बुलवाकर उनसे वीडियो प्राप्त किया था। धीरेंद्र ने पहले उनके सरकारी मोबाइल नंबर पर वीडियो फॉरवर्ड किया। फिर उनके निजी नंबर पर भी उक्त वीडियो फॉरवर्ड किया गया था। जिसकी जरूरत नहीं थी। यानी यह चेन से ही वीडियो को वायरल किया गया था। इसमें दोनों पुलिसकर्मी से वायरल होने की संभावना है।
क्या हुई कार्रवाई : ऐसे में मधेपुरा एसडीपीओ डीएसपी अजय नारायण यादव द्वारा वीडियो लीक किया गया है। दूसरी बात सदर थाना सहरसा में वीडियो बनाया गया। उसमें प्रभारी सदर थाना अध्यक्ष ब्रजेश कुमार चौहान, टेक्निकल सेल में नियुक्त सिपाही अमर सिंह, सदर थाना में नियुक्त सिपाही अमरेंद्र कुमार और महिला सिपाही इंदु कुमारी मौजूद थी। उपस्थिति वीडियो इस तरह लीक हुआ है।
जांच टीम ने 32 घंटे में ही दी रिपोर्ट : टीम ने जो काम किया वह काबिले तारीफ है। उन्होंने आगे बताया कि उक्त मामले में मोबाइल चोरी की सनहा जो मधेपुरा सदर थाना में दर्ज हुई। वह सवेरे 7:30 बजे हेडक्वार्टर डीएसपी अमरकांत चौबे द्वारा कराया गया। जिसको लेकर मधेपुरा सदर थाना सनहा कांड संख्या 778/22 दर्ज है। लेकिन उन्हें सनहा नहीं दर्ज करानी चाहिए थी।
चूंकि सनहा की जांच नहीं होती है। उन्हें एफआईआर दर्ज करनी चाहिए थी और पुलिस पदाधिकारी से चोरी गए मोबाइल की जांच करवाना चाहिए था। ऐसे में मधेपुरा हेडक्वार्टर मधेपुरा डीएसपी अमरकांत चौबे के खिलाफ महिला ने गलत आरोप लगाया गया था कि वे लड़कियों के साथ रंगरेलियां मनाते हैं। वह आरोप गलत और निराधार है। ऐसे किसी भी आरोप में वे पूरी तरह क्लीन है।
लेकिन मोबाइल चोरी के बाद सिर्फ सनहा दर्ज करवाना भी गलत था। इसके लिए उनके ऊपर विभाग को लिखा गया है। उन्होंने अनुशंसा की है कि उन्हें पद से हटाते हुए उनके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई शुरू की जाए।
सदर डीएसपी अजय नारायण यादव को पद से हटाने की हुई अनुशंसा : वहीं पुलिस की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया। जो विभाग का ही आदमी था। ऐसे व्यक्ति को चिन्हित करना जरूरी था। डीआइजी शिवदीप वामन लांडे इंसाफ और ईमानदारी के प्रतीक के रूप में जाने जाते हैं। ऐसे में जिसने वीडियो रिकॉर्ड किया।
जिसमें मधेपुरा के सिपाही प्रभात और धीरेंद्र साथ ही सदर थाना प्रभारी ब्रजेश कुमार चौहान, सिपाही अमर कुमार, अमरेंद्र कुमार और महिला सिपाही इंदु कुमारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। वहीं धीरेंद्र से वीडियो लेकर वायरल करने के आरोप में घिरे मधेपुरा सदर डीएसपी अजय नारायण यादव को भी पद से हटाने और उनपर विभागीय कार्रवाई किए जाने की अनुशंसा उनके द्वारा की गई है।