मुख्य रूप से दो स्थानों पर स्थापित होती है दुर्गा की प्रतिमा, बड़ी दुर्गा मंदिर में संगमरमर की मूर्ति है स्थापित

ब्रजेश भारती – सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) शक्ति की देवी दुर्गा की पूजा के लिए सुबह से ही पूजा पंडालों की ओर भीड़ लगनी शुरू हो गई है। हजारों की संख्या में महिलाएं अपने घर के करीबी दुर्गा मंदिर जाकर माता को नित्य दिन दीप जला कर पुजा अर्चना कर रही हैं।

रेलवे स्टेशन दुर्गा मंदिर, फाइल फोटो

भगवती को चढ़ाये जाने वाले खोइछा में उपयोग होने वाली सामग्रियों की बिक्री भी तेज हो गई है। सालुक के टुकड़े, दूब, हल्दी, अरवा चावल, प्रसाद, द्रव्य की पोटली बनाने में महिलाएं अभी से ही व्यस्त दिख रही है। भगवती को खोइछा चढ़ाने का सिलसिला नवमी को दिन भर के अलावा दशमी तक जारी रहेगा। इधर सभी पूजा स्थलों पर दुर्गा सप्तशती का पाठ किया जा रहा है। नये वस्त्रों की खरीदारी करने निकले लोगों से बाजार में चहल-पहल देखी जा रही हैं ।

मेले में रौनक की उम्मीद : इस सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल के तीनों प्रखंडों के विभिन्न दुर्गा स्थानों में मुर्ति स्थापित की जाती है लेकिन नगर पंचायत के बड़ी दुर्गा स्थान मंदिर व स्टेशन चौक मंदिर व पुरानी बाजार मंदिर की रौनक देखने लायक होती है। इस बार भी मेले की रौनक तेज होने की उम्मीद की जा रही है।

बड़ी दुर्गा मंदिर, फाइल फोटो

कोविड काल की वजह से दो वर्षों से मेला का आयोजन नहीं हो सका था जिसकी वजह से इस बार मेला में रौनक देखने को मिल सकती है। मिठाई दुकानदार से लेकर ग्रामीण फुटकर दुकानदार तक मेले की खनक तेज होने की उम्मीद के साथ अपने अपने समानों को बनाने में लगे हुए है।

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शहर में मुख्य रूप से दो स्थानों पर स्थापित होती है मूर्ति जबकि एक स्थान पर है संगमरमर की मुर्ति : मुख्य बाजार के बीचों बीच स्थित बड़ी दुर्गा स्थान मंदिर, स्टेशन चौक स्थित रेलवे दुर्गा मंदिर एवं पुरानी बाजार दुर्गा मंदिर में मूर्ति स्थापित की जाती है। सभी मंदिरो का अपना अपना अलग अलग महत्व है। बड़ी दुर्गा मंदिर में पूर्व से ही संगमरमर की मुर्ति स्थापित है जबकि अन्य स्थानों पर मूर्ति का निर्माण किया जाता है।

रेलवे दुर्गा मंदिर : सिमरी बख्तियारपुर के रेलवे स्टेशन चौक स्थित दुर्गा मंदिर में यहां के तत्कालीन स्टेशन अधीक्षक ने यहां पुजा शुरू की थी। नवरात्र शुरू होते ही रेलवे दुर्गा स्थान में मां देवी की पूजा अर्चना करने को लेकर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। मान्यता है कि जिस भक्त ने सच्चे मन से जो भी मुराद मांगी उनकी मुराद पूरी हुई है।

कहा जाता है कि सिमरी बख्तियारपुर रेलवे स्टेशन में स्टेशन अधीक्षक के पद पर कार्यरत एनएन सिंह को सपने में मां आकर मंदिर निर्माण करने का सपना दिया। सुबह उठते ही अपनी पत्नी के साथ मां के बताये स्थान पर झोपड़ी बना कर पूजा अर्चना शुरू कर दिया। ग्रामीणों के सहयोग से 1980 ई में मंदिर का जीर्णोद्धार कर औलौकिक बनाया गया। मन्नत पूरी होने पर पहली बार राजो मामू द्वारा मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की गई थी।

पुरानी बाजार मंदिर : दूसरी ओर पुरानी बाजार स्थित मां दुर्गा मंदिर आपरूपी है। मान्यता है कि सौ वर्ष से भी अधिक पुराना है। दशहरा के समय तत्कालीन अंग्रेज अफसर व नवाब चौधरी नजरूल हसन इस मंदिर में माता के दर्शन करने आते थे। दुर्गा प्रसाद जायसवाल ने मंदिर का जीर्णोद्धार कराया है। यह मंदिर एनएच 107 सिमरी बख्तियारपुर-सहरसा-बरियाही पथ के पुरानीबाजार चौक पर अवस्थित है। इस मंदिर में आसपास के ग्रामीण भक्तो की भीड़ अधिक लगती है।

मुख्य बाजार मंदिर – मुख्य बाजार स्थित बड़ी दुर्गा स्थान भी करीब 80 वर्ष पुराना है। पहले यहा प्रत्येक वर्ष मिट्टी की मुर्ति बनाई जाती थी लेकिन अब यहां संगमरमर की मूर्ती स्थापित कर दी गई है। श्रद्धालुओ की माने तो यहां जो भी मन्नते मांगी जाती है वह पूर्ण हो जाती है। कुछ वर्षो से बाजार के युवा वर्ग ने मेला कमेटी का कार्य संभाल कर मेले की व्यवस्था अपने जिम्मे ली है। यहां प्रत्येक दिन नवरात्र को अलग अलग भक्तों द्वारा भव्य महा प्रसाद का वितरण किया जाता है।

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