दियारा में अपराधी गिरोह के सफाए बाद नक्सली चाहते हैं डेरा डालना
  • कालांतर में नक्सलियों ने दियारा में सैफ जवान की हत्या कर धमाकेदार उपस्थिति कराई थी दर्ज

सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) ब्रजेश भारती : सहरसा जिले के सलखुआ दियारा में एक बार नक्सली संगठन अपने पांव पसारने लगे हैं। शुक्रवार की शाम सलखुआ थाना क्षेत्र के चिरैया ओपी एवं खगड़िया जिले के अमौसी ओपी के सीमा सटे गांव के आसपास नक्सली गतिविधियां की सूचना पर लोगों सहित पुलिस की नींद भी हराम होने लगी है।

जानकारों के अनुसार, इसके पीछे का कारण नक्सल विरोधी अभियान और क्षेत्र में आपसी दुश्मनी में सहयोग के लिए चढ़ाई की गई है। गौरतलब है कि दियारा में हर वर्ष नवंबर से लेकर मई माह तक मक्का के फसल के बीच नक्सली गतिविधि तेज हो जाती है। कल तक चैन-सुकून से जी रहे ओपी क्षेत्र के लोग नक्सलियों की धमक से अब दहशत में जीने को विवश हैं। इधर किसान, व्यवसायी सहित आम लोग परेशान दिखने लगे हैं।

शिसबन्नी से सर्वजिता, रटनी, सारो, बेताह एवं छमसिया तक फैल रहा संगठन : सूत्रों के अनुसार सहरसा व खगड़िया के सीमावर्ती गांव जिसमें सहरसा के सर्वजिता, बलियार, कांठी तो वहीं खगड़िया के शिशबन्नी, रटनी, सारो, बेताह एवं छमसिया में नक्सली संगठन अपनी जड़े मजबूत करने में लग गये हैं। नक्सली गतिविधियां तेज होने की सूचना पर पुलिस ने भी सीमावर्ती इलाके में गश्ती बढ़ा दी है।

रामानंद सहित अन्य की मौत के बाद नक्सली बैखौफ : वैसे तो दियारा में नक्सलियों और अपराधियों में मुठभेड़ वर्षों पूर्व आम बात थी। जमीन कब्जा करने या फसल लूटने को लेकर अपराधी व नक्सलियों की बंदूकें गरजती रहती थी। जिसमे अपराधी भारी रहते हैं। इसलिए दियारा में नक्सलियों की गतिविधियां ठंडी पड़ चुकी थी। लेकिन रामानंद यादव सहित अन्य बड़े अपराधी की मौत के बाद नक्सली बैखौफ हो चुके हैं।

खासकर रामानंद पहलवान और नक्सलियों के बीच अदावत काफी दिनों तक जारी रहा था। लेकिन अप्रैल 2020 में पुलिस की वर्दी में दर्जनों नक्सलियों ने आखिरकार रामानंद की हत्या कर दी। अब रामानंद यादव का परिवार नक्सलियों से डर रहे हैं। हालांकि इस हत्या में अपने का सहयोग नक्सली को मिला।

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पुलिस सूत्रों की माने तो दियारा में 30 से अधिक की संख्या में नक्सली गिरोह दो भाग में बंट कर अलग-अलग क्षेत्र में अपना पांव जमाने में जुटे हुए हैं। बीते रात्रि सहरसा व खगड़िया सीमा पर नक्सलियों ने एक दर्जन से अधिक राउंड फायरिंग कर लोगों में दहशत पैदा कर दी है।

नक्सली ने सैफ जवान कर दी थी हत्या : वर्ष 2007 में चिड़ैया ओपी में पदस्थापित सैप जवान अर्जून सिंह को गस्ती के दौरान नक्सलियों ने हत्या कर हथियार लूट लिया। कहते है उस समय रामानंद यादव गिरोह ने पुलिस की मदद की थी। यदि पुलिस के मदद में उस दिन यह गिरोह नहीं उतरता तो जानमाल की और क्षति नक्सली पहुंचाते। बाद में पुलिस आपरेशन में एक नक्सली महिला मलभोगिया देवी गिरफ्तार हुई थी।

क्षेत्र में बढ़ा दी गई पुलिस बलों की संख्या : नक्सली गतिविधि की मिली जानकारी के आलोक में चिरैया ओपी क्षेत्र में तीन दर्जन से अधिक की संख्या में एसटीएफ की संख्या बढ़ा दी गई है। जिससे क्षेत्र में इन सभी छोटे-बड़े गिरोह चलाने वालों पर नजर रखी जा सके। क्षेत्र में मक्का के पौधा रहने के कारण पुलिस को काफी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि पुलिस के द्वारा लगातार गश्त लगाने में जुटे हुए हैं।

कहते हैं चिड़ैया ओपीध्यक्ष : ओपी अध्यक्ष रामाशंकर ने बताया कि गुप्त सूचना मिली है और अपने स्तर से भी पता लगाया गया है यह बात सही है कि नक्सली संगठन अपना पांव खगड़िया-सहरसा सीमावर्ती क्षेत्रों में जमा लिया है।जिसकी सूचना आगे दे दी गई है।हालांकि बीते रात में सहरसा-खगड़िया सीमावर्ती क्षेत्र गुरदीकोठ-कलवारा में एक दर्जन से अधिक राउंड फायरिंग होने की आवाज सुनाई दी है।जो अपना संकेत सीधे तौर पर दे।

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