सिमरी बख्तियारपुर का रहने वाला है ठग, बरामद आईकार्ड और आधार कार्ड भी नकली
  • कई वर्षों से नाम बदलकर बना रहा था लोगों से ठगी, पुलिस जुटी गिरोह की तलाश में

सहरसा / भार्गव भारद्वाज : इन दिनों निजी कई बैंक कंपनी ग्रामीण क्षेत्र में लोगों को ऋण उपलब्ध करा, उनके जीवन को बेहतर करने में लगी हुई है वहीं कुछ लोग इस बात का फायदा उठाकर कर फर्जीवाड़ा कर ग्रामीणों को ऋण दिलाने के नाम पर अवैध उगाही से बाज नहीं आ रहे हैं। ताज़ा मामला जिले के बनगांव थाना क्षेत्र से सामने आ रहा है जहां लोगों ने एक ठग को धड़ दबोच पुलिस के हवाले कर दिया है।उसके पास से फर्जी पहचान पत्र, बैंक से संबंधित कागजात एवं आधार कार्ड सहित एक बाइक बरामद किया गया है। हालांकि पकड़ में आया युवक ठग गिरोह का एक अदना सा सदस्य भर है इस खेल में बड़े रैकेट के शामिल होने की बात कही जा रही है। ठग की पहचान जिले के सिमरी बख्तियारपुर निवासी जवाहर पोद्दार के रूप में हुई है।

जबकि उसके पास से बरामद बैंक का नकली पहचान पत्र पर उसका नाम विवेक कुमार और पता मिर्जापुर, दरभंगा दर्ज है। जबकि विवेक कुमार के नाम से जारी आधार कार्ड पर उसका पता महिषी थाना के बघवा, गण्डौल का है। बाइक पर अंकित नंबर भी गलत है। माइक्रो बैंकिंग टीम के सीआरएम रंजीत यादव ने बताया कि उसके विरुद्ध थाने में मुकदमा दर्ज कराया जा रहा है। साथ ही विभागीय स्तर पर भी मामले की विजलेंस से जाँच कराने का अनुरोध किया गया है।

सांकेतिक चित्र

सीआरएम रंजीत यादव ने बताया कि वह पिछले चार-पांच वर्षों से बैंक के सर्कुलेटिंग एरिया (20किमी) से बाहर लोगों को ठगी का शिकार बना रहा था। इसके बाद वह सर्कुलेटिंग एरिया में प्रवेश किया। मंगलवार को जब वह नौलक्खा गाँव में ऋण दिलाने के लिए बीमा और प्रोसेसिंग शुल्क के रूप में प्रति व्यक्ति दो-दो हजार रुपया वसूल रहा था, तो किसी ग्रामीण ने बैंक को सूचना दी।

बैंक की ओर से उसे पकड़कर रखने के लिए कहा गया और पुलिस को सूचित किया गया। सीआरआम ने बताया कि पहले वह रोशन कुमार के नाम पर ठगी करता था। हर महीने वह लगभग 40 लोगों से 80 हजार रुपये की ठगी करता था। इसको लेकर दर्जनों लोग बैंक आकर शिकायत भी किया। कई बार ठगी के शिकार हुए लोग बैंक में तोड़फोड़ पर भी उतर आए। किंतु, पुलिस के सहयोग से समय रहते स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया।

इस ठगी की वजह से बैंक की साख पर भी बट्टा लग रहा था। किंतु, हर बार वह लोगों को ठग कर निकल जाता था। बड़ी मुश्किल से वह पकड़ में आया है। वहीं जवाहर ने प्रारंभिक पूछताछ में बैंक अधिकारियों को बताया कि वह गाँव के ही मुकेश यादव के लिए काम करता था। मुकेश उसे दस हजार रुपये प्रति माह देता था। मुकेश के साथ छोटू कुमार भी पकड़ा गया है। जिसे दो सौ रुपये दैनिक भुगतान पर रखा गया था।

बनगांव थानाध्यक्ष कमलेश कुमार ने जवाहर के गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए कहा कि मामले की गहराई से छानबीन की जा रही है। अब देखने वाली बात होगी कि इस गिरोह का पर्दाफाश कर पुलिस ग्रामीणों के ठगे गए रूपए वापस कर पाती है या फिर ढाक के तीन पात वाली बात चरितार्थ हो कर रह जाती है।