हड़बड़ी में हो गया गड़बड़ी, अब सच्चाई आई सामने तो कर रहे अफसोस
सहरसा : गत दिनों सहरसा के मनीष द्वारा पहले प्रयास में यूपीएससी पास करने की खबर फ़र्जी निकली है। मनीष कुमार जिन्होंने यूपीएससी की परीक्षा में पहले अपने पास होने का पुष्टि किया और अब फैल होने का भी पुष्टि कर रहा है।
दरअशल, मामला यह था कि बिहार हाल ही में संघ लोक सेवा आयोग(यूपीएससी) ने अपना रिजल्ट जारी किया। जिसमे बिहार के ही कटिहार निवासी सुभम कुमार प्रथम स्थान प्राप्त किया। उसी कड़ी में बिहार के ही सहरसा जिला निवासी मनीष कुमार ने भी 581वीं रेंक प्राप्त कर पास होने की बात कही थी। इसके अलावे सलखुआ से भी हेमंत कुमार ने 531 अंक प्राप्त कर सफलता प्राप्त की थी।
मनीष के यूपीएससी में पास होने की सूचना पर परिवार में खुशी की लहर दौड़ पड़ी थी। परिजनों ने पूरे मोहल्ले और अपने करीबियों के बीच मिठाइयां बांटी थी और जमकर खुशी मनाई थी। स्थानीय अखबार से लेकर नेशनल चैनल तक में मनीष के पास होने की खबर सुर्खियां बटोरने का काम किया।
लेकिन हकीकत की जब पड़ताल हुई तो पता चला दिल्ली के प्रीतमपुरा का मनीष कुमार जो एससी कैटेगरी का था, वह 581 वीं रैंक प्राप्त कर यूपीएससी पास किया था। जबकि सहरसा का मनीष कुमार जेनरल कैटगरी का छात्र था। हालांकि सत्यता सामने आने के बाद सहरसा के मनीष को काफी दुख हुआ है और परिवार में जो खुशी का माहौल व्याप्त था वह गम में तब्दील हो गया है।
इस संबंध में मनीष ने बताया कि जब परीक्षा का रिजल्ट आया तो उसने परिणाम में केवल अपना नाम देखा, रोल नंबर समेत अन्य जानकारी का मिलान नहीं किया। उसकी इस गलती के कारण उसे ये गलतफहमी हो गई कि वह परीक्षा में पास हो गया है। अपनी इस गलती के लिए अब वो माफी मांग रहा है।
उसने का कि इस ओर ध्यान देना चाहिए था। आगे से ऐसी गलती नहीं होगी। नेक्स्ट अटेम्प्ट में वो सभी के आशीर्वाद से अच्छे रैंक से पास होकर दिखाएगा। उसकी मानें तो मार्कशीट आने के बाद पता चला कि वो जनरल कैटेगरी से आता है, जबकि जिस मनीष कुमार ने परीक्षा पास की है, वह एससी कैटेगरी का छात्र है।
मनीष का मामला मीडिया जगत के लिए एक अहम सीख होनी चाहिए कि एक व्यक्ति के द्वारा सिर्फ यह कह देने से कि वह यूपीएससी पास कर गया और खबर को बिना जांच पड़ताल किए या फिर किसी स्तर से पुष्टि किए बगैर खबर को ब्रेकिंग बना देना, खबर की रेस में एक सबक है।