इस बार के चुनाव में आमने-सामने की टक्कर में कहीं नहीं दिखा त्रिकोणीय मुकाबला
- जफर, मुन्ना, रंजीत, रितेश, रज्जाक, सरिता, संजय जैसे बड़े चेहरों को जनता ने नहीं स्वीकारा
सहरसा : बिहार विधानसभा चुनाव 2020 का चुनाव परिणाम घोषित हो गया। सहरसा जिले के चार विधानसभा सीट पर तीन पर एनडीए गठबंधन तो एक पर आरजेडी गठबंधन प्रत्याशी की जीत हुई। इस बार के चुनाव में यहां की जनता ने दो गठबंधनों को ही स्वीकार किया जिसकी वजह से चारों विधानसभा क्षेत्र में मैदान में खड़े कुल 67 प्रत्याशियों में 59 प्रत्याशियों की जमानत भी नहीं बच पाई।
सिर्फ चार जीते व चार दुसरे नंबर पर रहे प्रत्याशी की ही जमानत बच पाई है। चारों विधानसभा क्षेत्र के मतदाता आमने- सामने की टक्कर में रहे प्रत्याशी को ही स्वीकार किया। इस बार के चुनाव में जिन बड़े चेहरों की जमानत जब्त हो गई उनमें निवर्तमान विधायक जफर आलम, पूर्व विधायक किशोर कुमार मुन्ना, रंजीत यादव, अब्दुल रज्जाक, सरिता पासवान, रितेश रंजन, संजय सिंह सहित अन्य शामिल हैं।
76 सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा : इस विधानसभा क्षेत्र में कुल 1 लाख 96 हजार 7 सौ मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। यहां से मैदान में खड़े प्रत्याशी को 1/6 भाग वोट जमानत बचाने के लिए चाहिए थी लेकिन पहले व दुसरे नंबर पर रहे यूसुफ सलाउद्दीन व मुकेश सहनी को छोड़ किसी ने जमानत का आंकड़ा 32 हजार 7 सौ 83 की संख्या पार नहीं कर पाए किसकी वजह से अन्य सभी की जमानत राशि जब्त हो गई।
75 सहरसा विधानसभा : इस विधानसभा क्षेत्र में 62.42 प्रतिशत यानि 2 लाख 27 हजार 106 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। इस विधानसभा क्षेत्र से जमानत बचाने के लिए 37851 मत की आवश्यकता थी, जिसमें निर्वाचित भाजपा के आलोक रंजन और निकटतम प्रतिद्वंद्वी राजद की लवली आनंद को छोड़ अन्य कोई प्रत्याशी सफल नहीं हुए।
77 महिषी विधानसभा : इस विधानसभा क्षेत्र में 59.83 प्रतिशत यानि 1 लाख 75 हजार 307 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। यहां जमानत बचाने की वोट की संख्या 29 हजार 217 थी जिसे निर्वाचित जदयू के गुंजेश्वर साह और निकटतम प्रतिद्वंद्वी राजद के डा. गौतम कृष्णा के अलावा कोई प्रत्याशी सफल नहीं रहे।
74 सोनवर्षा (सुरक्षित) विधानसभा : इस विधानसभा क्षेत्र में 59.27 प्रतिशत यानि 1 लाख 68 हजार 356 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। यहां जमानत बचाने की संख्या 28 हजार 59 थी जिसे निर्वाचित जदयू के रत्नेश सादा और निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के तारणी ऋषिदेव को छोड़ किसी प्रत्याशी को इतना मत प्राप्त नहीं हो सका।
कैसे होती है जमानत जब्त : दरअसल किसी प्रत्याशी को किसी निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए कुल विधिमान्य मतों की संख्या के छठे भाग यानि 1/6 से कम वोट मिलते हैं तो उसकी जमानत जब्त मान ली जाती है। अर्थात इस प्रत्याशी द्वारा चुनाव आयोग के पास जो एनआर रसीद द्वारा जमा की राशि थी वह उसको वापस नहीं मिलेगी यानी जमा राशि आयोग की हो जाती है। इसे प्रत्याशी की जमानत जब्त होना कहा जाता है।
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लेकिन अगर कोई उम्मीदवार चुनाव जीत जाता हैं या उसे कुल विधिमान्य मतों की संख्या के छठे भाग से ज्यादा वोट मिलते हैं तो चुनाव आयोग जमा राशि लौटा देता हैं और इनकी जमानत जब्त नहीं होती हैं। इस जिले के कुल मैदान में खड़े 67 प्रत्याशियों में 59 की राशि जब्त हो गई है। सिर्फ आठ प्रत्याशी की राशि की वापस होगी।
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