कई लोगों का चल रहा है इलाज, स्वास्थ्य विभाग बना मुकदर्शक
सहरसा से V & N की रिपोर्ट : बिहार के सहरसा जिले में एक ऐसा गांव है जहां दो साल के अंदर आधे दर्जन से जयादा लोगों की मौत कैंसर जैसे घातक बीमारी की चपेट में आने से हो चुकी है. जबकि गांव के कई लोग कैंसर की चपेट में हैं, लेकिन आर्थिक मजबूरी के कारण वो अपना इलाज कराने में असमर्थ हैं. गांव में कैंसर जैसी बीमारी को लेकर लोग डरे सहमे हैं।
सहरसा जिले के सत्तरकटैया प्रखंड क्षेत्र के सहरबा व उसके आस-पास में लोग कैंसर जैसी गंभीर बीमारी से लगातार आक्रांत हो रहे हैं. मरने वालों और इस बीमारी से जूझ रहे अधिकतर लोग लिवर सिरोरिस से पीड़ित हैं. जबकि कुछ लोग माउथ और गले के कैंसर से भी पीड़ित हैं. इसके अलावा कुछ महिलाएं भी हैं जो ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित हैं।
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कैंसर जैसी घातक बीमारी से मौत और इससे पीड़ित होने के कारण गांव के लोग डरे सहमे हैं. स्थानीय लोग प्रसाशन से स्वास्थ्य विभाग की टीम को भेज कर इसकी जांच कराने की मांग कर रहे हैं।
वहीं इस बाबत जिले के सिविल सर्जन डॉ. ललन प्रसाद सिंह ने कहा कि मीडिया के माध्यम से यह मामला सामने आया है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से टीम को भेज कर मामले की जांच कराई जाएगी. फिर सरकार के उच्च अधिकारी को इसकी सूचना दी जाएगी और फिर अगला मार्गदर्शन लिया जाएगा।
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सिविल सर्जन ने कहा कि कैंसर होने के बहुत से कारण हैं, लेकिन कोई भी कारण ऐसा नहीं है जो सटीक है. जिस कारण से कैंसर होता है उसे कार्सिनोजन कहते हैं. यह हवा के जरिए या वातावरण में या भोजन में कुछ इस तरह की चीजें होती है, जिससे कैंसर हो सकता है, इसे कार्सिनोजन कहते हैं।
ऐसा नहीं है कि इस गांव का वातावरण दूषित है. गांव की आबोहवा बहुत अच्छी है. यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेतीबाड़ी और मजदूरी है. यहां के लोग अनाज से लेकर दाल व साग-सब्जी तक खुद उपजा कर खाते हैं. लगभग सभी दरवाजे पर गाय-भैंस भी है. लिहाजा दूध-दही की भी कमी नहीं होती।
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इसके अलावा गांव के लोग पानी के लिए चापाकल पर निर्भर हैं. पानी में आंशिक रूप से आयरन की मात्रा है बावजूद इसके कैंसर से लोगों के लगातार पीड़ित होने व मरने के कारण गांव में लोगों के बीच भय का माहौल बना हुआ है. लगातार हो रही कैंसर से मौत और बीमारी की संख्या को रोकना सरकार के लिए बड़ी चुनौती है।
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