सिमरी बख्तियारपुर के लाल ने वीरता का परिचय दे बदमाशों का किया डटकर मुकाबला


दिनभर लोगों का पैतृक आवास पर आना जाना लगा रहा


शहीद के नाम से बदमाशों के पेंट में हो जाते थे पैशाब, शहादत पर नमन्


सहरसा के सरौंजा से ब्रजेश भारती की रिपोर्ट :-

प्रखंड के सरौंजा गांव निवासी खगड़िया जिले के पसराहा थाना में पदस्थापित थानाध्यक्ष आशीष कुमार सिंह की शुक्रवार रात अपराधियों से मुठभेड़ में शहीद हो जाने की खबर मिलने के बाद शुक्रवार दिन भर शहीद के पैतृक गांव में मातमी सन्नाटा पसरा रहा। वही शहीद के परिजनों से मिलने के लिए दिनभर आम लोगो सहित नेताओ का आना – जाना लगा रहा। पिता एवं मां का रो रो कर बुरा हाल है। 

शहादत की खबर से गमहीन हुआ सरौंजा –


पसराहा थानाध्यक्ष आशीष कुमार की मौत की खबर जैसे ही शुक्रवार अहले सुबह सरौंजा स्थित उनके परिजनों को मिली, परिजनों की चीत्कार से सरौंजा गूंज उठा.शहीद आशीष की माँ रुक्मिणी देवी ने रोते हुए कहा कि हो बाबू, लाडला दुनिया में नैय रहले.वही शहीद के पिता गोपाल सिंह की आंखों के आंसू भी बेटे की मौत की खबर सुनने के बाद नही रुक रहे.फफकते हुए गोपाल जी बताते है कि रात में पौने ग्यारह बजे बात हुई थी.बेटे को दुर्गा पूजा में आने का आग्रह किया.परंतु क्या मालूम था कि बात ही आखिरी होंगी।

घर का सबसे छोटा दुलारा था आशीष –


बेगूसराय के बाद खगड़िया में अपनी एक अलग पहचान बना चुके शहीद आशीष पुलिस में किसी परिचय के मोहताज नहीं थे इनका नाम सुन कर अच्छे अच्छे बदमाशों के पेन्ट में पैशाब हो जाता था। एक साधारण किसान पिता का पुत्र आशीष तीन भाइयो में सबसे छोटा था। सरौंजा निवासी गोपाल सिंह के तीन पुत्रो में सबसे बड़ा बेटा विपुल सिंह जो देहरादून में इंजीनियर है दूसरा बेटा राकेश कुमार सिंह जो पटना में विजिलेंस विभाग में पदस्थापित है।तीसरा आशीष था जो कर्तव्यनिष्ठता के साथ पसराहा में थानाध्यक्ष के पद पर तैनात थे।

पत्नी का माँग का सिन्दूर तो बच्चों के सर से उठा पिता का साया –


शहीद आशीष कुमार सिंह की शादी 2010 के लगभग में मधेपुरा जिला अंतर्गत मुरली चंदवा गांव में हुई थी। शहीद आशीष कुमार के एक लड़का और एक लड़की है।बेटा शौर्यमान जिसकी उम्र सात वर्ष है। वही बेटी गुड़िया जिसकी उम्र पांच वर्ष है। वही दामाद की मौत से आहत मुरली चंदवा निवासी शहीद के ससुर शंभु प्रसाद सिंह भी घटना के बाद व्यथित है। उन्होंने पुलिस प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि जब प्रयाप्त संख्या में पुलिस बल नहीं था तो किस अधार पर पुलिस अधीक्षक ने वहां जाने आदेश दिया। 

पेन्ट में मुत देते थे बदमाश आशीष के नाम से –


अपनी जांबाजी के लिए विख्यात शहीद आशीष कुमार सिंह को कुछ वर्ष पूर्व भी अपराधियो ने गोली मारी थी हालांकि ईश्वर की कृपा से उस वक्त आशीष कुमार की जिंदगी बच गई थी.जानकारी मुताबिक कुछ वर्ष पूर्व भदास में शहीद आशीष को अपराधियो ने पैर में गोली मार दी थी. परंतु उस वक्त आशीष की जिंदगी बच गई थी।शहीद के पैतृक गांव के ग्रामीण बताते है कि गांव के बड़े – बुजुर्ग आशीष को अतिउत्साहित होने से बचने की सलाह देते थे लेकिन फौलादी जिगर के आशीष इसे अपने कर्तव्य के प्रति बेइमानी मानते थे।

इनके परिजनों की बारी थी इस बार माँ दुर्गा की मूर्ति निर्माण की –


बलवा हाट अंतर्गत सरौंजा में हर वर्ष भगवती मंदिर में धूमधाम से दुर्गा पूजा मनाया जाता है। इस बार मां भगवती की मूर्ति शहीद आशीष कुमार बनवा रहे थे।आशीष की माँ दुर्गा में विशेष आस्था थी।हालांकि शुक्रवार को हुई घटना के बाद पूरे सरौंजाआए पसर गई है।ग्रामीणों के मुताबिक आशीष के शहीद होने के बाद दुर्गा उत्सव की रौनक कम गई है।दोस्त बताते है कि इस बार पूजा में मित्र गांव भी आता परंतु होनी को कुछ और ही मंजूर था।

बिहार में महा जंगल राज : रितेश


शुक्रवार सुबह घटना की सूचना पर सरौंजा पहुंचे लोजद नेता रितेश रंजन ने परिजनों से मिल कर सांत्वना दिया। घटना पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए रितेश रंजन ने कहा कि बिहार में महाजंगल राज कायम है। स्थिति ऐसी है कि अपराधियों के मन से पुलिस का डर खत्म हो गया है और अपराधी साहसी थानाध्यक्ष पर गोली चला देते है। उन्होंने कहा कि सुशासन का राग जपने वाले नीतीश कुमार के राज में अपराधियो मस्त हो गए है। शहीद के परिजनों को सांत्वना देने वालो में लोजद नेता संजीव जायसवाल, शैलेंद्र सिंह, सरडीहा पंचायत समिति राहुल सिंह, निर्मल ठाकुर, राजवीर सिंह, उमेश प्रसाद यादव, पैक्स अध्यक्ष रणजीत यादव सहित अन्य थे।