सात निश्चय योजना में प्राक्कलन की उड़ाई जा रही है धज्जियां


बिना जेई के उपस्थिति के हो जाता है सड़क निर्माण, कमीशन का होता बड़ा खेल


सिमरी बख्तियारपुर(सहरसा) Brajesh Bharti.


अनुमंडल क्षेत्र में मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना अंतर्गत गली-नाली एव पक्की सड़क योजना इन दिनों कामधेनू बन कर रह गया है। बिना जेई के उपस्थिति के ही अधिकांश कार्य स्थल पर निर्माण होता है।

कमीशन के बड़े खेल के बीच यह योजना अपने उद्देश्य में सफल होते नजर नहीं आ रहा है। इस योजना के तहत अधिकांश कार्यों में प्राक्कलन की इस कदर धज्जियां उड़ाई जा रही है कि इसे खुली आंखों से देखा जा सकता है।


यह योजना मुखिया, पंचायत सेवक,जेई एवं वार्ड कार्यान्वयन समिति के लिये यह कामधेनु गाय बन गया है। कमीशनखोरी इस कदर बढ़ गया है मनरेगा योजना को भी पीछे छोड़ दिया है।

सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के सिमरी पंचयात के वार्ड नंबर 12 में पीसीसी सड़क निर्माण में जमकर अनियमिता बरती जा रही है। प्राक्कलन के विरुद्ध मात्र एक से डेढ़ इंच ही सड़क की ढलाई किया गया। शिकायत मिलने पर बीडीओ मनोज कुमार एव जेई गौरव कुमार खुद स्थल पर पहुच सड़क का निरीक्षण किया। मात्र एक इंच से डेढ़ इंच सड़क का निर्माण होते देख बीडीओ भड़क गया। बीडीओ ने तुरंत ही कार्य को बंद करने का आदेश दिया। हालांकि उक्त सड़क आधा से ज्यादा का पीसीसी  निर्माण एक दिन पहले ही कर दिया गया था। दूसरे दिन घटिया सड़क निर्माण की जानकारी बीडीओ को मिला तब स्थल पर पहुच जांच पड़ताल किया।


क्या कहते हैं बीडीओ –


बीडीओ मनोज कुमार ने बताया कि सड़क निर्माण कार्य मे धांधली किया गया। बिना जेई की जानकारी के ही सड़क का पीसीसी का ढलाई कार्य शुरू किया। हमने जेई को स्पष्ट निर्देश दिया है कि अपनी उपस्थिति में प्राक्कलन के मुताबिक दुबारा सड़क का ढलाई करावे। इनके साथ ही जेई से पूरा रिपोर्ट की मांग किया गया है। 

क्या कहते है जेई –


जेई गौरव कुमार ने बताया कि सड़क निर्माण की जानकारी हमको नही दिया गया था। पीसीसी मे काफी अनियमितता है। दुबारा से सड़क का पीसीसी ढ़लाई करने को कहा गया है। अगर प्राक्कलन के मुताबिक सड़क का निर्माण नही होता है तो मापी-पुस्त किसी भी कीमत पर नही बनेगा। जेई ने बताया कि जिस योजना में मेरी उपस्थिति रहेगी उसी का एमबी बुक होगा।


कमीशन का है बड़ा खेल –


मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना एक लोकप्रिय योजना है। लेकिन कमीशन के लुटेरे ने इसे भी धंधा बना लिया। वार्ड में वार्ड कार्यान्वयन समिति को इस योजना में पक्की सड़क, नाली-गली, बनाना है। लेकिन ये योजना भी भर्ष्टाचार का भेंट चढ़ गया। वार्ड कार्यान्वयन समिति के वार्ड सदस्य सह अध्यक्ष एव सचिव का कहना है कि जब तक मुखिया एव पंचयात सचिव 18 प्रतिशत कमीशन नही लेता तब तक योजना का 60 प्रतिशत राशि वार्ड को नही देता है। बस कमीशन का खेल यही से शुरू होता है। चूंकि ग्राम पंचायत को वार्ड में योजना संचालित करने लिये राशि निर्गत करना है। तो हमलोग क्या करें।
वार्ड में 20 से 30 लाख को योजना होता है।


संचालित –


राज्य सरकार ने सभी वार्डो के लिये योजना संचालन में एक निश्चित राशि तय कर दिया है। जिसमे एक वार्ड में एक साल मे 14 लाख से अधिक का योजना की स्वीकृति नही देना है। चूंकि दूसरे वार्ड को भी देखना है। लेकिन कमीशन के खेल में एक एक वार्ड में मुखिया एव पंचयात सचिव ने 20 से 30 लाख तक का योजना खोल दिया है। उसी पंचयात के दूसरे वार्ड में योजना शून्य है। हालांकि इस बात पर बीडीओ मनोज कुमार ने बताया कि इस तरह की किसी पंचायत की जानकारी मिलती है तो निश्चित ही जांच कर करवाई किया जायेगा।

वार्ड सचिव चुनाव में होती है भीड़ंत –


चुंकि यह योजना माल कमाऊ बन गया है तो योजना संचालन के लिए वार्ड सदस्य की अध्यक्षता में योजना का सफल संचालन के लिए सचिव एवं क्रियान्वयन समिति का चयन वार्ड सभा के माध्यम से होता है एक दो चयन कोछोड़ दें तो 90 प्रतिशत चुनाव में धांधली, विरोध की बात सामने आ जाती है। चुंकि इस योजना में मोटी रकम बचती है तो हर दावेदार इस पद पर बनना चाहता है। कुछ मिला कर कहा जा सकता है कि यह योजना अपने उद्देश्य में विफल हो कामधेनू बन गई है।