शौचालय बना जब लाभुक प्रोत्साहन राशि लेने गया तो पता चला राशि का हो चुका भुगतान


15 अगस्त तक माहखड़ पंचायत को ओडीएफ घोषित करने का है लक्ष्य


सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) ब्रजेश भारती की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट :-


सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड क्षेत्र के महखड़ पंचायत में इन दिनों एक सनसनीखेज मामला सामने आया है कि इस पंचायत को अगामी 15 अगस्त तक ओडीएफ घोषित किया जाना है लिहाजा स्थानिय प्रशासन एवं पंचायत प्रतिनिधियों के आह्वान पर जिन परिवारों के घर शौचालय नहीं बना हुआ था वे लोग कर्ज,पैचा या फिर अन्य माध्यमों से रूपए का जौगार कर शौचालय का निर्माण कराया लेकिन जब सरकारी प्रोत्साहन राशि लेने की बारी आई तो पता चला वैसे दर्जनों परिवार का राशि भुगतान पूर्व में ही हो गया है।

उपरोक्त मामले के सामने आने के बाद इस पंचायत के वार्ड नं सात के लाभुक महादेव साह, महेंद्र यादव, योगेन्द्र साह, कपिल देव यादव, दिनेश यादव,सकलदीप यादव, उपेंद्र यादव,कुसुम लाल यादव,संजय कुमार,जयकिशोर मेहता आदि लगभग 17 लोगों ने एक लिखित आवेदन वरीय अधिकारियों को दे इस फर्जीवाड़ा का उच्चस्तरीय जांच कर प्रोत्साहन राशि देने की गुहार लगाई है।

क्या है माजरा – 


इस संबंध में प्राप्त जानकारी के अनुसार यह कोई पहला मामला नहीं है ऐसा मामला प्रखंड क्षेत्र में करीब 14 हजार लाभुकों के साथ हुआ है। चुंकि अभी महखड़ को ओडीएफ घोषित करना है जब यहां के लाभुकों ने शौचालय बना लिया तो यह सामने आया है।

दो चार वर्ष पूर्व पीएचडी विभाग के द्वारा बेसलाइन सर्वे करा विभिन्न पंचायतों में शौचालय निर्माण की जिम्मेदारी एनजीओ को दिया गया था । एनजीओ के द्वारा कही शौचालय बनाया गया लेकिन अधिकांश शौचालय कागजों बना दिखा उसकी सुची प्रखंड को सौंप दी गई। जब अब वैसे लाभुक शौचालय बना भुगतान के लिए प्रखंड कार्यालय पहुंचे तो पहले के सुची से मिलान करने पर पता चला कि वह तो पहले राशि प्राप्त कर लिया है।


जांच हुई तो बड़ा घोटाला आ सकता है सामने –


अगर सही रूप से इस मामले का जांच किया गया तो बहुत बड़ा घोटाला सामने आ सकता है। चुंकि जो सुची प्रखंड में बने हुए शौचालय का जमा है वैसे लाभुकों के यहां कभी शौचालय बना ही नहीं। यहां तक कि वैसे लाभुकों को पता भी नहीं है कि उसके नाम शौचालय बना दिया रूपए की निकासी हो चुकी है।

दोषी कौन ? –


यहां सबसे अहम सवाल यह है कि जब पूर्व में यहां के दर्जनों परिवारों के नाम पूर्व में शौचालय निर्माण की बात सरकारी फाइलों में दर्ज थी तो फिर इन लोगों को नया शौचालय निर्माण के लिए किसने आदेश दिया। क्या उसने यह नहीं देखा कि ऐसे लाभुक पूर्व में शौचालय प्रोत्साहन राशि प्राप्त कर चुका है। अब जब वे लोग शौचालय बना लिए हैं तो उसके प्रोत्साहन राशि का क्या होगा। 

क्या कहती है मुखिया –


इस संबंध में पंचायत की मुखिया सगुफ्ता परवीन ने बताई की बेसलाइन सर्वे के बाद एनजीओ के द्वारा शौचालय बनाने की जानकारी है। लेकिन स्थल पर उक्त एनजीओ द्वारा शौचालय नही बनाया गया है। महखड़ पंचायत में 934 ऐसे लाभुक है जिनका पूर्व में शौचालय बना है। जवकि स्थल पर  एनजीओ का एक भी बना शौचालय नजर नही आ रहा है। हालांकि कुछ लोगों का उस वक्त शौचालय बना भुगतान दिया गया था लेकिन अधिकांश लोगों के फर्जीवाड़ा किया गया है। जिसकी जांच जरूरी है।

क्या कहते है बीडीओ-


बीडीओ मनोज कुमार ने बताया कि पूर्व में प्रखंड में जो जमा रिपोर्ट है उसमें पूरे प्रखंड के 22 पंचायत में लगभग 14 हजार शौचालय पूर्व में बना है। एनजीओ के द्वारा भी बनाया गया। कुछ लोग अपने आप घर मे बनाया है। हालांकि एक बार फिर से पूर्व में बने शौचालय की सुची की मांग की गई है।