तीन दिन में दो स्कूली गाड़ी सड़क हादसे का हुआ शिकार


परिवहन विभाग एवं स्थानीय प्रशासन कुंभकर्णी नींद में बड़े हादसे का कर रही इंतजार


सिमरी बख्तियारपुर, सहरसा से ब्रजेश भारती की विशेष रिपोर्ट :-


सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल क्षेत्र में कुकुरमुत्ते की तरह खुल गए निजी स्कूलों में बच्चों को घर से लाने एवं ले जाने के लिए विद्यालय प्रबंधन द्वारा चलाए जा रहे स्कूली वाहन सभी प्रकार के नियम कानून को ताक पर रख गाड़ियों का परिचालन करवा रहे हैं। 

सैकड़ों की संख्या में इस अनुमंडल क्षेत्र में निजी विद्यालय संचालित है भले मात्र इनमें से एक दर्जन ही स्कूलों को मान्यता प्राप्त हो लेकिन सभी विद्यालय में कमोबेश वाहन बच्चों के लिए प्रयुक्त होता है। लेकिन रंग बिरंगी रंगों में सुबह सुबह स्कूली वैन सड़कों पर दौड़ते नजर आ रहे हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि स्कूली वैन पीला रंग में ही होना चाहिए साथ ही ड्राइवर व गाड़ी रफ्तार की सीमित रखनी है। 


भेड़ बकरी की तरह बच्चों को गाड़ी में भर खुले आम ये गाड़ी सड़क पर दौड़ती है लेकिन परिवहन विभाग एवं स्थानीय प्रशासन आंख मुंद किसी अनहोनी के होने का इंतजार करती नजर आती है। 

ऐसे में यहां के अभिभावकों में भी अपनी बच्चों के प्रति चिंता सताने लगी है। कई अभिभावकों ने बताया कि सुबह सुबह बच्चों को तो स्कूल भेज देते हैं लेकिन जब वह सकुशल घर वापस नहीं चला आता है चिंता लगी रहती है। क्या करें सभी स्कूलों के गाड़ियों का कमोबेश यही हाल है। विद्यालय प्रबंधन को शिकायत की जाती है लेकिन कुछ नहीं होता है।


यहां यह भी बताते चलें कि अक्सर स्कूलों में चलने वाले वाहन का ना तो कागजात सही रहता है ना ही फिटनेस टेस्ट में पास इससे भी बड़ी की वाहन वैसे चालकों के हाथों में रहता है जिन्हें ड्राईविंग लाइसेंस भी नहीं रहता है। ऐसे में बच्चे सुरक्षित वापस सकुशल विद्यालय से घर पहुंच जाय यह उपर वाले पर ही निर्भर रहता है।

यहां बताते चलें कि वुधवार को सिमरी-रानीबाग पथ पर एक अनियंत्रित स्कूली वैन पलटने से चालक की मौत हो गई थी वहीं एक अन्य जख्मी हो गया था। लेकिन इस हादसे के बाद भी प्रशासनिक स्तर पर इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया दुसरी घटना हो गई। अगर जल्द इस ओर ध्यान नहीं दिया गया तो कभी भी कोई बड़ी हादसे से इंकार नहीं किया जा सकता है।