दो माह पूर्व अनुमंडलीय अस्पताल में लगाया गया था पालन घर


सिमरी बख्तियारपुर (सहरसा) ब्रजेश भारती की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट :-


दो माह पूर्व अनुमंडलीय अस्पताल सिमरी बख्तियारपुर में खोले गये पालन घर जनजागरण के अभाव में बेकार हो गया है। अबतक इस पालन घर में एक भी नवजात की इन्ट्री नही हो सकी है।

ऐसा नही है कि इस बीच ऐसे बच्चों का जन्म  इस क्षेत्र में नही हुआ होगा। लेकिन पुछताछ केबिन में रखा यह पालन घर समुचित व्यवस्था एवं अनुचित स्थान की वजह से अपने उद्देश्य को हासिल नहीं कर पा रहा है।


यहां बताते चले कि सरकार नें ऐसे नवजात बच्चे जिनका लालन पालन नही करना चाहते है या फिर वैसे बच्चे जो अवैध संबंधों का परिणाम के  रूप में सामने आ जाता वैसे बच्चों को रात के अंधेरे में झाड़ी या सड़क किनारे फेंक देते है।


ऐसे नवजात शिशूओं को फेंकने के बजाय सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल अस्पताल में पालन घर का शुभारंभ किया गया था।सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल अस्पताल में पालना घर बनाकर इस व्यवस्था की शुरुआत कर दी गई है। इस व्यवस्था का विस्तार भी भविष्य में करने की योजना विभाग द्वारा बनाई गई थी। लेकिन यह भविष्य की गर्त में ही रखा है।
सरकार के समाज कल्याण विभाग की ओर से व्यवस्था की गई है, कि नवजात शिशु के जन्म के बाद किसी कारणों से लावारिस हालत में माताओं या परिजनों के द्वारा फेंक दिया जाता है, तो इस पर नियंत्रण करने के लिए पालना संग्रहण केंद्र बनाया गया है।


पालना घर का उद्देश्य –

शिशुओं को जन्म दिए जाने के बाद लावारिस हालत में फेंक दिया जाता है। इस वजह से अधिकांश नवजात शिशुओं की मौत हो जाती है। साथ ही नवजात संक्रमित हो गंभीर बीमारी के शिकार हो जाते हैं। उनके संरक्षण के लिए पालना शिशु संग्रहण केंद्र की स्थापना की गई है। इसकी देखभाल की जिम्मेवारी अस्पताल प्रशासन की दी गई । पालना घर में सरेंडर किए गए नवजात शिशुओं को बाल संरक्षण इकाई के द्वारा लालन पालन किये जाने का प्रावधान है।


सिमरी बख्तियारपुर अनुमंडल अस्पताल के डाक्टरों की माने तो अस्पताल में बच्चों के जन्म के बाद जो माता या परिजन नवजात शिशुओं को लावारिस हालत में फेंक कर चले जाते हैं। उनके लिए यह कदम उठाया गया है।